लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने दुग्ध समितियों की सुविधा के लिए ऐलान किया है कि एक माह के अंदर हरहाल में उनका चाहे कितना बड़ा ही भुगतान क्यों न फंसा हो उसका निराकरण कर दिया जाएगा. कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह बुधवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित विभागीय सम्मान समारोह में शामिल हुए थे. इस दौरान उन्होंने यह घोषणा की.
इस मौके पर उन्होंने वर्ष 2022-23 में प्रदेश के सर्वाधिक दुग्ध आपूर्तिकर्ता 66 दुग्ध उत्पादकों को गोकुल पुरस्कार से सम्मानित किया. गाय के सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले 48 दुग्ध उत्पादकों को नन्दबाबा पुरस्कार से नवाजा. बुधवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में पुरस्कृत सभी 114 दुग्ध उत्पादकों को प्रतीक चिन्ह, पुरस्कार धनराशि प्रमाण-पत्र देकर प्रोत्साहित किया.
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि भारतीय गोवंशीय देशी गाय के दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है. गोवंश का संरक्षण और संवर्धन राज्य सरकार की प्राथमिकता है. धर्मपाल सिंह ने दुग्ध उत्पादकों से दुग्ध समितियों के माध्यम से व्यवसाय करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि एक माह के अंदर दुग्ध समितियों के दुग्ध मूल्य का भुगतान कराया जायेगा.
कार्यक्रम में गोकुल पुरस्कार के अंतर्गत लखीमपुर-खीरी निवासी और वेलवा मोती समिति के वरुण सिंह को राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार और मेरठ के रहने वाले रुहासा दुग्ध समिति के हर्ष मित्तल को द्वितीय पुरस्कार मिला. इन दोनों दुग्ध उत्पादकों को दो लाख रुपये और 1.50 लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी गई. अन्य चयनित लाभार्थियों को जनपद स्तरीय पुरस्कार के तहत 51 हजार रुपये की राशि प्रदान की गई.
नंदबाबा पुरस्कार के तहत अयोध्या निवासी उधौली दुग्ध समिति के लवलेश कुमार को राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित करते हुए पुरस्कार स्वरूप 51 हजार रुपये की राशि प्रदान की गई. जनपद स्तरीय पुरस्कार के तहत 21 हजार रुपये की राशि दुग्ध उत्पादकों को दी गई. इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि पुरस्कृत 114 दुग्ध उत्पादकों में से 26 महिला लाभार्थी है, जो दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में महिलाओ की भागीदारी का एक सशक्त उदाहरण है.
उन्होंने कहा कि दूध प्रोसेसिंग की कमियों को दूर करने, किसानों को प्रशिक्षण देने और दुग्ध उत्पादन में नई तकनीक व नई जानकारी देने का कार्य विभाग कर रहा है, जिससे प्रति पशु दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि हो रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में दुग्ध सहकारिता के माध्यम से पशुपालन और दुग्ध व्यवसाय को कृषि के सहयोगी व्यवसाय के रुप में अपनाया जा रहा है. वर्तमान में दुग्ध व्यवसाय शहरी और ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बन चुका है. यह किसानों और पशुपालकों की आय दोगुना करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अपनी बड़ी भूमिका का निर्वहन कर रहा है.
इस मौके पर पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के प्रमुख सचिव के. रविन्द्र नायक ने कहा कि दुग्ध समितियों के भुगतान को प्राथमिकता दी जाएगी और निष्क्रिय समितियों को पुनर्जीवित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं. प्रमुख सचिव ने बताया कि गोकुल पुरस्कार के तहत दुग्ध विकस के अन्तर्गत दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने के लिए कृषकों को प्रोत्साहन देने के लिए गोकुल पुरस्कार का वितरण वित्तीय वर्ष में किया जाता है. गोकुल पुरस्कार के चयन के लिए वे ही दुग्ध उत्पादन पात्र होते हैं जो वित्तीय वर्ष 5000 लीटर या इससे अधिक दूध दुग्ध समिति में आपूर्ति करते हों.
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