मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर/धमतरी: चैत्र नवरात्र के मौके पर मनेन्द्रगढ़ शहर के बस स्टैंड स्थित काली मंदिर से गुरुवार को माता की 901 मीटर चुनरी यात्रा निकाली गई. इस दौरान काली मंदिर के पुजारी, वार्ड पार्षद अजय जायसवाल सहित कई महिलाओं ने विधिविधान से पूजन कर चुनरी यात्रा की शुरुआत की. ये यात्रा वापस काली मंदिर में आकर ही संपन्न हुई. वहीं, धमतरी में मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने बड़े धूमधाम से गणगौर पूजा किया. इस दौरान महिलाओं में खासा उत्साह नजर आया.
मनेन्द्रगढ़ में निकाली गई चुनरी यात्रा: मनेन्द्रगढ़ की महिलाओं और पुजारी ने चुनरी के पूजन के बाद मंदिर परिसर से 901 मीटर की लंबी चुनरी को अपने हाथों में लेकर चुनरी यात्रा निकाली. चुनरी यात्रा में भारी संख्या में महिला पुरुष शामिल हुए. इसके अलावा बैंडबाजाें के साथ माता रानी की अखंड ज्योत भी साथ-साथ चल रही थी. इस यात्रा में माता रानी की 901 मीटर की लंबी चुनरी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रही. चुनरी यात्रा बस स्टैंड काली मंदिर से शुरू होकर भगत सिंह तिराहा, पीडब्ल्यूडी रोड से होकर होटल हसदेव इन, खेड़िया टॉकीज, विवेकानंद चौक से होकर वापस काली मंदिर में जाकर संपन्न हुई. चुनरी यात्रा का नगर में विभिन्न स्थानों पर पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत भी किया गया. इसके बाद मंदिर में आरती कर सभी को प्रसाद वितरित किया गया. इस दौरान पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए थे.
धमतरी में राजस्थानी महिलाओं ने किया गणगौर पूजा: धमतरी में मारवाड़ी ब्राह्मण महिलाओं ने गणगौर पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया. भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की. महिलाओं ने उत्साह और उमंग के साथ जगदीश मंदिर में भगवान शंकर और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर समूह में पूजा-अर्चना की. इस दौरान मंगल गीत गाकर घर परिवार के खुशहाली की कामना की.
16 दिनों तक चलता है महोत्सव: दरअसल होली के दूसरे दिन से ही राजस्थान का प्रमुख त्योहार गणगौर पर्व की शुरूआत हो जाती है. गुरुवार को धमतरी के राजस्थानी और मारवाड़ी ब्राह्मण महिलाओं ने विधिविधान के साथ गणगौर पर्व मनाया. शहर के जगदीश मंदिर परिसर में मंगल गीत गाकर सुखसमृद्धि की कामना की. इसके बाद गणगौर को विसर्जन के लिए बाजे गाजे के साथ निकले. 16 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में भगवान शिव पार्वती की पूजा की जाती है. खासतौर पर कुंवारी कन्या सुयोग्य वर की कामना को लेकर पूजा-अर्चना करती हैं.