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बलौदाबाजार के माता सीता मंदिर में भक्तों की उमड़ी भीड़, वाल्मिकी आश्रम देखने आ रहे श्रद्धालु

MATA SITA TEMPLE IN BALRAMPUR बलौदाबाजार में ग्राम तुरतुरिया के माता सीता मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. मान्यता है कि माता सीता ने लव-कुश को यहां महर्षि वाल्मिकी आश्रम में जन्म दिया था. इस आश्रम को देखने और माता सीता से संतान सुख का आशीर्वाद लेने दूर दूर से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं. BALRAMPUR VALMIKI ASHRAM

MATA SITA TEMPLE IN BALRAMPUR
बलौदाबाजार के माता सीता मंदिर
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 21, 2024, 9:29 AM IST

Updated : Jan 21, 2024, 1:09 PM IST

बलौदाबाजार स्थित वाल्मिकी आश्रम

बलौदाबाजार: अयोध्या में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा को लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी उत्साह का माहौल है. चारों ओर श्री राम कथा और रामराज की गाथा गाई जा रही है. बलौदाबाजार में कसडोल के ग्राम तुरतुरिया में भी उत्सव का माहौल देखने को मिल रहा है. जहां लव-कुश की जन्मस्थली महर्षि वाल्मीकि का आश्रम है. जहां त्रेतायुग में माता सीता ने कठिन तपस्या के साथ ही लव-कुश का पालन-पोषण किया था. यहां दूर दूर से आ रहे राम भक्तों का तांता लगा हुआ है.

माता सीता के दर्शन करने आ रहे श्रद्धालु: बलौदाबाजार जिला मुख्यालय से 50 किमी और कसडोल तहसील से 25 किमी दूरी पर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच बालमदेही नदी बहती है. पहाड़ से गिरती पानी की जलधारा की ध्वनि की वजह से ही इस गांव का नाम तुरतुरिया पडा है. यहां ऊपर पहाड़ी पर माता सीता जी का मंदिर है, जहां श्रद्धालु संतान की कामना को लेकर दूर दूर से आते हैं और मां से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. बताया जाता है कि माता सीता ने लव-कुश को यहां जन्म दिया था. जिसकी वजह से यहां जो भक्त संतान प्राप्ति की कामना लेकर आते हैं, माता सीता उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं.

तुरतुरिया के माता सीता मंदिर का इतिहास: घने वनों के बीच बसे तुरतुरिया के माता सीता मंदिर का जीर्णोध्दार 1972-73 में किया गया था. तब बलौदाबाजार के ग्राम बुड़गहन के टिकरिहा परिवार के पहलवान दाऊ चिंता राम टिकरिहा ने मंदिर का जीर्णोध्दार करवाया था. मान्यता है कि सीता माता मंदिर की पूजा अर्चना पहले बाल ब्रम्हचारी हनुमान करते थे. जिसके बाद यहां देवी मां के भक्त बाबाजी महराज पूजन किया करते थे. वहीं उनके स्वर्ग धाम प्रवास के बाद मंदिर की देखरेख पंडितों द्वारा किया जा रहा है.

लव कुश की जन्मस्थली है तुरतुरिया गांव: मंदिर के पुजारी राम बालक दास बताते हैं कि यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग आते हैं और माताजी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह स्थान वाल्मीकि आश्रम के नाम से जाना जाता है. इसी जगह को लव-कुश की जन्मस्थली बताया जाता है. यहां माता सीता ने तपस्या की थी. तुरतुरिया का भी नवीनीकरण हो रहा है. यहां पर भगवान राम के दोनों पुत्र लव-कुश की जन्मोत्सव और महर्षि वाल्मीकि से शिक्षा की कहानी सुनने को मिलती है. आज बहुत अच्छा लग रहा है कि अयोध्या में रामलला की स्थापना हो रही है. जिसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है.

"छत्तीसगढ़ का महत्व बढ़ गया है": मंदिर के पहले जीर्णोद्धार कर्ता स्व चिंता राम टिकरिहा के वंशज हेमन्त टिकरिहा ने बताया, "दादाजी यहां के बारे में अक्सर चर्चा किया करते थे. वे यहां की पूरी व्यवस्था भी देखते थे. यहां सिद्ध पुरुष बाबा जी थे, जो माताजी एवं हनुमान जी के अनन्य भक्त थे. हमें भी उनका आशीर्वाद मिला है. आज छत्तीसगढ़ में जहां जहां भगवान राम के चरण पडे़ हैं, उनको शासन राम वन गमन पथ के तहत से बनवा रही है. भगवान राम की माता कौशल्या का मायका और श्रीराम जी के दोनों पुत्रों लव कुश की जन्मस्थली यहां होने से छत्तीसगढ़ का महत्व और भी बढ़ गया है. यहां का विकास होना चाहिए."

