इंदौर: जैसे महानगर में अब पौधारोपण के लिए उपलब्ध सीमित स्थान पर ही अत्यधिक पेड़ लगाकर हरियाली पर फोकस किया जा रहा है. इस प्रयास में पौधारोपण की मियावाकी पद्धति सफल साबित हो रही है. हाल ही में इंदौर दो स्थानों पर किए गए पौधारोपण के बाद पूरा इलाका घने जंगल में तब्दील हो चुका है. नतीजतन अब इस पद्धति से शहर के विभिन्न स्थानों पर सघन पौधरोपण होगा.
एक साल पहले पौधारोपण, अब घना जंगल बन गया
दरअसल पिछले वर्ष इंदौर विकास प्राधिकरण ने शहर के स्कीम नंबर 78 में मौजूद एक उद्यान में सिटी फॉरेस्ट परियोजना के तहत एक साथ सघन वृक्षारोपण कर उद्यान में 7500 पौधे मियावाकी पद्धति से लगाए थे. इसके बाद पौधों की उचित देखभाल की गई. लिहाजा पौधों की सर्वाइवल रेट 90% से ज्यादा रही. फिलहाल बारिश में अब यहां घना जंगल तैयार हो चुका है और सभी पौधे पल्लवित होकर अब वृक्ष का रूप ले रहे हैं. वहीं इलाके में सघन हरियाली ने आसपास के क्षेत्र को भी प्रदूषण मुक्त किया है.
पौधों की देखभाल में 12 महीने का समय लगा
इंदौर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालिक अधिकारी आर.पी.अहिरवार ने बताया कि, ''मियावाकी पद्धति के अंतर्गत पौधों की देखभाल हेतु पूरे 12 महीने का समय लगा है. साथ ही सिचाई, निंदाई, गुढ़ाई और प्रति 3 माह में खाद और कीटनाशक का छिड़काव निरंतर जारी रहने वाली मेंटेन्स की प्रक्रिया को अपनाया गया. जिसके फल स्वरुप सभी पौधे हरे-भरे और स्वस्थ हैं.''
28,350 वर्ग फुट एरिया में वृक्षारोपण
उन्होंने बताया कि, विकास प्राधिकरण के सिटी फॉरेस्ट प्रोजेक्ट के तहत स्कीम नंबर 78 अरण्य के 28,350 वर्ग फुट क्षेत्रफल के उद्यान में मियावाकी पद्धति से सघन वृक्षारोपण किया गया था. जिसके अंतर्गत नीम, बड़, पीपल, करंज, सीताफल, आँवला, कचनार जामुन जैसे विभिन्न प्रजातियों के पौधो को शामिल किया गया था.'' आर.पी. अहिरवार ने बताया, ''मियावाकी पद्धति में पौधे तेजी से बढ़ते हैं और शीघ्र ही एक घने जंगल का रूप धारण कर लेते हैं. इस वर्ष मियावाकी पद्धति द्वारा सघन वृक्षारोपण किया गया है.