कानपुर : देश में लाखों लोग हैं, जो कैंसर, डायबिटीज, हार्ट अटैक समेत कई अन्य जानलेवा बीमारियों की चपेट में हैं. कमोबेश यही स्थिति उन मरीजों की है जो डिमेंशिया जैसी खतरनाक बीमारी से पीड़ित हैं. चिकित्सकों का दावा है, कि डिमेंशिया के मरीजों को अगर सही समय पर इलाज न मिले तो उनकी जान तक जा सकती है, लेकिन एक पहलू यह भी है कि ऐसे मरीजों का सही समय पर इलाज हो जाए तो उनकी जान बच भी सकती है.
डिमेंशिया बीमारी को लेकर साल 2022 में पुणे निवासी व निजी कंपनी के को-फाउंडर शोभिक दास ने आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों से मुलाकात की थी. शोभिक ने बताया, कि उनके पिता को डिमेंशिया बीमारी हुई और इस बीमारी के लिए बेहतर डॉक्टर व सही अस्पताल जानने के लिए उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. ऐसे में शोभिक ने आईआईटी के विशेषज्ञों संग एक मोबाइल ऐप बनाने की ठानी और साल 2022 में ही उस ऐप को तैयार कर दिया, जिसे मनस्तिक नाम दिया गया. यह एक ऐसा ऐप है, जिसमें डिमेंशिया से जुड़े देश और दुनिया के सभी नामचीन डॉक्टर्स की पूरी जानकारी है. इस ऐप की मदद से डिमेंशिया के मरीज व उनके परिजन सही समय पर इलाज की मदद ले सकते हैं, वो भी केवल एक क्लिक पर.
क्लिनिकल ट्रायल जारी, कई थेरेपी वाले फीचर जुडेंगे : ईटीवी भारत संवाददाता से विशेष बातचीत में निजी कंपनी के को-फाउंडर शोभिक दास ने बताया, कि ऐप तैयार करने में उन्हें कंपनी के दूसरे को-फाउंडर पुष्कराज मरणे का भरपूर साथ मिला. ऐप का क्लिनिकल ट्रायल जारी है. शोभिक ने कहा, कि एक स्टडी के मुताबिक, देश में जहां औसतन हर साल 5-6 मिलियन लोग डिमेंशिया का शिकार होते हैं. वहीं, दुनिया में यह आंकड़ा 50-60 मिलियन के बीच है. शोभिक ने कहा, कि अगर डिमेंशिया के मरीज का सही समय पर इलाज शुरू हो जाए तो उससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता है.
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है डिमेंशिया : शोभिक दास ने बताया, कि डिमेंशिया एक तरह से न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. यह बीमारी खासतौर से मस्तिष्क को पूरी तरह से प्रभावित करती है. इस बीमारी के दौरान मरीजों के मस्तिष्क की नसें सिकुड़ने लगती हैं. इससे मरीज के स्वभाव में बदलाव आता है. अगर, उचित समय पर इसका इलाज करा लिया जाए तो मरीज को बचाया जा सकता है.