पटना: बिहार सरकार में मंत्री संतोष कुमार सुमन भी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. उन्होंने सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन इशारों-इशारों में इस तरह की टिप्पणी से बचने की नसीहत जरूर दे डाली.
भागवत के बयान पर क्या बोले संतोष सुमन : संतोष कुमार सुमन ने कहा कि बच्चे पैदा करने जैसी बातें व्यक्तिगत मामला होता है. हर व्यक्ति की अपनी विचारधारा होती है, अलग सोच होती है. आज से 20 साल पहले भी हमलोगों ने देखा है कि चाहे बेटी ही हो, बहुत सारे लोग एक बच्चे से भी संतुष्ट रहते थे. ये नितांत व्यक्तिगत मामला है. मोहन भागवत जी के कहने का अर्थ कुछ और है, लेकिन यह व्यक्तिगत विषय है और इसपर बहुत ज्यादा टिप्पणी नहीं करनी चाहिए.
"उनके कहने का मतलब है कि हमलोग फैमिली प्लानिंग पर चल रहे हैं तो हमारी संख्या घटेगी और किसी की बढ़ेगी. लेकिन हमें आजादी है कि कितने बच्चे रखेंगे. आर्थिक स्थिति के अनुसार ही लोग बच्चे पैदा करते हैं. बच्चों को अच्छी शिक्षा-दीक्षा देने में सक्षमता पर ही बच्चों की संख्या निर्भर करती है. इस तरह के मामले में लोगों पर ही विचार करने के लिए छोड़ देना चाहिए."- संतोष कुमार सुमन, मंत्री, बिहार सरकार
'आरजेडी को जनता ने किया रिजेक्ट': वहीं मंत्री संतोष सुमन ने तेजस्वी यादव की यात्रा को लेकर भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि तेजस्वी यादव किसी भी तरह की यात्रा कर लें अब उन्हें कोई फायदा होने वाला नहीं है. इससे पहले भी वह कार्यकर्ता संवाद यात्रा किए थे और उसके बाद बिहार में चार सीटों पर उपचुनाव हुआ था.परिणाम क्या आया वह सभी ने देखा है. जनता ने पूरी तरह से राष्ट्रीय जनता दल को रिजेक्ट कर दिया है.
'तेजस्वी श्रेय लेने में लगे रहते हैं': उन्होंने कहा कि दो-दो बार नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनने का मौका दिया और उपमुख्यमंत्री के पद पर रहकर उन्होंने क्या किया, यह भी जनता ने देखा है. 2025 में वो कहीं नहीं रहेंगे. उन्होंने कहा कि आजकल तेजस्वी बिहार में दिए गए सरकारी नौकरियों का श्रेय ले रहे हैं. लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि जो प्रदेश का मुखिया होता है, वही किसी भी चीज का नीति निर्धारित करता है. बिहार में युवाओं को सरकारी नौकरी अगर मिली है तो वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिया है.
मोहन भागवत ने क्या कहा था: बता दें कि रविवार को नागपुर में आयोजित कठाले कुलसम्मेलन में जनसंख्या वृद्धि में गिरावट पर चिंता जतायी थी और कहा था कि अगर किसी समाज की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे चली जाती है, तो वह समाज अपने आप नष्ट हो जाएगा. यहां 2.1 से उनका मतलब जनसंख्या प्रजनन दर से था. उन्होने कहा था कि वो समाज तब नष्ट हो जाता है, जब कोई संकट की स्थिति आती है, कई भाषाएं और समाज नष्ट हो गए हैं. जनसंख्या 2.1 से नीचे नहीं जानी चाहिए.
ये भी पढ़ें
'जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे गई तो समाज...', आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का दावा