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Rajasthan: खानों पर गरमाई सियासत! कांग्रेस के आरोपों पर जोगाराम पटेल बोले- ये पूर्ववर्ती सरकार की लापरवाही का नतीजा

स्वीकृती प्राप्त खानों को लेकर कांग्रेस के आरोपों पर राज्य के विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने पलटवार किया.

मंत्री जोगाराम पटेल
मंत्री जोगाराम पटेल (ETV Bharat (File Photo))
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 1 hours ago

जयपुर : प्रदेश में करीब 23 हजार खदानों पर छाए संकट के बादलों के बीच अब इस मामले में सियासी पारा गर्म हो गया है. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने प्रदेश और केंद्र की मोदी सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा है. साथ ही उन्होंने 15 लाख लोगों के रोजगार को लेकर सवाल खड़े किए थे. अब इस पर मंत्री जोगाराम पटेल ने पलटवार किया है. पटेल ने उत्पन्न इन हालातों को लेकर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार की लापरवाही के कारण समय पर कार्रवाई नहीं हुई. इसकी वजह से यह समस्या उत्पन्न हुई है, लेकिन प्रदेश की भजनलाल सरकार रोजगार का संकट नहीं आने देगी. आवश्यता हुई तो सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर मजबूती से पक्ष रखेंगे.

मजबूती से करेंगे पैरवी : मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि भजनलाल सरकार राज्य में एक भी व्यक्ति पर रोजगार का संकट नहीं आने देगी. पूर्ववर्ती सरकार के समय कार्रवाई न करने के कारण आज जिला पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (DEIAA) से स्वीकृति प्राप्त करीब 23 हजार खानों के समक्ष संकट उत्पन्न हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और राज्य सरकार इसको लेकर गंभीर है. सुप्रीम कोर्ट में भी एसएलपी दायर करनी पड़ी तो हम राजस्थान का पक्ष प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने के लिए बढ़िया से बढ़िया वकील की सेवाएं लेंगे. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही इस समस्या का संभावित सभी स्तरों से हल निकालने का प्रयास किया जा रहा है.

इसे पढ़ें. मकराना में मार्बल की 5 खदानें हुई जमींदोज, मिट्टी में दबी क्रेन और मशीनरी

मंत्री जोगाराम ने कहा कि यदि पूर्ववर्ती सरकार सकारात्मक प्रयास करती तो आज यह नौबत नहीं आती. हमारी सरकार ने आते ही इस मामले को प्रमुखता से लिया औैर स्टेट एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (SEIAA) में बहुत कम समय में ही आवेदन करवाने के बाद परिवेश पोर्टल पर 11553 फार्म-2 अपलोड करवाए जा चुके हैं. हमारी सरकार की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि सरकार बनते ही हमने प्रकरणों की अधिकता और लीजधारकों और क्वारी लाइसेंसधारकों के पुनर्मूल्यांकन कार्य की अधिकता को देखते हुए पहले से स्थापित दो स्टेट एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी (SEAC) के अतिरक्त 11 जून, 2024 को अधिसूचित कर अलग से जोधपुर और उदयपुर में SEAC स्थापित की गई. इससे कार्य में गति भी आई, चारों SEAC द्वारा निरंतर कार्य कर लगभग 6,500 प्रकरण परीक्षण कर प्रक्रिया में लाए गए हैं.

मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को रोजगार की चिंता नहीं करनी चाहिए. हमारी सरकार ने रोजगार के नित नए अवसर उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है. जिला स्तर से स्वीकृतियां प्राप्त खानों को राज्य स्तर से स्वीकृतियां प्राप्त करने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश आज या हमारी सरकार के आने के बाद के नहीं हैं. ये आदेश दिसम्बर 2022 में ही जारी हो गए थे.

पूर्ववर्ती सरकार ने एनजीटी के आदेश आने के बाद भी न तो 23 हजार खानों की चिंता की और न ही इनसे रोजगार पा रहे 15 लाख श्रमिकों के भविष्य की चिंता की. यहां तक कि पूर्ववर्ती सरकार ने इतने महत्वपूर्ण प्रकरण पर किसी तरह की कार्रवाई करना भी उचित नहीं समझा. जोगाराम ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को स्पष्ट हो जाना चाहिए कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य में किसी प्रकार से रोजगार की कमी नहीं आने दी जाएगी. पूरा प्रकरण राज्य सरकार के संज्ञान में होने के साथ ही राज्य सरकार गंभीर है. सभी संबंधित खान धारकों से भी आग्रह किया है कि वे पर्यावरण विभाग के पोर्टल परिवेश पर फार्म-2 भरकर 7 नवंबर तक आवष्यक रूप से अपलोड कर दें.

