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जब पत्नी चित्रा के अंतिम संस्कार स्थल पर पहुंचे मानवेंद्र सिंह... - Chitra Singh Funeral Site

Chitra Singh Funeral Site, पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद साीधे पत्नी के अंतिम संस्कार स्थल पर पहुंचे. इसकी मार्मिक तस्वीर सामने आई है, जिसे देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं.

Manvendra Singh
Chitra Singh Funeral Site
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 15, 2024, 1:44 PM IST

जोधपुर. पूर्व सांसद कर्नल मानवेंद्र सिंह जसोल 15 दिन के उपचार के बाद बुधवार को जोधपुर आ गए. इन 15 दिनों में उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा नुकसान पत्नी चित्रा सिंह को खोने के रूप में उठाया है. 30 जनवरी को दिल्ली से जयपुर के लिए जब निकले तो गलती से भी नहीं सोचा था कि यह दोनों का साथ में अंतिम सफर होगा. अलवर के पास गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त हो गई. चित्रा सिंह की दुखद मौत ने पूरे परिवार व समर्थकों को हिला दिया, लेकिन सबसे ज्यादा गहरी क्षति मानवेेंद्र सिंह को हुई. बुधवार दोपहर बाद जब वे जोधपुर पहुंचे तो सबसे पहले वे अपने फार्म हाउस गए, जहां पर चित्रा सिंह की चिता बनी थी.

वहां पहुंचे तो उनके चेहरे पर अनकहे कई शब्द थे. वे उस जगह को देखते रहे जहां अंत्येष्ठी हुई. शायद यह सोचते रहे कि ऐसा क्यों हुआ? हर कदम साथ चलने वाली का 30 साल का सफर क्यों थम गया? मन में ही यही सोचते रहे कि आखिरी समय में वे उनके पास नहीं थे. ईश्वर ने अंतिम संस्कार में भी शामिल होने का मौका नहीं दिया. अब यादों के सहारे ही चित्रा उनके दिल में अमर रहेंगी.

Manvendra Singh With Family
परिवाल के साथ मानवेंद्र सिंह

वैलेंटाइन डे पर पहली बार पोस्ट : मानवेंद्र सिंह जसोल ने वैलेंटाइन डे पर चित्रा सिंह के साथ अपनी एक मुस्कुराते हुए तस्वीर सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर कर अपना प्रेम दर्शाया. ऐसा उन्होंने पहली बार ही किया. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों के बीच कितना प्रेम था, जिसके चलते उन्होंने ऐसा किया. यह अपनी पत्नी के प्रति भावनाएं थीं, जिनको उन्होंने व्यक्त किया. शायद साथ रहते तो सार्वजनिक रूप से ऐसा कभी नहीं कर पाते.

पढ़ें : वैलेंटाइन डे : मानवेंद्र सिंह ने यूं किया पत्नी चित्रा को याद, हर कोई हुआ भावुक

हर कदम पर मजबूत साथी : मानवेंद्र सिंह जसोल के पिता पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह जसोल का 2014 में भाजपा से टिकट काटे जाने के बाद जसोल परिवार का राजनीतिक असितत्व दांव पर आ गया था. जसवंत सिंह निर्दलीय चुनाव हार गए थे. उस समय मानवेंद्र सिंह भाजपा से शिव के विधायक थे. पिता के साथ जो हुआ, उससे उनकी पार्टी से दूरियां बढ़ती गईं. आखिरकार उन्होंने स्वाभीमान रैली कर भाजपा छोड दी.

इस दौरान चित्रा सिंह मजबूती से उनके साथ खड़ी रहीं. जसोल कांग्रेस में गए और झालावाड़ से चुनाव लड़ा. इस बार सिवाना से उतरे, लेकिन हार गए. उनके चुनाव प्रचार में महिलाअेां के बीच जाने का जिम्मा चित्रा सिंह का ही था. वह ठेठ गांव के अंदाज में घूंघट डालकर महिलाओं को संबोधित करतीं. यह जताने की कोशिश करतीं कि हम आप में से ही हैं.

जोधपुर. पूर्व सांसद कर्नल मानवेंद्र सिंह जसोल 15 दिन के उपचार के बाद बुधवार को जोधपुर आ गए. इन 15 दिनों में उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा नुकसान पत्नी चित्रा सिंह को खोने के रूप में उठाया है. 30 जनवरी को दिल्ली से जयपुर के लिए जब निकले तो गलती से भी नहीं सोचा था कि यह दोनों का साथ में अंतिम सफर होगा. अलवर के पास गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त हो गई. चित्रा सिंह की दुखद मौत ने पूरे परिवार व समर्थकों को हिला दिया, लेकिन सबसे ज्यादा गहरी क्षति मानवेेंद्र सिंह को हुई. बुधवार दोपहर बाद जब वे जोधपुर पहुंचे तो सबसे पहले वे अपने फार्म हाउस गए, जहां पर चित्रा सिंह की चिता बनी थी.

वहां पहुंचे तो उनके चेहरे पर अनकहे कई शब्द थे. वे उस जगह को देखते रहे जहां अंत्येष्ठी हुई. शायद यह सोचते रहे कि ऐसा क्यों हुआ? हर कदम साथ चलने वाली का 30 साल का सफर क्यों थम गया? मन में ही यही सोचते रहे कि आखिरी समय में वे उनके पास नहीं थे. ईश्वर ने अंतिम संस्कार में भी शामिल होने का मौका नहीं दिया. अब यादों के सहारे ही चित्रा उनके दिल में अमर रहेंगी.

Manvendra Singh With Family
परिवाल के साथ मानवेंद्र सिंह

वैलेंटाइन डे पर पहली बार पोस्ट : मानवेंद्र सिंह जसोल ने वैलेंटाइन डे पर चित्रा सिंह के साथ अपनी एक मुस्कुराते हुए तस्वीर सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर कर अपना प्रेम दर्शाया. ऐसा उन्होंने पहली बार ही किया. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों के बीच कितना प्रेम था, जिसके चलते उन्होंने ऐसा किया. यह अपनी पत्नी के प्रति भावनाएं थीं, जिनको उन्होंने व्यक्त किया. शायद साथ रहते तो सार्वजनिक रूप से ऐसा कभी नहीं कर पाते.

पढ़ें : वैलेंटाइन डे : मानवेंद्र सिंह ने यूं किया पत्नी चित्रा को याद, हर कोई हुआ भावुक

हर कदम पर मजबूत साथी : मानवेंद्र सिंह जसोल के पिता पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह जसोल का 2014 में भाजपा से टिकट काटे जाने के बाद जसोल परिवार का राजनीतिक असितत्व दांव पर आ गया था. जसवंत सिंह निर्दलीय चुनाव हार गए थे. उस समय मानवेंद्र सिंह भाजपा से शिव के विधायक थे. पिता के साथ जो हुआ, उससे उनकी पार्टी से दूरियां बढ़ती गईं. आखिरकार उन्होंने स्वाभीमान रैली कर भाजपा छोड दी.

इस दौरान चित्रा सिंह मजबूती से उनके साथ खड़ी रहीं. जसोल कांग्रेस में गए और झालावाड़ से चुनाव लड़ा. इस बार सिवाना से उतरे, लेकिन हार गए. उनके चुनाव प्रचार में महिलाअेां के बीच जाने का जिम्मा चित्रा सिंह का ही था. वह ठेठ गांव के अंदाज में घूंघट डालकर महिलाओं को संबोधित करतीं. यह जताने की कोशिश करतीं कि हम आप में से ही हैं.

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