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भाई की कलाई पर इको फ्रेंडली राखी बांधेंगी बहनें, यहां देखें बांस से बनी राखियों में मिथिला पेंटिंग का अनोखा संगम - Bamboo Rakhis In Bihar

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 4, 2024, 11:33 AM IST

Mithila Painting On Bamboo Rakhis: भाई-बहन के प्यार के त्योहार रक्षाबंधन को लेकर बाजार में रौनक बढ़ गई है. चारों ओर रंग-बिरंगी राखियां देखने को मिल रही है. वहीं इस बार इको फ्रेंडली राखियों की भी डिमांड बढ़ गई है. यहां देखें बांस से बनी राखियों में मिथिला पेंटिंग का अनोखा संगम, जिससे आप भी अपने भाई को इको फ्रेंडली राखी बांधकर खुश कर सकते हैं.

bamboo rakhis in Bihar
बांस से बनी राखियां (ETV Bharat)

पटना: इस बार 19 अगस्त को भाई बहन के प्यार का त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाएगा. बदलते जमाने में रक्षाबंधन की राखी की डिजाइन भी बदल गई है. रक्षाबंधन की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. इसी बीच बाजार में बांस की राखियां लोगों को आकर्षित कर रही हैं. पटना के विवेक कुमार चौधरी द्वारा संचालित "होली नेचर्स" नाम की कंपनी इस दिशा में काफी काम कर रही है. ये कंपनी बांस से बनी राखियों का निर्माण कर रही है, जिन पर मिथिला पेंटिंग और अन्य कला कृतियां सजाई जाती हैं.

bamboo rakhis in Bihar
बांस से बनी राखियां (ETV Bharat)

बायोडिग्रेडेबल है ये राखियां: इन राखियों की खासियत यह है कि ये पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल हैं और प्लास्टिक मुक्त हैं, जो कि पर्यावरण के लिए बेहद लाभदायक है. विकेक कुमार चौधरी ने बताया कि "पिछले 3 सालों से बांस से बनी राखियों को तैयार करवा रहा हूं. होली नेचर्स की बनाई हुई राखियां बिहार खादी मॉल के साथ-साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म अमेजन पर भी उपलब्ध हैं. इसके चलते इन राखियों की पहुंच अधिक लोगों तक हो रही है, जिससे इन्हें अच्छी बिक्री मिल रही है."

क्या है इन राकियों की कीमत: यह पहल ना केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रही है, बल्कि इससे कई लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं. विकेक ने बताया कि इस राखी की कीमत ₹50 से लेकर 125 रुपये तक है. बंबू आर्ट के जरिए बांस के छोटे-छोटे टुकड़ों पर अलग-अलग चित्र बनाए जाते हैं. जैसे ॐ, हैप्पी रक्षाबंधन, मिथिला, टिकुली आर्ट से भाई बहन के प्यार को राखियों पर दर्शाया गया है.

bamboo rakhis in Bihar
बांस की राखी पर कई डिजाइन (ETV Bharat)

राखी के धागों में तुलसी के बीज: इस डिजाइन को देखकर लोग काफी आकर्षित होते हैं. पहले सिर्फ लोग ऑनलाइन खरीदारी करते थे लेकिन अब लोगों को ऑफलाइन भी खरीदने का मौका मिल रहा है. इसमें लगभग पांच लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है. यह राखी बहुत हल्की वजन की है. विवेक कुमार चौधरी ने बताया कि खास बात यह है कि हिंदू धर्म में रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ता का त्यौहार है. राखी के धागों में तुलसी के बीज है इसके प्रयोग होने के बाद लोग फेंक देते हैं, जब मिट्टी में यह बिज जाएगा तो वहां पर तुलसी का पौधा उगाएगा उसके बाद लोग तुलसी पौधे की पूजा भी कर सकते हैं.

bamboo rakhis in Bihar
बांस की राखियों की डिमांड (ETV Bharat)

राखियों पर मिथिला पेंटिंग: विवेक कुमार चौधरी ने इस पहल को शुरू करते समय यह ध्यान रखा कि पारंपरिक कला और संस्कृति को भी प्रोत्साहन मिले. मिथिला पेंटिंग के साथ अन्य लोक कलाओं को भी इन राखियों पर चित्रित किया जाता है, जिससे इनकी सौंदर्यता और बढ़ जाती है. इस तरह की राखियां न केवल भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाती हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी फैलाती हैं.

bamboo rakhis in Bihar
बांस की राखियां (ETV Bharat)

