पटनाः बिहार के पटना में मेट्रो रेल का ख्वाब जल्द ही पूरा होने वाला है. पटना के लोग दोनों तरफ से यानी की ऊपरी तरफ से भी और जमीन के अंदर भी मेट्रो का लुफ्त उठाएंगे. पटना मेट्रो रेल परियोजना की तरफ से अपने किए जा रहे काम को दिखाया गया है. किस तरह से जमीन के अंदर स्टेशन बनेंगे? किस तरह से उस स्टेशन के जरिए ट्रेन का आवागमन होगा? उसे आवागमन के लिए कैसे टनल बनाया जा रहे हैं? इसको पूरे विस्तार के साथ बताया गया है.
ग्राउंड जीरों पर ईटीवी की टीमः पटना के लोगों के लिए यह खुशखबरी है कि पटना मेट्रो रेल परियोजना दो भागों में चल रहा है पहला कॉरिडोर पटना के दानापुर स्टेशन से है और दूसरा कॉरिडोर नए बस अड्डा से है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक जो दूसरा कॉरिडोर है उसमें काम तेजी से चल रहा है और बताया यह जा रहा है कि बहुत जल्द यानी कि अगले दो से तीन सालों में दूसरे कॉरिडोर को शुरू किया जा सकता है.
जल्द पूरा होगा मेट्रो रेल का काम: ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो, जहां मेट्रो रेल का काम चल रहा है वहां गई थी. बताया यह जा रहा है कि काम थोड़ा धीरे जरूर चल रहा है लेकिन काफी सावधानी के साथ किया जा रहा है. काम धीरे चलने की वजह यहां की मिट्टी बताई जा रही है. पटना की मिट्टी चिकनी है और वह कटने भी काफी दिक्कत देती है. ऐसे में रोजाना 10 से 11 मीटर तक ही टनल का काम हो पता है.
चिकनी मिट्टी की वजह से हो रही है देरी : ईटीवी की टीम ने पटना मेट्रो रेल परियोजना पदाधिकारी दलजीत सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि पटना के मोइन उल हक स्टेडियम स्टेशन से टनल का काम 800 मी हो चुका है और जिस गति से काम चल रहा है मार्च तक यह टनल पटना विश्वविद्यालय तक पहुंच जाएगा. टनल में जो TBM लगाई गई है, जिससे मिट्टी काटी जाती है उसे फिर पटना विश्वविद्यालय के दूसरे छोड़ के टनल बनाने के काम में लगाया जाएगा.
"जो TBM है वह एवरेज रोज 10 मी टनल बना पा रहा है. यहां की मिट्टी काफी चिकनी है. जिसमें पानी मिला हुआ होता है. यह मिट्टी काफी चिपकती है. यह कटर में चिपक जाती है. इसलिए मिट्टी काटने में दिक्कत होती है. लेकिन इसमें फॉर्म वगैरह डालकर इसे सॉफ्ट करके काटा जा रहा है"- दलजीत सिंह, पदाधिकारी, मेट्रो रेल परियोजना
2026-27 में हो सकता है एक कोरिडोर शुरु: जब दलजीत सिंह से यह पूछा गया कि यह परियोजना कब तक शुरू होगी तो उन्होंने बताया कि यह पहला चरण है. अभी सिविल का काम होना बाकी है. इसके बाद पटरी बिछती है, उसके बाद जिस ट्रेन को करंट मिले, वह तार बिछाई जाती है, ट्रेन को लाया जाना है, फिर सिग्नल लगाना है, यह सारा काम समय पर हुआ तो 2026-27 तक उम्मीद जताई जा रही है कि लोग ट्रेन पर यात्रा कर सकेंगे.
'बहुत सावधानी से करना पड़ता है काम': दलजीत सिंह ने बताया कि अभी तक पटना मेट्रो से वंचित था. दूसरे सिटी में मेट्रो काम कर रहा है. आने वाले दो-तीन साल में पटना इंडिया के वन ऑफ द सिटी में शामिल हो जाएगा. जब मेट्रो शुरू हो जाएगा तो यहां का ग्रोथ भी काफी तेजी से होगा. जब दलजीत सिंह से पूछा गया कि पटना में क्या दिक्कत हो रही है तो, उन्होंने बताया कि यहां दिक्कत तो नहीं हो रही है. पहले जमीन का मामला था जिसे सुलझा लिया गया है. TBM समय पर मिल गया है. बजट में भी कोई प्रॉब्लम नहीं है. यह अर्बन इलाका है. यह ग्रीन्स फील्ड नहीं है जिसमें कुछ भी किया जा सकता है.
15 किलोमीटर तक पहले चरण में होगी यात्राः काम के दौरान दलजीत सिंह ने बताया कि शहर में कई बातों का ध्यान रखना होता है. रेल जमीन के अंदर से जाती है तो लोगों के सीवरेज से लेकर समरसेबल का भी ध्यान रखना होता है. उसको शिफ्ट करना होता है. रोड के नीचे स्टेशन बनाना है तो ट्रैफिक को डाइवर्ट करना होता है. चैलेंज है प्लानिंग के मुताबिक काम करने से यह चैलेंज कम होते हैं. जब यह शुरू होगा तो लगभग 15 किलोमीटर तक लोग पहले चरण में यात्रा कर सकेंगे. उसके अगले 1 साल में कॉरिडोर वन भी स्टार्ट कर लिया जाएगा.
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