पलामूः ममता देवी, जैसा उनका नाम है वैसी ही खेती के प्रति उनकी ममता भी है. बच्चे सरीखे अपने जमीन के टुकड़े को उन्होंने अपनी मेहनत से सींचा, उसका पालन-पोषण किया. आज सुखाड़ ग्रस्त क्षेत्र की ये जमीन खेती के लिए लोगों के बीच एक मिसाल बन गयी है.
वो कभी झोड़पी में रहा करती थी आज उनके पास पक्का मकान है, कभी उनका परिवार आर्थिक बदहाली के दौर से गुजरा था पर अब हालात ऐसे हैं कि वो दूसरों को मदद के लिए हमेशा आगे रहती हैं. ये कहानी है एक ऐसी महिला की है, जिन्होंने खेती में आधुनिक तकनीक को अपनाया और अपनी जिंदगी और हालात को बदल डाला. झारखंड की राजधानी रांची से 130 किलोमीटर दूर पलामू के सतबरवा के बोहिता की रहने वाली ममता देवी आज खेती से मिसाल पेश कर रही हैं और उन्होंने अपने हालात को भी बदला है. ममता देवी अपने परिवार के साथ साथ 20 से अधिक महिलाओं के जीवन में बदलाव ला रही हैं. ममता देवी झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी से 2019 में जुड़ीं, जिसके बाद उन्होंने परिश्रम किया और उनके जीवन में बदलाव शुरू हुआ.
खेती में वैज्ञानिक तरीके अपना कर अब एकड़ में कर रहीं खेतीः
ममता देवी के पास उनकी खुद की जमीन थी लेकिन खेती के लिए सिंचाई का साधन उपलब्ध नहीं था. 2019 में जेएसएलपीएस की मदद से ममता देवी ने सबसे पहले सिंचाई की व्यवस्था की, उसके बाद उन्होंने खेती करने के वैज्ञानिक तरीके को अपनाया. क्योंकि पलामू जैसे सुखाड़ ग्रस्त इलाके में खेती करना किसी चुनौती से कम नहीं लेकिन ममता देवी ने इस चुनौती को स्वीकार किया. ममता देवी पहले अपनी एक से दो कट्ठा की जमीन में खेती करती थी अब हालात यह है कि उनकी चार एकड़ में आम के बगान हैं, अब वो वैज्ञानिक तरीके से मिर्च समेत कई सब्जी की खेती कर रही हैं. ममता देवी अपने साथ 20 से अधिक महिलाओं को जुड़ी है और एक उत्पादक समूह का भी गठन किया है. यह उत्पादक समूह जेएसएलपीएस से जुड़ा हुआ है जो स्थानीय कृषकों से उत्पाद को खरीद रही हैं. यह उत्पादक समूह कृषकों को सीधा फायदा दे रहा है और खुद भी फायदा कमा रहा है.
बच्चों को अधिकारी बनाने का सपनाः
कृषि उत्पादों की बदौलत ममता देवी को हजारों की आमदनी हो रही है. ममता देवी का पहले कच्चा मकान हुआ करता था लेकिन अब उनके पास पक्का मकान है. ममता देवी बताती हैं कि खेती करने के लिए उन्होंने वैज्ञानिक तरीके को अपनाया, जिसके बाद उनके जीवन में बदलाव शुरू हुआ है. उनके बच्चे अब प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करते हैं उनके पति एक राज मिस्त्री का काम करते थे. एक वक्त था कि उनके पति गंभीर रूप से बीमार थे उसी दौरान उन्होंने कुछ करना चाहा था और जेएसएलपीएस से जुड़ी थीं.
ममता देवी कहती हैं कि खेती में उन्होंने काफी मेहनत की जिससे धीरे-धीरे उनकी आमदनी बढ़ती गई. उन्होंने बताया कि सबसे पहले खेत की सिंचाई की योजना पर काम करना शुरू किया. जेएसएलपीएस के सतबरवा बीपीएम आलोक कुमार ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि स्वरोजगार से जुड़ें और अपने जीवन स्तर को बदलें. उन्होंने बताया कि जेएसएलपीएस सभी की मदद कर रहा है.
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