रायपुर: वैशाख कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मास शिवरात्रि व्रत है. इस बार 6 मई सोमवार को ये व्रत पड़ रहा है. इसे मासिक शिवरात्रि भी कहा जाता है. रेवती नक्षत्र प्रीति और मातंग योग ववकरण में मीन और मेष राशि के चंद्रमा में यह मास शिवरात्रि व्रत मनाया जाएगा. इस दिन रेवती में राहु युति है. रात्रि1 बजकर11 मिनट पर भद्रा खत्म होगा. इस दिन भगवान भोलेनाथ पशुपतिनाथ जी और भगवान रुद्र की पूजा का विधान है. इस दिन पूरे दिन ओम नमः शिवाय का जाप, महामृत्युंजय मंत्र, रुद्री पाठ, लिंगाष्टकम, शिवास्टकम का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से समस्त सिद्धियों की प्राप्ति के योग बनते हैं.
मासिक शिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा:इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने पंडित विनीत शर्मा से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, " मास शिवरात्रि के दिन शिव चालीसा शिव, संकल्प मंत्र, शिव नमस्कार मंत्र, शिव तांडव और शिव जी के विभिन्न पूजा-पाठ करने से मनुष्य की सभी कामनाएं पूरी होती है. मास शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव, माता पार्वती के विवाह के तौर पर भी लोग मनाते हैं. प्रत्येक मास शिवरात्रि व्रत लोग करते हैं. इस दिन कुंवारी कन्याएं अपने योग्य पति के लिए व्रत रखती हैं. विधिवत पूजन करने पर समस्त कामनाएं पूरी होती है. ऐसे जातक जिनके दांपत्य जीवन में अनुकूलताएं न हो, उन्हें शांति मिलती है. ऐसे में लोगों को मास शिवरात्रि व्रत नियम के साथ करना चाहिए. इस दिन फलाहारी या फिर निराहारी उपवास किया जाता है. मध्य रात्रि के समय में निशीथ काल में भगवान शिव की विशिष्ट पूजा का विधान है. पूरे दिन सत्व चीजों का सेवन करना चाहिए. मन में शांति, स्थिरता और एकाग्रता के भाव से भगवान शिव का यह व्रत मानना चाहिए."
ये भी करें: पंडित विनीत शर्मा की मानें तो इस दिन भगवान शिव को दूध, जल, गंगा जल से अभिषेक करने से समस्त कामनाएं पूरी होती है. साथ ही भगवान भोलेनाथ जी को बेलपत्र, आंक के फूल, धतूरा, नीले फूल अर्पित करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. इस दिन शिव चालीसा, शिव तांडव स्त्रोत आदि का वितरण करना भी उत्तम माना गया है. मास शिवरात्रि का व्रत शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है. इस दिन भगवान भोलेनाथ जी को नीलकमल अर्पित करना चाहिए. ऐसे करने पर मनुष्य की सभी कामनाएं पूरी होती.
नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.