मंडी: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है. इस बीच सियासी दलों की अपनी तैयारी है तो दूसरी तरफ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे बड़ी आबादी भी तैयार है. ऐसे में इस चुनावी मौसम में लोकसभा सीटों और उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें होना लाजमी है. आज आपको हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से रूबरू करवाते हैं, जो कई मायनों में बहुत खास है.
पहले लोकसभा चुनाव में दो सांसद
आज के वक्त में हैरानी की बात लगती है लेकिन ये सच है कि 1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव के दौरान एक संसदीय क्षेत्र से दो सांसद भी चुने जाते थे. देशभर में जिन लोकसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के लोगों की तादाद अधिक थी उन्हें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. ऐसी लोकसभा सीटों से दो सांसद चुने जाते थे, एक अनारक्षित वर्ग का जबकि दूसरा अनुसूचित जाति वर्ग का होता था. देशभर में दो सांसद वाली 86 सीटें थी जबकि नॉर्थ बंगाल नाम की सीट पर 3 सांसद थे. उस वक्त मंडी-महासू सीट पर भी दो सांसद थे. जिनमें से एक थी रानी अमृत कौर जबकि दूसरे थे गोपी राम, जो अनुसूचित जाति से संबंध रखते थे. एक सीट से दो या अधिक सांसद चुनने की परंपरा दूसरे लोकसभा चुनाव से खत्म कर दी गई थी.
राजा रजवाड़ों की सीट
क्षेत्रफल के हिसाब से ये हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी लोकसभा सीट है. हिमाचल में चार लोकसभा और 68 विधानसभा क्षेत्र हैं. हर लोकसभा क्षेत्र में 17 विधानसभा सीटें आती हैं. मंडी लोकसभा क्षेत्र कुल्लू, मंडी, लाहौल स्पीति, किन्नौर से लेकर चंबा और शिमला जिले तक फैला है. इस सीट पर ज्यादातर राज परिवार के चेहरों का ही बोलबाला रहा है. मौजूदा मंडी सीट को पहले मंडी-महासू सीट के नाम से जाना जाता था. अब तक यहां 17 लोकसभा और दो उपचुनाव हुए हैं. इनमें से 13 बार राज परिवार के चेहरों ने इस लोकसभा क्षेत्र की नुमाइंदगी संसद में की है. साल 1951 में हुए पहले आम चुनाव में इस सफर की शुरुआत रानी अमृत कौर से हुई जो नेहरू सरकार में मंत्री भी थीं. इसके बाद मंडी के राजा जोगिन्दर सेन, ललित सेन और फिर बुशहर रिसायत के राजा वीरभद्र सिंह उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह लोकसभा पहुंच चुकी हैं. इसके अलावा कुल्लू की रूपी रियासत के राजा महेश्वर सिंह भी 3 बार सांसद रह चुके हैं. वीरभद्र सिंह 3 बार, ललित सेन 2 बार और प्रतिभा सिंह भी 3 बार संसद पहुंच चुकी हैं. इनमें से दो बार उपचुनाव में जीत हासिल की थी.
जब राजाओं ने मुंह की खाई
मंडी सीट का ताल्लुक भले राज परिवारों से रहा हो लेकिन 6 बार ऐसे मौके भी आए हैं जब राज परिवार को कोई सदस्य यहां से जीत नहीं पाया. साल 1977 में देश में जब जनता पार्टी की लहर चली तो उसका असर इस सीट से सियासी ताल ठोकने वाले राजा वीरभद्र सिंह ने भी झेली और जनता दल के गंगा सिंह ने वीरभद्र सिंह को हराकर इतिहास रच दिया, हालांकि 3 साल बाद जब दोबारा चुनाव हुए तो वीरभद्र सिंह को जीत मिली थी. 1991 लोकसभा चुनाव में पंडित सुखराम ने महेश्वर सिंह को हरा दिया. वैसे 1984 और 1996 में भी सुखराम ही लोकसभा पहुंचे थे. साल 2014 और फिर 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के एक आम कार्यकर्ता राम स्वरूप शर्मा ने जीत हासिल की थी.
जो जीता, उसकी सरकार
अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव का ट्रेंड बताता है कि मंडी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवार की पार्टी केंद्र में सरकार बनाती है. 1951-52 के आम चुनाव से लेकर 2019 लोकसभा चुनाव तक ये सिलसिला जारी है. इस सीट पर दो बार उपचुनाव हुआ है और दोनों बार कांग्रेस की प्रतिभा सिंह ने ही जीत हासिल की है. 2013 में हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने जब चुनाव जीता तब भी केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी. हालांकि 2021 में ये सिलसिला टूट गया जब इस उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने फिर से जीत का परचम लहराया लेकिन केंद्र में बीजेपी सरकार थी.
इसके अलावा मंडी लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले कुछ चेहरे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं. इनमें सबसे पॉपुलर रहे वीरभद्र सिंह, जो 6 बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहने के अलावा 3 बार लोकसभा सांसद और तीनों बार केंद्र की सरकार में मंत्री रहे. वहीं तीन बार मंडी से लोकसभा पहुंचे पंडित सुखराम भी 1993 से 1996 तक केंद्र की पीवी नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री थे. वैसे ये सिलसिला पहले लोकसभा चुनाव में ही शुरू हो चुका था जब आजाद भारत के पहले आम चुनाव में मंडी महासू सीट पर रानी अमृत कौर जीतीं और नेहरू कैबिनेट में मंत्री बनी थी.
मंडी के मतदाता और जातिगत समीकरण
2019 लोकसभा चुनाव के मुताबिक मंडी सीट पर कुल 12,81,462 मतदाता थे. 17 उम्मीदवारों ने उस चुनाव में ताल ठोकी थी और कुल 2082 पोलिंग बूथ पर वोटिंग हुई. बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा को 6,47,189 वोट मिले थे और उन्होंने कांग्रेस के आश्रय शर्मा को 4,05,459 मतों के भारी अंतर से हराया था. इस सीट पर राजपूत और ब्राह्मण नेताओं का दबदबा रहा है. पहले लोकसभा चुनाव में एससी उम्मीदवार के रूप में गोपी राम की जीत को छोड़ दें तो अब तक हर सांसद राजपूत या ब्राह्मण रहा है. कुछ मौके ऐसे भी आए जब दो राजपूत चेहरे आमने-सामने थे. इसी तरह राजपूत मतदाता सबसे अधिक हैं, उसके बाद ब्राह्मण, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटर आते हैं.
इन चेहरों पर नजर
मंडी लोकसभा सीट एक वीआईपी सीट रही है. जहां से वीरभद्र सिंह से लेकर अमृत कौर और पंडित सुख राम जैसे चेहरे संसद पहुंचे हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए फिलहाल किसी दल ने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है. लेकिन सियासी गलियारों में बीजेपी की ओर से बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत का नाम की चर्चा काफी दिनों से बनी हुई है. इसके अलावा बीजेपी के ही पूर्व सांसद महेश्वर सिंह और करगिल वॉर हीरो रहे पूर्व प्रत्याशी रिटायर्ड ब्रिगेडर खुशाल का नाम भी चर्चा में है. पूर्व मुख्यमंत्री और मंडी से चुनाव लड़ चुके जयराम ठाकुर का नाम भी गाहे-बगाहे इस रेस में आ जाता है. वहीं कांग्रेस के खेमे में मौजूदा सांसद और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का इस रेस में इकलौती उम्मीदवार नजर आ रही हैं.