मेरठ: हास्य कलाकार सुनील पाल के अपहरणकर्ताओं को पकड़ने में असफल रहने के बाद जिले की एसओजी को भंग करने वाले मेरठ के एसएसपी डॉक्टर विपिन ताड़ा ने बड़ा निर्णय लेते हुए जिले में तीन - तीन स्वाट टीम बनायी हैं. हालांकी जिले में एक ही एसओजी की टीम हुआ करती है.
साल 2024 के आखिर में मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉक्टर विपिन ताड़ा ने जिले की स्वाट टीम को भंग कर दिया था. इसके पीछे की वजह यह मानी जा रही थी कि फिल्म अभिनेता सुनील पाल और मुश्ताक अहमद का अपहरण कर फिरौती वसूलने की वारदात के बाद जनपद पुलिस नाकाम रही थी. एसओजी को तब पुलिस कप्तान ने अपहरणकर्ताओं को पकड़ने के लिए जिम्मेदारी दी थी. लेकिन, स्वाट टीम हाथ मलती रह गई थी, जबकि बिजनौर जिले की पुलिस ने अपहरणकर्ताओं को पकड़ लिया था.
अब एक बार फिर जिले में एसएसपी डॉ. विपिन ताड़ा ने अपराधों की रोकथाम और अपराधियों पर नकल कसने के इरादे से एक नहीं बल्कि जिले में तीन स्वाट टीम बनाई हैं. इन तीनों टीमों को पुलिस महकमे के जिले के तीन अलग अलग अफसर देखेंगे. उन्हीं के पर्यवेक्षण में ये टीमें काम करेंगी. ईटीवी भारत को एसएसपी ने बताया कि टीम में तेज तर्रार पुलिस कर्मियों को शामिल किया गया है. जो तीन टीम बनाई गई हैं वे टीमें एसपी क्राईम, एसपी सिटी और तीसरी एसपी देहात के निर्देशन में कार्य करेंगी.
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बता दें कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉक्टर विपिन ताड़ा ने ऐसे पुलिस कर्मियों को स्वाट टीमों में शामिल किया है जो एसओजी में आने के इच्छुक थे. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का कहना है कि तीन स्वाट टीमों का गठन किया गया है. तीनों के अलग अलग प्रभारी नियुक्त किये गये हैं. ये टीम एसपी क्राइम अवनीश कुमार के निर्देश पर काम करेंगी.
वहीं दूसरी टीम के प्रभारी इंस्पेक्टर अरुण कुमार को बनाया गया है. उनके अतिरिक्त इस टीम में एक सब इंस्पेक्टर मानवेंद्र सिंह के अलावा दो हेड कांस्टेबल व चार कांस्टेबल को रखा गया है. इस टीम के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह को दी गई. वहीं जो तीसरी स्वाट टीम है वह एसपी देहात राकेश कुमार मिश्रा के पर्यवेक्षण में काम करेगी. तीसरी स्वाट टीम की कमान इंस्पेक्टर सुमन कुमार सिंह को दी है. इस टीम में चार हेड कांस्टेबल और एक कांस्टेबल शामिल किए गए हैं.
एसएसपी विपिन ताडा का कहना है कि आपराध पर अंकुश लगाने के लिए तीन स्वाट टीमों का गठन किया गया है. गौरतलब है कि दो दिन पूर्व डीआईजी कलानिधि नैथानी ने रेंज के जिलों के अफसरों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि कई बार ऐसा भी पाया गया कि थाना कोतवाली स्तर से भी एसओजी बना ली जाती है. ऐसा कतई न हो और सभी पुलिस कर्मी वर्दी में रहें. अगर किसी खास ऑपरेशन के लिए बिना वर्दी के पुलिस कर्मियों को रहना होगा तो उसके लिए जिले के महकमे के उच्च अधिकारियों की परमिशन जरूरी होगी. फिलहाल, अब मेरठ में तीन स्वाट टीम बनने के बाद बेहतर पुलिसिंग और अपराध पर नियंत्रण के लिए उठाया गया वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का यह खास इंनिशिएटिव माना जा रहा है.
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