नई दिल्लीः केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) रैंकिंग में देश भर के कॉलेजों की कैटेगरी में दिल्ली विश्वविद्यालय के छह कॉलेजों ने टॉप 10 में जगह बनाई. इनमें पहले नंबर पर हिंदू कॉलेज है तो दूसरे नंबर पर मिरांडा हाउस कॉलेज. लेकिन, इस बार दिलचस्प बात है कि पिछले सात साल से लगातार नंबर वन पर रही मिरांडा हाउस कॉलेज इस बार दूसरे नंबर पर कैसे चला गया. कुछ लोग सोच रहे होंगे कि मिरांडा हाउस दूसरे नंबर पर चला गया तो वहां की पढ़ाई लिखाई के स्तर में कुछ कमी आई होगी. लेकिन, ऐसा बिल्कुल नहीं है. मिरांडा हाउस पहले से दूसरे स्थान पर क्यों पहुंचा इस सवाल का जवाब जानने के लिए ETV Bharat ने कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर बिजयलक्ष्मी नंदा से बातचीत की.
मिरांडा हाउस के नंबर दो आने पर प्राचार्य ने कहीं ये बात: प्रोफेसर नंदा ने बताया कि हम सब एक ही विश्वविद्यालय डीयू के कॉलेज हैं. डीयू के छह कॉलेजों को रैंकिंग में टॉप टेन में जगह मिली है. महिला कॉलेजों में आज भी मिरांडा हाउस नंबर वन कॉलेज है. हिंदू और मिरांडा के एनआईआऱएफ स्कोर में मात्र एक अंक का अंतर है. हिंदू का स्कोर 74.47 और मिरांडा का 73.22 है. मिरांडा हाउस में आज भी जो छात्राएं पढ़ रही हैं वो काफी अच्छा कर रही हैं. मिरांडा हाउस कॉलेज अपने पैरामीटर्स पर कायम हैं.
प्रोफेसर नंदा ने बताया कि दूसरे कॉलेज से इस तरह की कंम्पटीशन बहुत जरूरी है. हमारी कोशिश रहेंगी कि ग्रेजुएट आउटकम्स, लड़कियों को स्टेम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स) एजुकेशन पर ज्यादा फोकस रखना. एम्पैथी ट्रेनिंग और कम्युनिटी आउटरीच प्रोग्राम पर काम करेंगे. ये रैंकिंग इसलिए नहीं है कि कौन एक आध डेसीबिल से पीछे रह गया बल्कि इसलिए है कि हर कॉलेज के अंदर एक हेल्दी कंम्पटीशन आए और स्टूडेंट के लिए कॉलेज आगे बढ़ें और उन्हें पूरा सपोर्ट दें.
रैंकिंग के इन मापदंडों में कुछ नहीं कर सकता कॉलेज: प्रो. बिजयलक्ष्मी नंदा ने कहा कि कॉलेज में परमानेंट टीचर के सभी पदों पर भर्ती हो चुकी है. कॉलेज में स्नातक के लिए 1300 सीटें हैं. लेकिन, विश्वविद्यालय का नियम है कि अब हर साल हर कॉलेज को दाखिले के समय 20% बच्चे अधिक दिए जाते हैं तो ऐसे में शिक्षक और छात्र अनुपात को मेंटेन करना संभव नहीं है. हो सकता है इस मापदंड में कमी रह गई हो. इसके अलावा अब सीयूईटी के माध्यम से दाखिले हो रहे हैं तो मजबूत और कमजोर हर तरह के बच्चे कॉलेज में आ रहे हैं. इससे भी थोड़ा फर्क पड़ता है. क्योंकि मिरांडा हाउस लड़कियों का कॉलेज है तो लड़कियां अधिकतर उच्च शिक्षा के लिए चली जाती हैं.
प्रो. बिजयलक्ष्मी नंदा ने कहा कि ग्रेजुएशन के बाद नौकरी बहुत कम करती हैं. इसलिए ग्रेजुएट आउटकम्स में थोड़ा पीछे रहे हैं. हिंदू कॉलेज लड़के लड़कियां दोनों का कॉलेज है तो लड़के अधिकांश ग्रेजुएशन के बाद नौकरी कर लेते हैं. कुछ बिजनेस भी कर लेते हैं, जिससे हिंदू कॉलेज का ग्रेजुएट आउटकम्स हमसे ठीक रहा होगा. यह कुछ ऐसे मापदंड हैं जिनमें हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते. हां लेकिन फिर भी और अच्छा करने की कोशिश करेंगे.
भारत के शीर्ष 10 कॉलेज:
Rank | कॉलेज का नाम |
1 | हिंदू कॉलेज |
2 | मिरांडा हाउस कॉलेज |
3 | सेंट स्टीफंस कॉलेज |
4 | रामकृष्ण मिशन विवेकानंद शताब्दी महाविद्यालय |
5 | आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज |
6 | सेंट जेवियर्स कॉलेज |
7 | पीएसजीआर कृष्णम्मल कॉलेज फॉर विमेन |
8 | लोयोला कॉलेज |
9 | किरोड़ीमल कॉलेज |
10 | लेडी श्री राम कॉलेज फॉर विमेन |
ग्रेजुएट आउटकम्स पर करेंगे काम: प्रो. नंदा ने कहा कि एनआईआरएफ रैंकिंग के आने के बाद हम लोग यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भी बहुत आगे गए हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी भी इस बार 11वें से छठे नंबर पहुंचा है. इसलिए एक इंटीग्रेटेड वे में बहुत हेल्थी सिस्टम बना हुआ है. मिरांडा हाउस कोशिश करेगा कि हमारी लीगेसी इतनी अच्छी है, एल्युमिनाई इतने अच्छे हैं. सिस्टम अच्छा है तो हम ग्रेजुएट आउटकम्स पर काम करें. हम चाहेंगे कि एंटरप्रेन्योरशिप, साइंस एजुकेशन और सस्टेनेबिलिटी गोल्स पर काम करें. छात्र जॉब क्रिएटर्स कैसे बनें इस पर हमारा काम जारी रहेगा.
क्लाइमेट चेंज और क्लाइमेट एक्शन पर करेंगे काम: प्रो. नंदा ने बताया कि इस समय क्लाइमेट चेंज और क्लाइमेट एक्शन दो नए विषय आए हैं. इन दोनों पर काम करने के लिए काफी स्कोप है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्किल डेवलपमेंट पर सरकार का काफी जोर है. इसके लिए हर कॉलेज में स्किल डेवलपमेंट सेंटर खुल रहे हैं. यह भी एनआईआरएफ रैंकिंग के लिए एक मापदंड बन गया है. हमने भी स्किल डेवलपमेंट सेंटर बनाया है. इसको भी डेवलप करने की कोशिश कर रहे हैं कि कैसे एक माहौल बने हम स्किल को अपने विषय के साथ जोड़ें.
विद्यार्थियों को कॉरपोरेट के लिए करेंगे तैयार: प्रो. नंदा ने बताया कि स्किल एन्हांसमेंट कोर्स शुरू हुए हैं तो हम विद्यार्थियों के स्किल को डेवलप करके कॉपोरेट के लिए तैयार हों. निश्चित रूप से इससे एक बड़ा बदलाव आएगा. प्रोफेसर ने कहा कि अब नए सत्र में आने वाली छात्राओं को भी में यही संदेश देना चाहूंगी कि अपने-अपने उद्देश्य के साथ मिरांडा हाउस में आएं. अपना बेस्ट दें और अपना चहुंमुखी विकास करें और चिंता बहुत ज्यादा ना करें. अपने मानसिक स्वास्थ्य को भी ठीक रखें.