मंडी: हिमाचल प्रदेश में अंतिम चरण में 1 जून को चार लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है. यहां पर कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला है. इन दिनों प्रत्याशी चारों संसदीय क्षेत्रों में चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. अगर मंडी लोकसभा सीट की बात की जाए तो यहां बीजेपी प्रत्याशी कंगना रनौत और कांग्रेस प्रत्याशी एवं लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य के बीच कांटे की टक्कर है. बीजेपी द्वारा अभिनेत्री कंगना रनौत को अपना प्रत्याशी उतारने के बाद नेशनल मीडिया की नजर इस सीट पर बनी हुई है. जिससे मंडी देश भर की हॉट सीटों में शुमार हो चुकी है.
मंडी संसदीय क्षेत्र के लोगों से ईटीवी भारत ने उनके मुद्दों को लेकर खास बातचीत की है. बातचीत में स्थानीय लोगों ने बीजेपी और कांग्रेस के चुनाव प्रचार पर सवाल उठाए हैं. लोगों ने कहा चुनावी रैलियों में प्रत्याशी एक-दूसरे पर केवल आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. स्थानीय लोगों के मुद्दों को इन चुनावी रैलियों में कोई जगह नहीं मिल रही. इस कारण लोग समस्याओं में उलझे हैं.
मंडी संसदीय क्षेत्र के मुद्दे:
युवाओं में नशे का बढ़ता प्रचलन: प्रदेश के युवाओं में नशे का बढ़ता प्रचलन किसी से छिपा नहीं है. बीते 5 साल में नशे के ओवरडोज से कई घरों के चिराग बुझ चुके हैं. सरकाघाट निवासी बलवीर सिंह ने कहा कि नशे की समस्या मंडी संसदीय क्षेत्र के साथ प्रदेश का इस समय सबसे बड़ा मुद्दा है. कई परिवार इस समस्या से जूझ रहे हैं. इससे युवाओं और देश का भविष्य खतरे में है. ऐसे में जो भी सांसद चुनकर आए वह प्रयास करे की नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कानून बने.
सरकारी स्कूलों का गिरता स्तर: स्थानीय निवासी राकेश कुमार का कहना है कि प्रदेश में शिक्षा का व्यापारीकरण हो रहा है. प्राइवेट स्कूल मनमाने ढंग से फीसें वसूल रहे हैं. वहीं, सरकारी स्कूलों के अध्यापक पठन-पाठन के कार्यों को छोड़कर अन्य कामों में साल भर व्यस्त रहते हैं. चुनावों से लेकर जनगणना तक उनकी ड्यूटी लगाई जा रही है. इस वजह से सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है. ऐसे में जनप्रतिनिधियों व सरकारों को इस ओर ध्यान देना चाहिए.
स्वास्थ्य सुविधाओं और डॉक्टरों की कमी: मंडी संसदीय क्षेत्र में तीसरा बड़ा मुद्दा स्वास्थ्य का है. मंडी की जनता का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर कुछ सालों तक प्रैक्टिस करते हैं और बाद में सरकारी नौकरी को छोड़कर प्राइवेट अस्पतालों में अपनी सेवाएं देने लगते हैं जिससे सरकारी अस्पतालों में अनुभवी डॉक्टरों की कमी बनी रहती है. वहीं, अस्पतालों में अपनी बीमारी के लिए लोग पहले लंबी कतारों से लड़ते हैं और बाद में डॉक्टरों की कमी के कारण उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती. ऐसे में सरकार को इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है.
बता दें कि मंडी लोकसभा सीट से जीतकर जिस भी पार्टी का सांसद दिल्ली पहुंचा है. उस पार्टी की ही सरकार केंद्र में बनती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से रामस्वरूप शर्मा लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए थे. साल 2021 में रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद सीट खाली होने के बाद हुए उपचुनाव में इस सीट पर कांग्रेस पार्टी की जीत हुई. प्रतिभा सिंह की इस जीत के बाद पहली बार मंडी का सांसद विपक्ष में बैठा. चंबा के भरमौर से लेकर रामपुर बुशहर तक फैले इस संसदीय क्षेत्र में 17 विधानसभा हल्के हैं.
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