वाराणसी: काशी को चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई सौगात मिलने जा रही है, जिसकी शुरुआत 23 फरवरी को होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना की नींव रखेंगे, जहां 150 करोड़ की लागत से कॉलेज के साथ 420 बेड का अस्पताल और हॉस्टल तैयार होगा.
इस अस्पताल के निर्माण के साथ ही वाराणसी सहित पूर्वांचल और अन्य आस-पास के जिलों व राज्यों के लाभ मिलने वाला है. मेडिकल कॉलेज के बन जाने से वाराणसी के पास दो बड़े चिकित्सा संस्थान हो जाएंगे. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय यहां पहले से ही है.
यहां मरीजों का भार होने के चलते एक नए बड़े अस्पताल की जरूरत थी. वाराणसी में चिकित्सा के क्षेत्र में बड़े काम हो रहे हैं. अस्पतालों में सुधार होने के साथ ही व्यवस्थाओं में भी सुधार किया जा रहा है. बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल में नए ब्लॉक का निर्माण किया गया, जिससे वहां बेडों की संख्या बढ़ी है.
इसके साथ ही पंडित दीनदायल उपाध्याय अस्पताल में उपकरणों को लेकर विशेष काम किए जा चुके हैं. वहीं जन औषधि केंद्र की भी स्थापना बीएचयू परिसर में की गई है. बीएचयू का अस्पताल पूर्वांचल का एम्स कहा जाता है.
मगर यहां पर मरीजों की संख्या अधिक होने के चलते दबाव अधिक था. ऐसे में एक और बड़े अस्पताल के निर्माण की तैयारी की गई है. ऐसे में बनारस में चिकित्सा कॉरिडोर तैयार होगा. प्रधानमंत्री एवं वाराणसी से सांसद नरेंद्र मोदी काशी दौरे पर आ रहे हैं.
ऐसे में वह 23 फरवरी को यहां पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए नींव रखेंगे. इस अस्पाल की लागत कुल ₹150 करोड़ रुपये अनुमानित की गई है. इसके साथ ही एकेडमिक एवं प्रशासनिक ब्लॉक-ए (जी+6), ब्लॉक-बी (जी+3), गर्ल्स हॉस्टल एवं ब्वॉयज हॉस्टल (जी+2), डाइनिंग हॉल (जी+1), इंटर्न ब्लॉक (पुरुष एवं महिला)- (जी+2) के साथ कुल 34,810.70 वर्गमीटर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जा रही है.
बता दें कि मानसिक चिकित्सालय परिसर में 420 बेड क्षमता के मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जा रही है. बीएचयू के अलावा एक बड़ा संस्थान वाराणसी में चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा कदम है, जिससे गंभीर रोग से ग्रसित मरीजों के इलाज एवं उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा.
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि वाराणसी में इस मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद इसका सीधा फायदा पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपद आजमगढ़, मऊ, बलिया, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, सोनभद्र, भदोही, मिर्जापुर, अंबेडकरनगर, प्रतापगढ़ एवं आसपास के जनपदों के मरीजों तथा पश्चिम बिहार, झारखंड, उत्तरी मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ तथा नेपाल के मरीजों को मिल सकेगा.
इससे न सिर्फ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल अस्पताल पर पड़ने वाला दबाव कम होगा, बल्कि मरीजों के लिए एक और बड़े मेडिकल संस्थान का ऑप्शन रहेगा.