जयपुर. गोविंददेवजी मंदिर प्रांगण में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पर्यावरण और गौ रक्षा संरक्षणार्थ संतों और श्रीमद्भागवताचार्य विद्वानों के सम्मेलन का शुभारंभ हुआ. इस दौरान शिक्षा मंत्री ने कहा कि संतों के चरणों में बैठकर के सबसे आग्रह किया है कि धरती माता की बढ़ती तपन को देखते हुए 8 अगस्त को अमृत पर्यावरण महोत्सव तक अनंत लोग अनंत पौधे लगाएं, ताकि मानव जीवन को खतरे से बचाया जा सके. एक पेड़ देश के नाम अभियान के तहत सभी पूज्य संतों ने सरकार को आशीर्वाद दिया है और अपनी सहभागिता निभाने का संकल्प लिया है. साथ ही वो अपने प्रवचन और कथाओं में जन जागरण करने का काम करेंगे.
उन्होंने कहा कि बीते दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 7 करोड़ पेड़ लगाने के लिए आह्वान किया था. ऐसे में इस कार्यक्रम से छात्रों को भी जोड़ा जा रहा है. इस संबंध में निर्देशित किया गया है कि छात्र के परिवार में जितने सदस्य हैं वो उतने पौधे लगाएगा. इसी तरह पेट्रोल पंप संचालकों को 300 पौधे लगाने और किसानों से आह्वान किया है कि उनके पास जितनी बीघा जमीन है, उस अंक में पौधे लगाए.
इस मुहिम से हर वर्ग को जुड़ने का आग्रह किया है. इस दौरान उन्होंने गौ रक्षा को लेकर कहा कि हम गाय माता के कपूत बेटे हैं जो गौ माता की भोजन-पानी की चिंता नहीं करते, उनकी देखरेख नहीं करते. जबकि उनका संरक्षण होना चाहिए, क्योंकि गौ माता विश्व में मां के रूप में पूजी जाती है. ये ऑक्सीजन देती है, साथ ही इसका मल-मूत्र भी बीमारियों के उपचार में उपयोगी है. इसके गोबर से जैविक खाद तैयार कर उन्नत किस्म की फसल प्राप्त करते हैं.
वहीं, इस दौरान मौजूद रहे हवा महल विधानसभा क्षेत्र के विधायक और हाथोज धाम के महंत बालमुकुंद आचार्य ने 21 वृक्ष लगाने का आह्वान करते हुए कहा कि राजस्थान सरकार के प्रतिनिधि एनजीओ, संत-मंहत और जनता को साथ लेकर 8 अगस्त को अमृत पर्यावरण महोत्सव मनाने की तैयारी में है, लेकिन इससे पहले ही पेड़-पौधे लगाना शुरू किया जा रहा है और उन वृक्षों का संरक्षण किया जाएगा. इसके अलावा गौ सेवा का संकल्प भी है. अवैध रूप से डेयरी चलाना और गायों को सड़कों पर खुला छोड़ देना अपराध के बराबर ही है. ये चिंतनीय भी है और आने वाले समय में जो गौ माता खुले में विचरण करती हुई दिख रही हैं वो सभी गौशाला में होंगी.
इससे पहले मंच से शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि हमें मां अमृता देवी के बलिदान को आत्मसात करना चाहिए. उनके नेतृत्व में 363 लोगों ने बलिदान दिया, लेकिन पेड़ कटने नहीं दिया, साथ ही अमृत पर्यावरण महोत्सव के तहत पीपल, नीम, बरगद, इमली, आंवला, बील और आम के ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की आवश्यकता बताई. साथ ही कहा कि हमारे धर्मग्रन्थों में पेड़ों की पूजा का प्रावधान है. पेड़ों को भगवान माना जाता है.