डिंडौरी। मिलेट्स को लेकर सुर्खियों में आईं एमपी के डिंडौरी की लहरी बाई एक बार फिर चर्चा में हैं. इसकी वजह यह है कि इस बार लहरी बाई के बीज बैंक को मध्य प्रदेश सरकार गणतंत्र दिवस परेड में झांकी के रूप में प्रदर्शित करने वाली है. यह बात जानकर लहरी बाई काफी खुश हैं. इसके पहले लहरी बाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने "प्लांट जीनोम सेवियर फार्मर पुरस्कार" से सम्मानित किया था.
गणतंत्र दिवस के परेड में लहरी बाई का बैंक
गणतंत्र दिवस 2024 की परेड में हर राज्य अपनी झांकी प्रस्तुत करता है. डिंडौरी जिले के कलेक्टर विकास मिश्रा ने बताया कि मध्य प्रदेश का संस्कृति विभाग बार अपनी झांकी में लहरी भाई के बीज बैंक को प्रदर्शित करने वाला है. वहीं विकास मिश्रा का कहना है कि इसमें गौड़ पेंटिंग को भी जगह दी गई है. इसके साथ ही रीवा की फाइटर पायलट बेटी को भी जगह मिली है. विकास मिश्रा का कहना है कि यह हमारे जिले के लिए गौरव की बात है.
लहरी बाई बैगा जनजाति की महिला हैं. यह डिंडौरी जिले के सिलपड़ी गांव में रहती हैं. यह दूर दराज गांव जंगल के बीच में है. यहां आज भी कई प्राकृतिक फसलें उगाई जाती हैं. इन्हीं में से कुछ प्राकृतिक बीजों को लहरी बाई ने संरक्षित किया और इनका बैंक बना लिया. लहरी बाई के काम को अब मध्य प्रदेश अपनी पहचान मानकर झांकी के रूप में प्रदर्शित कर रहा है. इस बात को जानकर लहरी बाई काफी खुश हैं.
कैसे करता है लहरी बाई का बैंक कम
लहरी बाई का बैंक सामान्य बैंकों से थोड़ा सा हटकर है. इसमें कई किस्म के बीज हैं. जिन्हें साल भर संरक्षित करके रखा जाता है. इसके बाद इन्हें किसानों को बांटा जाता है. लेने वाले किसान भी ज्यादातर बैगा जनजाति के लोग होते हैं. यह लोग इन बीजों को अपने खेतों में उगाते हैं और बाद में बैंक से जितना लिया था लगभग उससे दोगुना बैंक को वापस कर दिया जाता है. इससे बीज भी संरक्षित रहते हैं. उनकी मात्रा भी बढ़ती जाती है और लोगों में इस बात की जागरूकता भी फैल रही है कि प्राकृतिक बीजों की खेती करें.
श्री अन्न की उपाधि
लहरी बाई ने जो बीज इकट्ठा किए उसकी वजह से संजोए गए बीज हमारी दुनिया में मिलेट्स के नाम से जाने जाते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे श्री अन्न का नाम दिया. मिलेट्स आज डिंडौरी से निकलकर पहले भारत में प्रसिद्ध हुआ और इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे अंतर्राष्ट्रीय बना दिया. जी-20 के दौरान मिलेट्स को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली. इस साल को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. भारत का यह श्रीअन्न अब पूरी दुनिया में अपनी पहचान बन चुका है. सरकार की कोशिश यह है कि इसके उत्पादन को बढ़ावा मिले. इससे न केवल लोगों को मिनरल्स और प्राकृतिक गुना से भरपूर अनाज मिल सकेगा, बल्कि दूर दराज ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिवासी जनजाति के लोगों को आर्थिक मदद मिल पाएगी.
लहरी बाई ने जिन प्राकृतिक बीजों को संरक्षित किया. उनमें कोदो, कुटकी, कोदो सफेद केतकी, साकिया लाल कांग चावल गड़ियां सल्जर जंगली अरहर नीली सफेद अरहर इस तरह के कई जंगली अनाज हैं. जो लहरी बाई और उनके साथियों द्वारा जंगल से एकत्रित किए गए. अब इनकी धीरे-धीरे पूरी दुनिया में मांग बढ़ रही है हालांकि इनका उत्पादन उतना नहीं है जितनी लोगों को जरूरत है.