कुचामनसिटी/जयपुर. राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के बाद पिछले दिनों कमोबेश हर विभाग में तबादले किए गए. अब इन तबादला सूचियों में जाति के आधार पर राजनीती के आरोप लग रहे हैं. एक तरफ जहां लाडनूं से कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर ने सरकार पर सामंती सोच से काम करने का आरोप जड़ा है तो दूसरी तरफ छात्र नेता निर्मल चौधरी ने भी इस मामले को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
मुकेश भाकर ने एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया, जिसमें वह कह रहे हैं, एक जाति को टारगेट करके जिले में जिस तरह की राजनीति हो रही है. उससे कलेक्टर-एसपी को अवगत करवाया है. एक तरफ तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खरनाल जाकर तेजाजी के मंदिर में जाते हैं. लोगों से मिल रहे हैं और अपनी आस्था प्रकट कर रहे हैं. दूसरी तरफ एक जाति विशेष का नाम देखकर न केवल लाडनूं बल्कि पूरे जिले से बाहर निकाला जा रहा है. जाति के नाम पर लोगों (सरकारी कर्मचारियों) को जिले से बाहर निकाला जा रहा है. तबादले किए जा रहे हैं.
परफॉर्मेंस के आधार पर हो तबादले : मुकेश भाकर आगे बोले, मैंने कलेक्टर से कहा कि अगर किसी की परफॉर्मेंस ठीक नहीं है या भ्रष्टाचारी है तो उसको आप निकालो. लेकिन एक-एक विधानसभा क्षेत्र से 100-100 लोगों को इस आधार पर कि वे मुस्लिम हैं, जाट हैं या दलित हैं, उनके तबादले किए जा रहे हैं. जातिगत आधार पर टारगेट करके लोगों के ट्रांसफर करेंगे तो लोगों में मैसेज ठीक नहीं जाएगा.
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भाजपा की नहीं सामंतियों की सरकार : पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुकेश भाकर ने कहा कि सरकार ट्रांसफर पॉलिसी में भेदभाव को बढ़ावा दे रही है. हालत यह है कि जो भाजपा प्रत्याशी चुनाव हार चुके हैं, जिन्हें जनता ने नकार दिया है, वे भी द्वेषतापूर्ण और भेदभाव की नीति अपनाकर अधिकारियों और कर्मचारियों को जिले से दूर ट्रांसफर करवा रहे हैं. खासकर जाट, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारियों व कर्मचारियों को टारगेट किया जा रहा है. वे बोले, जब से भाजपा की सरकार बनी है, तब से ऐसा लग रहा है कि भाजपा की सरकार न होकर सामंतियों की सरकार है. जो चुन-चुन कर इस तरह से लोगों से बदला ले रहे हैं. अधिकारी यह कहते हैं कि प्रत्याशी का दबाव है. वह प्रत्याशी जिसको जनता ने नकार दिया. जिसको जनता ने चुनकर विधानसभा नहीं भेजा. उनका क्या दबाव. लाडनूं में सवा लाख लोगों ने भाजपा प्रत्याशी को वोट नहीं दिया तो क्या उन सभी लोगों को तहसील से बाहर कर दिया जाएगा.
भेदभाव किया तो चुप नहीं बैठेंगे : उन्होंने कहा कि वे इस बारे में मुख्यमंत्री को भी अवगत करवाएंगे. जिले में अगर इस तरह जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव करके कर्मचारियों को परेशान किया जाएगा तो हम चुप बैठने वाले नहीं हैं. कोई आदमी लंबे समय से एक ही जगह है. चुनाव आयोग के क्राइटेरिया में आ रहा है तो उसे जरूर हटा दे. हमें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन आगे सरनेम देखकर कर्मचारियों को दुखी किया जाएगा तो उसका अंजाम भाजपा को और अधिकारियों को भुगतना पड़ेगा.