जयपुर: माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है, जिसमें सिर के दोनों या एक ओर रुक-रुक कर भयानक दर्द होता है. माइग्रेन 2 घंटे से लेकर कई दिनों तक बना रहता है. माइग्रेन सिरदर्द दूसरे सिरदर्द की तुलना में अधिक होता है. माइग्रेन मूल रूप से न्यूरोलॉजिकल समस्या है. शरीर में कुछ न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitters) का उत्पादन भी माइग्रेन का कारण हो सकता है. माइग्रेन के समय दिमाग में रक्त का संचार बढ़ जाता है, जिससे व्यक्ति को तेज सिरदर्द होने लगता है.
माइग्रेन के लक्षण : माइग्रेन के दौरान सिर में फड़कता हुआ दर्द ज्यादातर सिर के एक हिस्से से शुरू होता है. जो लोग माइग्रेन के सिरदर्द से पीड़ित हैं, वे आमतौर पर नियमित गतिविधियों को करने में असमर्थता, आंखों में दर्द, मतली और उल्टी भी अनुभव करते हैं. वे प्रकाश, ध्वनि और गंध परिवर्तनों के प्रति अति संवेदनशील हो सकते हैं. दिन भर बेवजह उबासी आना भी माइग्रेन का लक्षण है. माइग्रेन सिरदर्द से पीड़ित लोगों को ऑरा (Aura) का अनुभव होता है. उन्हें संवेदना की अस्थायी कमी या पिंस और सुइयां चुभने की भावना महसूस होती है.
माइग्रेन का दर्द होने पर नींद अच्छे से नहीं आती है, थकान महसूस होती है, लेकिन नींद नहीं आती है. माइग्रेन के दौरान आंखों में भी भयानक दर्द होता है. पलकें झपकाने में भी बहुत जलन होती है. सिरदर्द के साथ मतली, उल्टी आना भी माईग्रेन के लक्षण होते हैं. माइग्रेन के दौरान मूड में परिवर्तन बहुत तेजी से होता है. कुछ मरीज अचानक बिना किसी के कारण बहुत ही उदास महसूस करते हैं या कभी ज्यादा उत्साहित हो जाते हैं.
माइग्रेन के कारण : हार्मोनल परिवर्तन को मेडिकल साइंस माइग्रेन का मुख्य कारण मानता है. किसी महिला के शरीर में होने वाले मेजर हार्मोनल परिवर्तन माइग्रेन सिरदर्द की शुरुआत में योगदान कर सकते हैं. मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति जैसे विभिन्न कारणों से एक महिला के शरीर में बहुत सारे हार्मोनल परिवर्तन होते हैं. अस्थिर हार्मोनल स्तर कभी-कभी सिरदर्द का कारण हो सकता है. एक अध्ययन के अनुसार माइग्रेन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है.
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तनाव के कारण होता है माइग्रेन : सवाई मानसिंह अस्पताल की सीनरी न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर मनीष अग्रवाल के मुताबिक तनाव को माइग्रेन सिरदर्द के साथ जोड़ा गया है. तनाव का आपके मस्तिष्क पर सीधा प्रभाव पड़ता है. कभी-कभी मस्तिष्क कुछ पदार्थों को रिलीज करता है, जो माइग्रेन सिरदर्द पैदा कर सकते हैं. अत्यधिक नींद या पर्याप्त नींद नहीं मिलना भी माइग्रेन का एक कारण माना जाता है.
मेडिकल रिसर्च में यह भी पाया गया है कि जो लोग कैफीन पर अत्यधिक निर्भर रहते हैं, वे बहुत ज़्यादा सिरदर्द का अनुभव करते हैं. जब वे अचानक कैफीन लेना बंद कर देते हैं, कॉफी का अत्यधिक सेवन अचानक से बंद करना भी इसका एक कारण हो सकता है. इसके अलावा वातावरण में परिवर्तन भी माइग्रेन का एक मुख्य कारण माना जाता है. कभी-कभी अत्यधिक तेज ध्वनि और शोर माइग्रेन सिरदर्द का कारण बन सकता है. अस्थिर रोशनी और अधिक बदबू भी गड़बड़ी पैदा कर सकती है. अत्यधिक धूप से भी माइग्रेन सिरदर्द हो सकता है. तापमान में परिवर्तन जैसे अत्यधिक गर्मी या अत्यधिक ठंड का मौसम भी माइग्रेन का एक कारण हो सकता है.
शराब का दुष्परिणाम है माइग्रेन सिरदर्द : धूम्रपान या शराब का अधिक सेवन भी माइग्रेन को पैदा करने के लिए काम कर सकते हैं. आहार भी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है, जैसे मीठे खाद्य पदार्थ चॉकलेट, बेहद मसालेदार और गर्म भोजन खाने से समस्याएं हो सकती है.
माइग्रेन से बचाव : पूरे विश्व में हर साल अरबों लोग माइग्रेन के सिरदर्द की समस्या से पीड़ित होते हैं. हालांकि, माइग्रेन एक बहुत ही सामान्य विकार है. इसका सही कारण और इलाज अभी तक स्थापित नहीं हुआ है. हार्मोनल परिवर्तन, तनाव आदि माइग्रेन के सिरदर्द के कारण माने जाते हैं. अपनी जीवनशैली को ध्यान में रख कर इस समस्या को बड़ी मात्रा में नियंत्रित किया जा सकता है. कई बार देखा गया है कि यदि आप संतुलित आहार का सेवन करते है तो माइग्रेन के सिरदर्द की समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं.
