वाराणसी: वाराणसी का काशी हिंदू विश्वविद्यालय अब मिशन ट्रेन बनारस की शुरुआत कर रहा है, जिसके तहत वह जिले के आशा कार्यकर्ताओं, सीएचओ को प्रशिक्षित करेगा, उन्हें बाकायदा ब्रेन से जुड़ी बीमारियों में किस तरीके से प्राथमिक रूप से मरीजों की देखभाल करने की जरूरत है. उसके बाद उनका इलाज के अनुसार कैसे ध्यान रखना है. इसके गुण सिखाया जाएगा. बड़ी बात है कि, यह यूपी में पहला प्रयास जब इस तरीके से जिला प्रशासन और BHU एक साथ मिलकर न्यूरो मरीजों की विशेष सेवा करेगा.
बता दें कि इसको लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के आईएमएस न्यूरोलॉजी विभाग व जिला प्रशासन के बीच एक बैठक आयोजित की गई थी, जहां कम्युनिटी में जागरूकता और समय से इलाज मिले इसके लिए मिशन ब्रेन बनारस की शुरुआत की गई. जिला प्रशासन की ओर से सीडीओ और बीएचयू आईएमएस निदेशक प्रोफेसर एस एन शंखवार ने इसको लेकर चर्चा की.
यूपी में यह पहला प्रयास: इस दौरान योजना बनी कि बीएचयू न्यूरोलॉजी विभाग अब जिले के सीएचओ (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स) और आशा कार्यकर्त्रियों को प्रशिक्षित करेगा. ब्रेन से जुड़ी बीमारी (लकवा और मिर्गी) के लक्षण, प्राइमरी ट्रीटमेंट और जरूरत पड़ने पर हायर सेंटर्स समय से पहुंचाने के लिए सलाह देंगी. यूपी में यह पहला प्रयास होगा, जब जिला प्रशासन के साथ मिलकर बीएचयू आमजन को जागरूक करने और इलाज का सलाह देगा.
इस दौरान सीडीओ हिमांशु पाल ने कहा कि, बनारस में बीएचयू जैसा सेंटर्स है. इसका सीधा लाभ मरीजों को मिल सकता है. आमजन को सीधा लाभ मिले, यह हम सबका सामूहिक प्रयास होना चाहिए. इसी के तहत अब हम शहर के आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे.
हर महीने स्वास्थ्य कर्मचारियों को दी जाएगी ट्रेनिंग: वहीं, आईएमएस निदेशक प्रोफेसर एस एन शंखवार ने कहा कि बीएचयू एम्स की सुविधाएं सीधे मरीजों तक पहुंचे इसके लिए हम हर स्तर पर तैयार है. सुपर स्पेशलिटी इलाज का लाभ कम्युनिटी को मिले इसके लिए हम प्रयासरत है. उन्होंने बताया कि, यथाशीघ्र मॉड्यूल तैयार कर लिया जाएगा. महीने में दो दिन ट्रेनिंग दी जाएगी. यदि हम उदाहरण के रूप में समझे, तो जिस मरीज को लकवा होता है उसे 4 घंटे के भीतर यदि बेहतर इलाज मिल जाए तो यह उसका गोल्डन पीरियड होता है, जो उसे स्वस्थ कर सकता है. ऐसे में जिला प्रशासन के सहयोग से हम ज्यादा मरीजों की जान बचा सकते हैं, उनके जीवन को स्वस्थ कर सकते हैं. जिला प्रशासन के साथ मिलकर इस काम की शुरुआत बनारस से नहीं पूर्वांचल के मरीजों के लिए वरदान से काम नहीं होगी.
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