जयपुर. राजधानी जयपुर को छोटी काशी कहा जाता है, जहां गली-मोहल्लों में स्थापित छोटे-बड़े मंदिर आस्था का केंद्र हैं. इन मंदिरों में हर दिन हजारों की संख्या में फूल मालाएं भगवान को अर्पित की जाती हैं. हालांकि, भगवान को अर्पित होने के बाद इन फूल मालाओं का उपयोग नहीं हो पाता है. जिसके बाद जयपुर नगर निगम ने एक नई पहल शुरू की है, जिसके तहत इन फूल मालाओं से खाद बनाया जाएगा, जो फसलों के लिए फायदेमंद होगा.
नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय पर स्मार्ट जैविक अपषिष्ट कम्पोस्ट मशीन को स्थापित किया गया. इस स्मार्ट कम्पोस्ट मशीन को नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय पर लगाया है. महापौर सौम्या गुर्जर ने कहा कि यह स्वचालित कम्पोस्ट मशीन उन्नत पैरामीटर नियंत्रण के साथ-साथ इन-वेसल एरोबिक कम्पोस्टिंग तकनीक का भी उपयोग करती है. यह मशीन प्रतिदिन 500 किलों तक जैविक कचरें को संधारित कर उसे पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद को बदलने में सक्षम हैं.
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पर्यावरण संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा : मंदिरों में चढायी गयी पूजन सामग्री में फूल पत्ती और मालाओं के साथ-साथ इसमें भोजन का अपषिष्ट भाग, रसोई का गीला कचरा बागवानी का कचरा से भी खाद बनायी जा सकती है. मंदिरों में श्रद्वा से चढ़ाई गई पूजन सामग्री के सम्मानजनक उपचार को इस प्रणाली द्वारा मिट्टी को पोषित करने और नयें पौधों के विकास को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है.
मोती डूंगरी गणेश मंदिर के महंत कैलाश शर्मा का कहना है कि यह पहल धार्मिक परम्परा को यथावत रखने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण कों भी बढ़ावा देगी. गणेश मंदिर के सहयोग से शुरू की गई निगम की पहल पर मदद का उन्होंने पूरा भरोसा दिलाया है. स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर नगर निगम तैयारी में जुटा है. निगम की तैयारियों में इस तरह की मशीनें लगाए जाने से काफी मदद मिल सकेगी. हालांकि, जरूरत इस बात की है कि नगर निगम इस तरह के नवाचार को शुरू करने के बाद इनके उपयोग कर पाए.