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मैनपुरी में 5100 रुपये नेग के लिए स्टाफ नर्स ने देरी से परिवार को सौंपा नवजात, 40 मिनट तक टेबल पर पड़ा रहा, मौत - Mainpuri Karhal CHC Newborn Death - MAINPURI KARHAL CHC NEWBORN DEATH

मैनपुरी के एक सीएचसी में एक स्टाफ नर्स की लापरवाही से नवजात की मौत हो गई. नेग मिलने के बाद उसने देरी से बच्चे को परिवार को सौंपा, तब तक उसकी हालत बिगड़ चुकी थी. कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई. घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है.

नवजात की मौत के बाद जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है.
नवजात की मौत के बाद जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 1, 2024, 1:52 PM IST

मैनपुरी : डिलीवरी के बाद स्टाफ नर्स की लापरवाही से नवजात की जान चली गई. नेग के लिए उसने देर तक नवजात को परिजनों को नहीं सौंपा. उसने बच्चे को कपड़े में लपेटकर टेबल पर रख दिया. करीब 40 मिनट बाद रुपये मिलने पर उसने नवजात को दिया, लेकिन तब तक बच्चे की हालत बिगड़ चुकी थी. परिजन उसे लेकर सैफई मेडिकल कॉलेज पहुंचे. यहां चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया. इसके बाद परिजनों ने शिकायत की तो स्टाफ नर्स और आशा बहू मिलकर उन्हें धमकाने लगे. सीएमओ ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी घटना का संज्ञान लिया है.

कुर्रा थाना क्षेत्र के ओन्हा पतारा गांव निवासी सुरजीत पुत्र धर्मेंद्र ने डीएम और सीएमओ को शिकायत पत्र भेजा. आरोप लगाया कि 18 सितंबर को पत्नी अंजलि को प्रसव पीड़ा होने पर करहल सीएचसी में भर्ती कराया. 19 सितंबर की सुबह पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया. इसके बाद ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स ज्योति भदौरिया पहुंची. वह 5100 रुपये नेग मांगने लगी. परिजनों ने इतने रुपये देने से इंकार कर दिया तो उसने कपड़े में लपेटकर नवजात को टेबल पर रख दिया.

मान-मनौव्वल करते-करते करीब 40 मिनट का समय बीत गया. बाद में रुपये देने पर नर्स ने नवजात को सौंपा. बच्चे में कोई हलचल न होने पर परिजन हैरान रह गए. इसके बाद बच्चे को सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. आनन-फानन में परिवार के लोग नवजात को लेकर वहां पहुंचे तो जांच के बाद चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. परिजनों के अनुसार वहां के चिकित्सक ने बताया कि समय पर बच्चे को उपचार मिलना जरूरी था.

परिजनों का आरोप है कि मामले में आशा बहू शीला ने भी उन्हें गुमराह किया. उसने स्टाफ नर्स को चिकित्सक बताया था. घटना के बाद स्टाफ नर्स से शिकायत की गई तो वह समझौता करने का दबाव बनाने लगी. इंकार करने पर धमकाने लगी. स्टाफ नर्स की लापरवाही से ही बच्चे की मौत हुई. बाद में परिजनों ने डीएम और सीएमओ से मामले की शिकायत की. सीएमओ आरसी गुप्ता ने पूरे मामले की जांच के लिए डॉक्टर संजीव राय, एसीएमओ डॉक्टर विजेंद्र सिंह, डीपीएम संजीव वर्मा की तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी. कमेटी को 4 दिन में रिपोर्ट देनी है.

सीएमओ ने बताया कि घटना के तत्काल बाद शिकायत नहीं मिली थी. जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है, जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस तरह का मामला किसी और अस्पताल में न हो, इसके लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं. वहीं डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का कहना है कि मामले की जानकारी मिली है. जांच की निर्देश दिए गए हैं. आरोपी संविदा स्टाफ नर्स ज्योति भदौरिया का तबादला शुल्तानगंज के बिछवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कर दिया गया है. लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

यह भी पढ़ें : यूपी सरकार की पहल: सीतापुर में 107 करोड़ की लागत से बनेगा 200 बेड वाला बहुमंजिला अस्पताल

मैनपुरी : डिलीवरी के बाद स्टाफ नर्स की लापरवाही से नवजात की जान चली गई. नेग के लिए उसने देर तक नवजात को परिजनों को नहीं सौंपा. उसने बच्चे को कपड़े में लपेटकर टेबल पर रख दिया. करीब 40 मिनट बाद रुपये मिलने पर उसने नवजात को दिया, लेकिन तब तक बच्चे की हालत बिगड़ चुकी थी. परिजन उसे लेकर सैफई मेडिकल कॉलेज पहुंचे. यहां चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया. इसके बाद परिजनों ने शिकायत की तो स्टाफ नर्स और आशा बहू मिलकर उन्हें धमकाने लगे. सीएमओ ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी घटना का संज्ञान लिया है.

कुर्रा थाना क्षेत्र के ओन्हा पतारा गांव निवासी सुरजीत पुत्र धर्मेंद्र ने डीएम और सीएमओ को शिकायत पत्र भेजा. आरोप लगाया कि 18 सितंबर को पत्नी अंजलि को प्रसव पीड़ा होने पर करहल सीएचसी में भर्ती कराया. 19 सितंबर की सुबह पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया. इसके बाद ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स ज्योति भदौरिया पहुंची. वह 5100 रुपये नेग मांगने लगी. परिजनों ने इतने रुपये देने से इंकार कर दिया तो उसने कपड़े में लपेटकर नवजात को टेबल पर रख दिया.

मान-मनौव्वल करते-करते करीब 40 मिनट का समय बीत गया. बाद में रुपये देने पर नर्स ने नवजात को सौंपा. बच्चे में कोई हलचल न होने पर परिजन हैरान रह गए. इसके बाद बच्चे को सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. आनन-फानन में परिवार के लोग नवजात को लेकर वहां पहुंचे तो जांच के बाद चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. परिजनों के अनुसार वहां के चिकित्सक ने बताया कि समय पर बच्चे को उपचार मिलना जरूरी था.

परिजनों का आरोप है कि मामले में आशा बहू शीला ने भी उन्हें गुमराह किया. उसने स्टाफ नर्स को चिकित्सक बताया था. घटना के बाद स्टाफ नर्स से शिकायत की गई तो वह समझौता करने का दबाव बनाने लगी. इंकार करने पर धमकाने लगी. स्टाफ नर्स की लापरवाही से ही बच्चे की मौत हुई. बाद में परिजनों ने डीएम और सीएमओ से मामले की शिकायत की. सीएमओ आरसी गुप्ता ने पूरे मामले की जांच के लिए डॉक्टर संजीव राय, एसीएमओ डॉक्टर विजेंद्र सिंह, डीपीएम संजीव वर्मा की तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी. कमेटी को 4 दिन में रिपोर्ट देनी है.

सीएमओ ने बताया कि घटना के तत्काल बाद शिकायत नहीं मिली थी. जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है, जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस तरह का मामला किसी और अस्पताल में न हो, इसके लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं. वहीं डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का कहना है कि मामले की जानकारी मिली है. जांच की निर्देश दिए गए हैं. आरोपी संविदा स्टाफ नर्स ज्योति भदौरिया का तबादला शुल्तानगंज के बिछवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कर दिया गया है. लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

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