अक्सर लोग अपने आहार में चॉकलेट, पनीर, सोया उत्पादों, कैफीन, शराब, आदि को शामिल करते हैं. अगर आपको माइग्रेन ही समस्या है, तो इन में से किसी भी आहार का सेवन न करें. इसके अलावा, मैग्नीशियम में समृद्ध हरी पत्तेदार सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें और खट्टे फल के सेवन से बचें. ताजा पका हुआ खाना ही खाएं और बासी बचे हुए आहार का सेवन न करें. हाइड्रेटेड रहने के लिए पूरे दिन में कम से कम 7 गिलास पानी का सेवन करें.
कुछ मामलों में कॉफी का सेवन सिर दर्द की समस्या से आराम दिलाने में मदद कर सकता है, लेकिन अगर कॉफी को अपने आहार में शामिल करते हैं तो इसमें मौजूद कैफीन माइग्रेन की समस्या को और बढ़ा सकती है. बहुत नमक के साथ तले हुए भोजन के सेवन से बचने की कोशिश करें. अपने आहार में ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन बी जैसे पोषक तत्वों को शामिल करें. शराब के सेवन से बचें, क्योंकि यह माइग्रेन की समस्या को और बढ़ा सकता है.
माइग्रेन के इलाज के लिए पर्याप्त नींद लें : अपना पसंदीदा टीवी सीरियल देखने के लिए रात में जागना माइग्रेन की समस्या के लिए अच्छा नहीं है. नींद का अभाव माइग्रेन के लिए ट्रिगर के रूप में काम करता है. यह माइग्रेन की समस्या को और बढ़ा सकता है. अच्छे स्वास्थ्य के लिए निश्चित समय पर हर दिन पर्याप्त नींद आवश्यक है पर ज्यादा सोना भी आप के शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है. आप जानते हैं, माइग्रेन दर्द के लिए तनाव ट्रिगर के रूप में कार्य करता है. इस समस्या से निजात पाने के लिए एक्सरसाइज बहुत ही अच्छा तरीका है. एक्सरसाइज आपके तनाव और नकारात्मक विचार को खत्म करने में मदद करती है. जब वर्कआउट करते हैं, तो आपके शरीर से अच्छा हार्मोन निकलता है. जिसके कारण मनोदशा सुधरती है. योग आपके आंतरिक तनाव को दूर करने के लिए बहुत ही अच्छा तरीका है. यह मन को आराम दिलाने और तनाव को शांत करने में मदद करता है.
माइग्रेन सिरदर्द में अत्यधिक दवा का सेवन न करें : यदि कोई व्यक्ति जो असहनीय दर्द का अनुभव करता हैं, तो उसे दर्द से निजात पाने के लिए दवा की आवश्यकता होती है. इस स्थिति में भी दवा लेने से पहले एक बार सोचना चाहिए. यदि आप दवा का सेवन बहुत ज्यादा और बार-बार कर रहे है, तो इससे स्थिति बिगड़ सकती हैं. अपने माइग्रेन के उपचार में उपयोग करने वाले दवा के बारे स्वास्थ्य और उसके हानिकारक परिणाम के बारे में अपने चिकित्सक से परामर्श करें.
माइग्रेन की समस्याओं के लिए शोर से बचें : यदि आप माइग्रेन की समस्या से पीड़ित हैं तो आप शायद उन चीजों से बचना चाहिए, जो सिरदर्द का कारण बन सकता है. इसके लिए जगमगाती रोशनी, बहुत अधिक शोर और बहुत अधिक सूर्य की रोशनी वाले क्षेत्रों से बचने की कोशिश करना चाहिए.
माइग्रेन का परीक्षण कैसे करें ? : अगर आपको माइग्रेन है या आपके पारिवारिक इतिहास में माइग्रेन रहा है, तो स्नायु-विशेषज्ञ (Neurologist) आपके माइग्रेन का निदान आपके मेडिकल इतिहास, लक्षण, शारीरिक और स्नायविक परिक्षण के अनुसार करेंगे. आपकी स्थिति असामान्य और जटिल है या आपका दर्द एकदम अपने आप बढ़ जाता है, तो डॉक्टर आपको और परिक्षण कराने की सलाह देंगे, जिससे कि वह आपके होने वाले दर्द के संभावित कारणों का पता लगा सकें.
- खून की जांच (Blood Test) : डॉक्टर आपको खून की जांच कराने के लिए कह सकतें हैं, जिसमें Nimnlikhit Kaarakon के बारे में जांच की जाएगी. आपकी रक्त कोशिकाओं से संबंधित कोई दिक्कत, रीढ़ की हड्डी या दिमाग में संक्रमण, आपके शरीर में विषाक्त पदार्थों का स्तर.
- मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging; MRI) : मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग से डॉक्टर निम्नलिखित स्थिति का पता लगा सकतें हैं. जैसे कि ट्यूमर (Tumors), स्ट्रोक (Stroke), दिमाग में खून बहना, संक्रमण, दिमागी और तंत्रिका तंत्र की स्थिति.
- स्पाइनल टैप (Spinal Tap, रीढ़ की हड्डी में से तरल पदार्थ इकठ्ठा करके उसे जांचना) : यदि डॉक्टर को संक्रमण, मस्तिष्क में खून बहने या अन्य गंभीर स्थिति का संदेह हो, तो डॉक्टर आपको स्पाइनल टैप कराने का सुझाव दे सकतें हैं. इस प्रक्रिया में मस्तिष्क मेरु तरल पदार्थ का एक सैंपल निकालने के लिए निचले हिस्से में दो कशेरुकाओं (Vertebrae) के बीच एक पतली सुई डाली जाती है. इस तरल पदार्थ की जांच फिर एक लैब में की जाती है.