नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के सेक्टर 62 स्थित नैनीताल बैंक के आरटीजीएस ( रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) चैनल को हैक करके 16 करोड़ 95 लाख रुपये की जालसाजी करने वाले गिरोह के एक आरोपी को साइबर क्राइम थाने की टीम ने शुक्रवार को गाजियाबाद के लाल कुआं के पास से गिरफ्तार कर लिया. गिरोह में शामिल अन्य आरोपियों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है. विवेचना के दौरान गिरफ्त में आए आरोपी का नाम प्रकाश में आया था. आरोपी की पहचान दादरी निवासी हर्ष बंसल के रूप में हुई है.
नैनीताल बैंक की जालसाजी में एक आरोपी की गिरफ्तार पर एसीपी साइबर क्राइम विवेक कुमार रंजन ने बताया कि आरोपी हर्ष ने पूछताछ में बताया कि शुभम बंसल उसका बड़ा भाई है और वह सीए है. उसका कार्यालय गाजियाबाद के लोहा मंडी में बी शुभम एंड एसोसिएट के नाम से है. हर्ष का एक दोस्त संजय कुमार है. तीनों को पैसों की आवश्यकता थी. कई जगह लोन लेने का तीनों ने प्रयास किया, पर किन्हीं कारणों से लोन नहीं मिल सका.
आरोपी हर्ष का भाई शुभम बंसल सीए उसने ही बनाया जालसाजी का प्लान
इसके बाद हर्ष और शुभम ने अपने अन्य साथियों के साथ योजना बनाई कि कुछ फर्जी फर्म खोलकर उनके नाम से करंट खाते खुलवाकर नैनीताल बैंक के सर्वर को हैक कराकर उनमें पैसा ट्रांसफर कराना है. जिनको अन्य खातों में ट्रांसफर कराकर एटीएम के जरिए रकम निकाल ली जाएगी. इसमें सभी शामिल लोगों को उनका हिस्सा मिलेगा. शुभम बंसल सीए का काम करता है और इन कामों को बहुत अच्छी तरह से जानता है. उन पर हर्ष और उसके साथी ने विश्वास करते हुए योजना को अंतिम रूप देने का खाका तैयार किया.
शुभम बसंल के कार्यालय बी शुभम एंड एसोसिएट को किया गया सील
इसके लिए पहले हमने खाता खोला. शुभम बंसल ने सत्यराज कांट्रेक्टर के खाता संख्या में 19 जून को 99 लाख 80 हजार 500 ट्रांसफर करवाए थे. जिनको अन्य खातों में ट्रांसफर कराकर हर्ष को कमीशन के 6 लाख रुपये दिए गए थे. इस पैसों से हर्ष ने अपना कर्जा चुका दिया. एसीपी ने बताया कि इस मामले में शुभम बसंल के कार्यालय बी शुभम एंड एसोसिएट को सील किया गया है. अब तक इस मामले में दो करोड़ आठ हजार रुपये फ्रीज कराए गए हैं. विवेचना के दौरान जिन आरोपियों के नाम आए हैं, उनकी गिरफ्तारी के लिए दो टीमें गठित हैं .जो संभावित ठिकानों पर लगातार दबिश दे रही हैं.
ऐसे किया था फर्जीवाड़ाः नोएडा के सेक्टर-62 स्थित नैनीताल बैक के आईटी मैनेजर सुमित कुमार श्रीवास्तव की शिकायत पर साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. इसमें बताया गया कि बैंक में जून महीने में बैलेंस शीट का मिलान किया जा रहा था. 17 जून को आरबीआई सेटलमेंट आरटीजीएस खाते के नियमित समाधान के दौरान बैलेंस सीट में 3 करोड़ 60 लाख 94 हजार 20 रुपये का अंतर पाया गया. इसके बाद आरटीजीएस टीम ने (स्ट्रक्चर्ड फाइनेंशियल मैसेजिंग सिस्टम) एसएफएमएस सर्वर के साथ सीबीएस (कोर बैंकिंग सिस्टम) में लेनदेन की जांच की गई.
ये भी पढ़ें : केजरीवाल के करीबी आईएएस अधिकारी पर हस्ताक्षर जालसाजी मामले में केस चलाने की LG ने दी मंजूरी -
इस दौरान पाया गया कि सीबीएस (कोर बैंकिंग सिस्टम) और एसएफएमएस (स्ट्रक्चर्ड मैसेजिंग सिस्टम) में कुछ खामियां हैं. 20 जून को जब आगे की जांच की गई तब पता चला कि जिस बैलेंस सीट में गड़बड़ी मिली है. इसमें 85 फीसदी लेनदेन कैश में की गई है. इसके बाद आगे की जांच में पता चला कि 16 करोड़ एक लाख 83 हजार 261 रुपये की धोखाधड़ी हुई है. यह रकम बैंक से 84 बार में अलग अलग खातों में भेजी गई है. कुल मिलाकर करीब 17 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई. मामले की तकनीकी जांच बैंक और भारत सरकार की एजेंसी कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम सर्च इन कर रही है.
ये भी पढ़ें : क्रिप्टो ट्रेडिंग में रिटर्न देने के नाम पर ठगे 91 लाख, IFSO ने सात शातिरों को किया गिरफ्तार