कानपुर: शहर के उद्यमी विकेश गुप्ता ने अपने परिवार संग मिलकर रेन इरिगेशन सिस्टम बनाया. मौजूदा समय में देश के 18 राज्यों के करोड़ों किसान अपने खेतों को कानपुर में बने रेन इरिगेशन सिस्टम से सींच रहे हैं.
इस सिस्टम को लेकर उद्यमी विकेश गुप्ता ने बताया कि हमारे देश में इजरायल की तकनीक- ड्रिप और स्प्रिंकलर का उपयोग अधिक होता था. हमने इसके स्थान पर जो रेन इरिगेशन सिस्टम बनाया, उसमें पानी की निकलने वाली बूंदों का आकार इतना छोटा किया गया, उनसे फूल, पत्तियों व फलों को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है.
चार साल पहले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संग हमारी फर्म- वीके पैक वेल प्राइवेट लिमिटेड का करार भी हुआ. इसके तहत जब आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने विभिन्न सब्जियों में इस सिस्टम की मदद से शोध कार्य किया, तो देखा 40 दिनों में आमतौर पर तैयार होने वाली सब्जी की फसलें 10 से 15 दिनों में ही तैयार हो गईं. हरी सब्जियों की उपज में 200 प्रतिशत तक इजाफा भी देखने को मिला.
विकेश गुप्ता ने बताया कि अगर कोई किसान एक हेक्टेयर खेत को रेन इरिगेशन सिस्टम से सींचना चाहता है, तो उसे औसतन 45 हजार रुपये खर्च करने होंगे. इसी तरह एरिया बढ़ने पर खर्च बढ़ता जाता है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार समेत कई अन्य राज्यों में किसान इस सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं. गुजरात में तो किसान इसे किराए पर ले जाकर उपयोग करते हैं.
विकेश गुप्ता ने बताया कि वह चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा ग्राम प्रधान रेन इरिगेशन सिस्टम का उपयोग करें. वह भी हमारी ओर से उन्हें दो माह तक के लिए मुफ्त दिया जाएगा. अगर प्रधान सिस्टम को उपयोग नहीं करना चाहते हैं, तो वह उसे वापस भी कर सकते हैं. हालांकि, हमारा मकसद है यह सिस्टम देश के अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचे और किसान खुद सिस्टम की मदद से फसलों की अधिक से अधिक पैदावार कर सकें.
यह भी पढ़ें: आदमखोर बाघ मन्ना की मौत; लखीमपुर खीरी से इलाज के लिए लाया गया था कानपुर जू
यह भी पढ़ें: कानपुर Zoo में आएंगे 24 नए मेहमान; काले हंस का जोड़ा, पीले रंग का तोता जीत लेंगे दिल