मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की ओर से दायर की गई याचिका सीजेएम कोर्ट मे शुक्रवार को सुनवाई हुई. ट्रस्ट की ओर से मांग की गई कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर की जमीन पर शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी सचिव ने दस्तावेजों में हेरफेर करके कमेटी के नाम से अवैध रजिस्ट्रेशन कराया था. वहीं शाही ईदगाह मस्जिद के नाम से कोई भी अभिलेख वर्तमान में मौजूद नहीं है. नगर निगम खतौनी और राजस्व अभिलेख में श्री कृष्ण जन्मभूमि के नाम से अभिलेख दर्ज है. कोर्ट से ट्रस्ट ने सचिव के खिलाफ संगीन धारा में मुकदमा दर्ज करने की मांग की.
सीजेएम कोर्ट में हुई सुनवाई: शुक्रवार को सीजेएम कोर्ट मे श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट अध्यक्ष आशुतोष पांडेय की याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई. शाही ईदगाह मस्जिद सचिव पर आरोप लगा कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज तैयार करके 49 वर्ष पूर्व शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी का रजिस्ट्रेशन कराया था. वहीं नगर पालिका और राजस्व अभिलेख में कमेटी के नाम से कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं है. कमेटी सचिव के खिलाफ संगीत धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई. न्यायालय ने कमेटी सचिव को दस्तावेज उपलब्ध करने के लिए कहा है.
ईदगाह के पास मिलकियत के दस्तावेज नहीं: श्रीकृष्ण जन्मस्थान का भाग है. पूपी संपत्ति का खेवट नंबर 255 और खसरा संख्या 825 है. इसमें ईदगाह शामिल है. उसका रकबा 13.37 एकड़ राजस्व अभिलेख श्रीकृष्ण जन्म स्थान संपत्ति मलकियत के रूप में दर्ज है. हाल में मंदिर और ईदगाह नगर पालिका, अब नगर निगम की सीमा के अंदर है. नगर निगम के रिकॉर्ड मेंसंपत्ति श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की अंकित चली आ रही है. ईदगाह के पास मिलकियत से सम्बंधित कोई दस्तावेज नहीं हैं. न ही कोर्ट में कोई दस्तावेज जमा कराए गये हैं.
क्या है मौजूदा स्थिति: श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. इसमें श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा 25 सितंबर 2020 मे श्री कृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली गई. इसमें श्री कृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईदगाह कमेटी को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया. अधिवक्ताओं ने कोर्ट श्री कृष्ण जन्मस्थान को मस्जिद मुक्त मंदिर बनाने की मांग की है.
किसने खरीदी थी जमीन: ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा था. 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए, तो वह श्रीकृष्ण जन्म स्थान की दुर्दशा को देखकर दुखी हुए. स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय से यहां भव्य मंदिर बनवाने की मांग की. मदन मोहन मालवीय ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्वार के लिए पत्र लिखा.
कब बना मंदिर:
- 21 फरवरी 1951 में श्री कृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट की स्थापना की.
- 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईद का मस्जिद कमेटी द्वारा किया गया 20 जुलाई 1974 को यह जमीन डिक्री की गई.
आशुतोष पांडे ने बताया कि शुक्रवार को सीजेएम कोर्ट में 24 अगस्त 2023 को शाही ईदगाह कमेटी और सुन्नी बक्क बोर्ड के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की एक याचिका दायर की गई थी. उस पर बहस पूरी हो गई है. हमने न्यायालय को बताया कि किसी दूसरे की संपत्ति का रजिस्ट्रेशन करने का अधिकार किसी को नहीं है. मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर में 13.37 एकड़ जमीन मंदिर की है. राजस्व और नगर निगम खतौनी खसरा के आधार पर दर्ज है. शाही ईदगाह मस्जिद के पास कोई अभिलेख नहीं हैं. कमेटी सचिव ने 49 वर्ष पूर्व फर्जी दस्तावेज तैयार करके कमेटी के नाम से रजिस्ट्रेशन कराया, जो कि अवैध है. हमने मांग की है कि उन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए.
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