मंडला: विश्व प्रसिद्ध चित्रकार पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्म विभूषण से अलंकृत सैयद हैदर रजा की 103वें जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि दी गई. शनिवार की सुबह स्थानीय कब्रिस्तान में उनके व उनके पिता की कब्र पर चादर पेश कर 4 दिवसीय 'रजा उत्सव' की शुरुआत की गई. इस दौरान रजा फाउंडेशन से जुड़े कलाकारों ने बड़ी संख्या में पहुंच कर पुष्पांजलि अर्पित की. बड़ी संख्या में कला प्रेमियों ने पहुंचकर अपने पसंदीदा कलाकार को याद किया.
'6 दशक विदेश रहने के बाद भी नहीं भूले थे मंडला की माटी'
सैयद हैदर रजा को पुष्पांजलि देते हुए कला प्रेमी व समाजसेवी जयदत्त झा ने कहा कि "रजा साहब एक महान कलाकार होने के साथ-साथ बेहतरीन शख्सियत के भी धनी थे. 6 दशक तक विदेश में रहने के बाद भी वह मंडला की माटी को नहीं भूले. यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि इतनी बड़ी हस्ती हमारे शहर में आराम फरमा रही है.
उनकी मृत्यु के बाद से ही लगातार रजा फाउंडेशन द्वारा मंडला में कला के क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है, जिसके परिणाम दिखने लगे हैं. मंडला के कलाकारों की पहचान न सिर्फ राष्ट्रीय पटल पर हो रही है बल्कि देश की राजधानी में भी उनके कार्यों की प्रदर्शनी लग रही है, जिसे कला जगत में सराहा जा रहा है."
हर साल पुण्यतिथि पर आयोजित होते हैं कार्यक्रम
वरिष्ठ चित्रकार अखिलेश ने बताया कि "रजा साहब के पेरिस के स्टूडियो में भी मंडला की माटी मौजूद रहती थी और जब भी लोग उनसे मिलने जाते, तो बड़े गर्व के साथ वह उन्हें दिखाते कि यह देखो यह मंडला की माटी है." उन्होंने बताया कि "रजा साहब के मंडला में सुपुर्द ए खाक होने के बाद से उनके जन्म दिवस और पुण्यतिथि पर कला के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इसके अलावा ग्रीष्म ऋतु में भी पेंटिंग, भारतीय शास्त्रीय संगीत व नृत्य की कार्यशालाएं आयोजित की जाती है."

- कला का बेजोड़ नमूना हैं ये मूर्तियां, कलाकार जबलपुर में इन्हें करना चाहते हैं दान
- महाकुंभ में अनोखा आर्टिस्ट, एक पेंटिंग में बना डाली पूरी रामचरित मानस
4 दिवसीय रजा उत्सव की शुरुआत
बता दें कि रजा उत्सव 2025 की शुरुआत हो चुकी है. 22 फरवरी से 25 फरवरी की सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक रजा कला वीथिका में चित्रकला कार्यशाला और 'माटी के रंग' कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, पहले दिन बड़ी संख्या में कला प्रेमियों ने पहुंचकर अपने पसंदीदा कलाकार को याद किया. शनिवार की शाम शहनाई, तबला, बांसुरी और वायलिन की अनोखी जुगलबंदी मंडला वासियों को सुनने को मिली.