मेरठ : आपने तमाम ऐसे बैंकों के बारे में सुना होगा जहां रुपयों पैसों का लेनदेन होता है, लेकिन मेरठ में एक ऐसा भी बैंक है जहां पर लोग अपनी जरूरत के मुताबिक कपड़े जमा करते हैं. इसके बाद यह कपड़े जरूरतमंद लोगों में निशुल्क बांटे जाते हैं. यह बैंक अपने संसाधनों से भी कपड़े जुटाता है.
जरूरतमंद लोगों के लिए बड़ा सहारा है क्लॉथ बैंक : मेरठ में आरजी पीजी कॉलेज के नजदीक में संचालित क्लॉथ बैंक जरूरतमंद लोगों के लिए बड़ा सहारा बना हुआ है. खास तौर से ऐसे जरूरतमंद जिनके पास तन ढकने के लिए भी कपड़े तक नहीं होते हैं. इस क्लॉथ बैंक में लगभग 7000 से भी ज्यादा कपड़े हैं. यहां लोगों द्वारा स्वेच्छा से दान किए गए कपड़े हैं. इसके अलावा बैंक से जुड़े वॉलिंटियर्स और समाजसेवियों के द्वारा कपड़े में जमा किए जाते हैं. हर दिन कई लोग आते हैं और अपनी जरूरत के मुताबिक कपड़े चुनकर ले जाते हैं.
कूपन से मिलते हैं कपड़े : क्लॉथ बैंक का संचालन करने वाले अमित अग्रवाल ने बताया कि कई वर्षों से यह क्लॉथ बैंक चलाया जा रहा है. पहले विभिन्न इलाकों में जाकर कपड़े वितरित किए जाते थे. बाद में धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए और अब सामूहिक तौर पर मिलकर कुछ लोगों के सहयोग से सेपरेट क्लॉथ बैंक बना दिया गया है. यहां आकर कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति कपड़े ले सकता है. इसके लिए शहर में क्लॉथ बैंक से जुड़े हुए वॉलिंटियर्स और समाजसेवी हैं, जिनके पास में एक कूपन बुक रहती है. जहां भी वे लोग किसी जरूरतमंद व्यक्ति को देखते हैं तो उसे कूपन देते हैं. इसी कूपन पर क्लॉथ बैंक से चार कपड़े दे दिए जाते हैं.
अभियान में लगातार जुड़ रहे लोग : अमित के अनुसार क्लॉथ बैंक के संचालन में कई अन्य लोग सहयोग कर रहे हैं. अब कई वर्ष हो चुके हैं और उनके संपर्क में काफी लोग हैं. इसके अलावा समय-समय पर प्रचारित भी किया जाता है कि जो भी ऐसे लोग हैं, उनके घर में अगर अतिरिक्त कपड़े हैं तो वह उन्हें क्लॉथ बैंक में दे सकते हैं. उनसे किसी जरूरतमंद को मदद मिल सकती है. इसके बाद से स्वेच्छा से दान करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हमारी कोशिश है कि जो भी जरूरतमंद कहीं भी मिले उसे इस क्लॉथ बैंक के माध्यम से मदद की जाए.
ऐसे आया क्लाथ बैंक खोलने का आइडिया : क्लॉथ बैंक चलाने का आइडिया तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार के दिशा निर्देश के बाद आया था. इसके पीछे मंशा थी कि जो गरीब और जरूरतमंद है उनको कपड़े आसानी से उपलब्ध हो सकें. इसके लिए काफी वाॅलंटियर्स और समाजसेवा आगे आए और यह सिलसिला चल पड़ा. क्लॉथ बैंक के संचालन से जुड़े लोग बताते हैं कि पहले कपड़े गरीब बस्तियों में जाकर दान करने की कोशिश की जाती थी, लेकिन वहां कुछ लोग कपड़े सभी लोगों के सामने लेने में संकोच करते थे. जिसके बाद क्लॉथ बैंक की शुरुआत की गई. हालांकि अब भी कई इलाकों में कपड़े वितरित किए जाते हैं. इसके लिए पहले से ही स्थानों का चयन कर लिया जाता है .
कपड़े दान करने से पहले करें यह काम : क्लॉथ बैंक में अपनी सेवा दे रहे प्रिंस बताते हैं कि उनके द्वारा सभी से यह अनुरोध रहता है कि जो भी व्यक्ति यहां स्वेच्छा से कपड़े दान करने आ रहे हैं. वह उन कपड़ों को एक बार धोकर औऱ आयरन करके और अच्छे से पैकिंग करके ले आएं. ताकि उनका अच्छे से रखरखाव हो सके और जब वह किसी जरूरतमंद को उन कपड़ों को दान करें तो उन्हें भी अच्छा लगे. फिलहाल क्लॉथ बैंक में हर दिन लोग पहुंचते हैं और सर्दी सीजन में तो गर्म कपड़ों की काफी डिमांड बढ़ गई है. यहां न सिर्फ सर्दी में बल्कि गर्मी में भी जरूतमंद लोग आकर अपनी स्वेच्छा से अपने लिए निःशुल्क कपड़े लेने आते हैं.
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