बांस की राखियां एक महत्वपूर्ण उदाहरण: इन राखियों के निर्माण से जुड़े कारीगरों को भी लाभ मिल रहा है. उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ उनकी कला को भी पहचान मिल रही है. यह पहल न केवल पर्यावरण को संरक्षित करने में सहायक है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी है. इस प्रकार, होली नेचर्स द्वारा बनाई गई बांस की राखियां एक महत्वपूर्ण उदाहरण हैं कि कैसे पारंपरिक कला और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ लाया जा सकता है. यह पहल समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

पढ़ें-भाई बहन के पवित्र रिश्ते का उत्सव है रक्षाबंधन, जानें शुभ मुहूर्त और रक्षा सूत्र का महत्व - Raksha Bandhan 2024

पटना: इस बार 19 अगस्त को भाई बहन के प्यार का त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाएगा. बदलते जमाने में रक्षाबंधन की राखी की डिजाइन भी बदल गई है. रक्षाबंधन की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. इसी बीच बाजार में बांस की राखियां लोगों को आकर्षित कर रही हैं. पटना के विवेक कुमार चौधरी द्वारा संचालित "होली नेचर्स" नाम की कंपनी इस दिशा में काफी काम कर रही है. ये कंपनी बांस से बनी राखियों का निर्माण कर रही है, जिन पर मिथिला पेंटिंग और अन्य कला कृतियां सजाई जाती हैं.

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बांस से बनी राखियां (ETV Bharat)

बायोडिग्रेडेबल है ये राखियां: इन राखियों की खासियत यह है कि ये पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल हैं और प्लास्टिक मुक्त हैं, जो कि पर्यावरण के लिए बेहद लाभदायक है. विकेक कुमार चौधरी ने बताया कि "पिछले 3 सालों से बांस से बनी राखियों को तैयार करवा रहा हूं. होली नेचर्स की बनाई हुई राखियां बिहार खादी मॉल के साथ-साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म अमेजन पर भी उपलब्ध हैं. इसके चलते इन राखियों की पहुंच अधिक लोगों तक हो रही है, जिससे इन्हें अच्छी बिक्री मिल रही है."

क्या है इन राकियों की कीमत: यह पहल ना केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रही है, बल्कि इससे कई लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं. विकेक ने बताया कि इस राखी की कीमत ₹50 से लेकर 125 रुपये तक है. बंबू आर्ट के जरिए बांस के छोटे-छोटे टुकड़ों पर अलग-अलग चित्र बनाए जाते हैं. जैसे ॐ, हैप्पी रक्षाबंधन, मिथिला, टिकुली आर्ट से भाई बहन के प्यार को राखियों पर दर्शाया गया है.

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बांस की राखी पर कई डिजाइन (ETV Bharat)

राखी के धागों में तुलसी के बीज: इस डिजाइन को देखकर लोग काफी आकर्षित होते हैं. पहले सिर्फ लोग ऑनलाइन खरीदारी करते थे लेकिन अब लोगों को ऑफलाइन भी खरीदने का मौका मिल रहा है. इसमें लगभग पांच लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है. यह राखी बहुत हल्की वजन की है. विवेक कुमार चौधरी ने बताया कि खास बात यह है कि हिंदू धर्म में रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ता का त्यौहार है. राखी के धागों में तुलसी के बीज है इसके प्रयोग होने के बाद लोग फेंक देते हैं, जब मिट्टी में यह बिज जाएगा तो वहां पर तुलसी का पौधा उगाएगा उसके बाद लोग तुलसी पौधे की पूजा भी कर सकते हैं.

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बांस की राखियों की डिमांड (ETV Bharat)

राखियों पर मिथिला पेंटिंग: विवेक कुमार चौधरी ने इस पहल को शुरू करते समय यह ध्यान रखा कि पारंपरिक कला और संस्कृति को भी प्रोत्साहन मिले. मिथिला पेंटिंग के साथ अन्य लोक कलाओं को भी इन राखियों पर चित्रित किया जाता है, जिससे इनकी सौंदर्यता और बढ़ जाती है. इस तरह की राखियां न केवल भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाती हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी फैलाती हैं.

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बांस की राखियां (ETV Bharat)

बांस की राखियां एक महत्वपूर्ण उदाहरण: इन राखियों के निर्माण से जुड़े कारीगरों को भी लाभ मिल रहा है. उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ उनकी कला को भी पहचान मिल रही है. यह पहल न केवल पर्यावरण को संरक्षित करने में सहायक है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी है. इस प्रकार, होली नेचर्स द्वारा बनाई गई बांस की राखियां एक महत्वपूर्ण उदाहरण हैं कि कैसे पारंपरिक कला और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ लाया जा सकता है. यह पहल समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

पढ़ें-भाई बहन के पवित्र रिश्ते का उत्सव है रक्षाबंधन, जानें शुभ मुहूर्त और रक्षा सूत्र का महत्व - Raksha Bandhan 2024

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