जयपुर : प्रदेश में करीब 23 हजार खदानों पर छाए संकट के बादलों के बीच अब इस मामले में सियासी पारा गर्म हो गया है. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने प्रदेश और केंद्र की मोदी सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा है. साथ ही उन्होंने 15 लाख लोगों के रोजगार को लेकर सवाल खड़े किए थे. अब इस पर मंत्री जोगाराम पटेल ने पलटवार किया है. पटेल ने उत्पन्न इन हालातों को लेकर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार की लापरवाही के कारण समय पर कार्रवाई नहीं हुई. इसकी वजह से यह समस्या उत्पन्न हुई है, लेकिन प्रदेश की भजनलाल सरकार रोजगार का संकट नहीं आने देगी. आवश्यता हुई तो सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर मजबूती से पक्ष रखेंगे.

मजबूती से करेंगे पैरवी : मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि भजनलाल सरकार राज्य में एक भी व्यक्ति पर रोजगार का संकट नहीं आने देगी. पूर्ववर्ती सरकार के समय कार्रवाई न करने के कारण आज जिला पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (DEIAA) से स्वीकृति प्राप्त करीब 23 हजार खानों के समक्ष संकट उत्पन्न हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और राज्य सरकार इसको लेकर गंभीर है. सुप्रीम कोर्ट में भी एसएलपी दायर करनी पड़ी तो हम राजस्थान का पक्ष प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने के लिए बढ़िया से बढ़िया वकील की सेवाएं लेंगे. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही इस समस्या का संभावित सभी स्तरों से हल निकालने का प्रयास किया जा रहा है.

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मंत्री जोगाराम ने कहा कि यदि पूर्ववर्ती सरकार सकारात्मक प्रयास करती तो आज यह नौबत नहीं आती. हमारी सरकार ने आते ही इस मामले को प्रमुखता से लिया औैर स्टेट एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (SEIAA) में बहुत कम समय में ही आवेदन करवाने के बाद परिवेश पोर्टल पर 11553 फार्म-2 अपलोड करवाए जा चुके हैं. हमारी सरकार की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि सरकार बनते ही हमने प्रकरणों की अधिकता और लीजधारकों और क्वारी लाइसेंसधारकों के पुनर्मूल्यांकन कार्य की अधिकता को देखते हुए पहले से स्थापित दो स्टेट एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी (SEAC) के अतिरक्त 11 जून, 2024 को अधिसूचित कर अलग से जोधपुर और उदयपुर में SEAC स्थापित की गई. इससे कार्य में गति भी आई, चारों SEAC द्वारा निरंतर कार्य कर लगभग 6,500 प्रकरण परीक्षण कर प्रक्रिया में लाए गए हैं.

मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को रोजगार की चिंता नहीं करनी चाहिए. हमारी सरकार ने रोजगार के नित नए अवसर उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है. जिला स्तर से स्वीकृतियां प्राप्त खानों को राज्य स्तर से स्वीकृतियां प्राप्त करने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश आज या हमारी सरकार के आने के बाद के नहीं हैं. ये आदेश दिसम्बर 2022 में ही जारी हो गए थे.

पूर्ववर्ती सरकार ने एनजीटी के आदेश आने के बाद भी न तो 23 हजार खानों की चिंता की और न ही इनसे रोजगार पा रहे 15 लाख श्रमिकों के भविष्य की चिंता की. यहां तक कि पूर्ववर्ती सरकार ने इतने महत्वपूर्ण प्रकरण पर किसी तरह की कार्रवाई करना भी उचित नहीं समझा. जोगाराम ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को स्पष्ट हो जाना चाहिए कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य में किसी प्रकार से रोजगार की कमी नहीं आने दी जाएगी. पूरा प्रकरण राज्य सरकार के संज्ञान में होने के साथ ही राज्य सरकार गंभीर है. सभी संबंधित खान धारकों से भी आग्रह किया है कि वे पर्यावरण विभाग के पोर्टल परिवेश पर फार्म-2 भरकर 7 नवंबर तक आवष्यक रूप से अपलोड कर दें.

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