शिमला: हिमाचल प्रदेश में टॉयलेट टैक्स के बाद अब नगर निगम ने पब्लिक शौचालयों में पुरुषों से यूरिन शुल्क वसूलने के प्रस्ताव को लेकर किनारा कर लिया है. बीते दिन सोमवार को नगर निगम के महापौर सुरेंद्र चौहान ने इसको लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और शिमला शहर के 25 से 30 सार्वजनिक शौचालयों में पुरुषों से यूरिन शुल्क वसूलने की बात कही थी जिसके लिए बकायदा 100 से 120 रुपये चार्ज कर कार्ड देने की बात कही थी.
इसका विरोध होने पर नगर निगम शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान ने मंगलवार 31 दिसंबर को एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने कहा "नगर निगम में किसी भी तरह के सार्वजनिक शौचालय में यूरिन शुल्क लेने के प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हुई है और ना ही भविष्य में इस तरह का शुल्क लगाने की नगर निगम की मंशा है."
सुलभ इंटरनेशनल ने कोर्ट में दायर की थी याचिका
मेयर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा "शहर में सार्वजनिक शौचालयों का रख-रखाव सुलभ इंटरनेशनल द्वारा किया जाता है. नगर निगम सुलभ इंटरनेशनल को इसके लिए प्रति वर्ष 2.47 लाख रुपये देता है." सुलभ इंटरनेशनल ने हाईकोर्ट में यूरिन शुल्क लेने को लेकर याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई हो रही है लेकिन नगर निगम अपनी ओर से यह पक्ष कोर्ट में रखने जा रहा है कि सार्वजनिक शौचालयों में किसी से कोई भी शुल्क ना लिया जाए.
सार्वजनिक शौचालयों से जो भी आय होती है वह नगर निगम को नहीं मिलती. यह केवल सुलभ इंटरनेशनल ही रखता है. नगर निगम उल्टा सुलभ इंटरनेशनल को सार्वजनिक शौचालयों के रख-रखाव के लिए पैसे देता है. नगर निगम हर साल शहर में शौचायलयों के रखरखाव को लेकर एक साल का टेंडर करता है. शहर में सार्वजनिक शौचालयों में शुल्क लेने को लेकर नगर निगम का कोई भी ऐसा प्रस्ताव नहीं था यह मामला कोर्ट के विचाराधीन है जिसको देखते हुए मासिक बैठक में इसको लेकर चर्चा जरूर की गई थी लेकिन नगर निगम की कोई भी ऐसी मंशा नहीं है कि शहर के लोगों से सार्वजनिक शौचालय से यूरिन शुल्क वसूला जाए.
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