गौरतलब है कि अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है. इस दिन पूरे देश के मंदिरों में रामोत्सव मनाया जाएगा. देशभर के राम मंदिर में रामोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. इस दिन कई जगहों पर सुंदरकांड पाठ के साथ साथ हवन और खास पूजा की जाएगी.

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वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ से गुजरे थे कौशलपुर के भांजे भगवान श्री राम

बलौदाबाजार स्थित वाल्मिकी आश्रम

बलौदाबाजार: अयोध्या में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा को लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी उत्साह का माहौल है. चारों ओर श्री राम कथा और रामराज की गाथा गाई जा रही है. बलौदाबाजार में कसडोल के ग्राम तुरतुरिया में भी उत्सव का माहौल देखने को मिल रहा है. जहां लव-कुश की जन्मस्थली महर्षि वाल्मीकि का आश्रम है. जहां त्रेतायुग में माता सीता ने कठिन तपस्या के साथ ही लव-कुश का पालन-पोषण किया था. यहां दूर दूर से आ रहे राम भक्तों का तांता लगा हुआ है.

माता सीता के दर्शन करने आ रहे श्रद्धालु: बलौदाबाजार जिला मुख्यालय से 50 किमी और कसडोल तहसील से 25 किमी दूरी पर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच बालमदेही नदी बहती है. पहाड़ से गिरती पानी की जलधारा की ध्वनि की वजह से ही इस गांव का नाम तुरतुरिया पडा है. यहां ऊपर पहाड़ी पर माता सीता जी का मंदिर है, जहां श्रद्धालु संतान की कामना को लेकर दूर दूर से आते हैं और मां से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. बताया जाता है कि माता सीता ने लव-कुश को यहां जन्म दिया था. जिसकी वजह से यहां जो भक्त संतान प्राप्ति की कामना लेकर आते हैं, माता सीता उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं.

तुरतुरिया के माता सीता मंदिर का इतिहास: घने वनों के बीच बसे तुरतुरिया के माता सीता मंदिर का जीर्णोध्दार 1972-73 में किया गया था. तब बलौदाबाजार के ग्राम बुड़गहन के टिकरिहा परिवार के पहलवान दाऊ चिंता राम टिकरिहा ने मंदिर का जीर्णोध्दार करवाया था. मान्यता है कि सीता माता मंदिर की पूजा अर्चना पहले बाल ब्रम्हचारी हनुमान करते थे. जिसके बाद यहां देवी मां के भक्त बाबाजी महराज पूजन किया करते थे. वहीं उनके स्वर्ग धाम प्रवास के बाद मंदिर की देखरेख पंडितों द्वारा किया जा रहा है.

लव कुश की जन्मस्थली है तुरतुरिया गांव: मंदिर के पुजारी राम बालक दास बताते हैं कि यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग आते हैं और माताजी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह स्थान वाल्मीकि आश्रम के नाम से जाना जाता है. इसी जगह को लव-कुश की जन्मस्थली बताया जाता है. यहां माता सीता ने तपस्या की थी. तुरतुरिया का भी नवीनीकरण हो रहा है. यहां पर भगवान राम के दोनों पुत्र लव-कुश की जन्मोत्सव और महर्षि वाल्मीकि से शिक्षा की कहानी सुनने को मिलती है. आज बहुत अच्छा लग रहा है कि अयोध्या में रामलला की स्थापना हो रही है. जिसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है.

"छत्तीसगढ़ का महत्व बढ़ गया है": मंदिर के पहले जीर्णोद्धार कर्ता स्व चिंता राम टिकरिहा के वंशज हेमन्त टिकरिहा ने बताया, "दादाजी यहां के बारे में अक्सर चर्चा किया करते थे. वे यहां की पूरी व्यवस्था भी देखते थे. यहां सिद्ध पुरुष बाबा जी थे, जो माताजी एवं हनुमान जी के अनन्य भक्त थे. हमें भी उनका आशीर्वाद मिला है. आज छत्तीसगढ़ में जहां जहां भगवान राम के चरण पडे़ हैं, उनको शासन राम वन गमन पथ के तहत से बनवा रही है. भगवान राम की माता कौशल्या का मायका और श्रीराम जी के दोनों पुत्रों लव कुश की जन्मस्थली यहां होने से छत्तीसगढ़ का महत्व और भी बढ़ गया है. यहां का विकास होना चाहिए."

गौरतलब है कि अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है. इस दिन पूरे देश के मंदिरों में रामोत्सव मनाया जाएगा. देशभर के राम मंदिर में रामोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. इस दिन कई जगहों पर सुंदरकांड पाठ के साथ साथ हवन और खास पूजा की जाएगी.

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Last Updated : Jan 21, 2024, 1:09 PM IST
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