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यूपी में अखिलेश का क्या था मास्टर स्ट्रोक? एक क्लिक में जानिए- सपा की ऐतिहासिक जीत के 5 कारण - Samajwadi Party Victory Reasons

SP Victory in UP: बीते दो चुनावों 2014 और 2019 में समाजवादी पार्टी अलग-अलग गठबंधन के साथ और अलग-अलग मुद्दों के साथ चुनाव में उतरी थी. मगर इस बार दलित और पिछड़ा के नाम से सपा ने जमकर वोट बटोरे हैं. सपा संविधान को बचाने, दलितों का आरक्षण बचाने का नारा लेकर दलितों के बीच पहुंची थी.

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राहुल गांधी और अखिलेश यादव. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 7, 2024, 2:42 PM IST

Updated : Jun 7, 2024, 3:04 PM IST

लखनऊ/वाराणसी: लोकसभा चुनाव-2024 के परिणाम आ चुके हैं. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर से अपना दमखम दिखाया है और भारतीय जनता पार्टी से अधिक सीटों पर कब्जा किया है. अखिलेश यादव की इस बड़ी सियासी जीत के पीछे कई कारण हैं. सियासी रणनीति भी शामिल है.

बीते दो चुनावों 2014 और 2019 में समाजवादी पार्टी अलग-अलग गठबंधन के साथ और अलग-अलग मुद्दों के साथ चुनाव में उतरी थी. मगर इस बार दलित और पिछड़ा के नाम से सपा ने जमकर वोट बटोरे हैं. सपा संविधान को बचाने, दलितों का आरक्षण बचाने का नारा लेकर दलितों के बीच पहुंची थी.

भाजपा पर आरोप लगे कि सत्ता में आने पर आरक्षण खत्म हो जाएंगे. दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने जब 400 पार का नारा दिया तब बीजेपी के फैजाबाद से सांसद लल्लू सिंह सहित कई नेताओं ने आरक्षण और संविधान समाप्त करने की बात कह डाली. इसको अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने बड़ा मुद्दा बना डाला. ऐसे में इस संदेश को लोगों तक पहुंचाने का काम सपा ने किया और उसी का परिणाम है कि दलित सपा के साथ आ गए.

लोकसभा चुनाव 2024 में सपा ने यूपी में दर्ज की ऐतिहासिक जीत
लोकसभा चुनाव 2024 में सपा ने यूपी में दर्ज की ऐतिहासिक जीत (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Graphics)

इसी का नतीजा ये रहा कि सपा ने यूपी में ऐतिहासिक जीत दर्ज की. अब तक के इतिहास में सपा ने कभी किसी लोकसभा चुनाव में यूपी की 37 सीटों पर कब्जा नहीं जमाया था. लेकिन, इस बार अखिलेश यादव ने ये करिश्मा कर दिखाया.

अखिलेश की जीत के 5 प्रमुख कारण

  • अखिलेश यादव का कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ना और बसपा से पूरी तरह से दूरी बनाए रखना.
  • आरक्षण और संविधान समाप्त करने की बात को मुद्दा बनाकर जनता के बीच पेश करना.
  • जातिगत जनगणना करने का वादा करना.
  • किसानों की आय दोगुनी न करके किसानों को केंद्र सरकार द्वारा छलने की बात करना.
  • पेपर लीक और प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार करके नौकरी न दिए जाने का बड़ा मुद्दा अखिलेश यादव ने उठाया.

सपा ने जातीय गोलबंदी का खेला खेल: माना जाता है कि चुनाव में अगर जीत दर्ज करनी है तो जातीय समीकरण को अपने खेमे में लाना जरूरी है. लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी की ओर से जो जातीय गोलबंदी का होमवर्क किया गया, उसने निश्चित रूप से न सिर्फ दलित वोट बैंक को लाने का काम किया बल्कि एक बड़ा फायदा भी पहुंचाया है, जिसकी तस्वीर लोकसभा चुनाव-2024 के परिणामों में उत्तर प्रदेश में नजर आ रही है.

लोकसभा चुनाव-2024 में न सिर्फ बीते दो चुनावों का रिकॉर्ड टूटा है, बल्कि समाजवादी पार्टी ने अकेले दम पर भारतीय जनता पार्टी से अधिक सीटें निकाली हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि जातीय समीकरण के चलते INDI गठबंधन को इसका फायदा मिला है.

काम आया अखिलेश का PDA फॉर्मूला: अंबेडकर वाहिनी के राष्ट्रीय महासचिव सत्य प्रकाश सोनकर का कहना है, 'साल 2022 में जब से भाजपा की सरकार उत्तर प्रदेश में बनी है, तभी से अखिलेश यादव पीडीए का फॉर्मूला लेकर चल रहे हैं. इसमें पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक का नारा लेकर वे चलते रहे हैं.

पीड़ित अगड़े का नारा लेकर भी वे जनता के बीच जाने का काम करते रहे. उन्होंने बेरोजगारी, महंगाई, महिला सुरक्षा, नौजवानों के हक की बात की. साथ ही संविधान बचाने का काम किया है, जहां भाजपा के सांसद खुलेआम कह रहे थे कि हम संविधान बदलकर एक नए संविधान की रचना करेंगे. जहां केवल जाति और धर्म की बात हो रही थी.

आरक्षण खत्म करना चाहती थी भाजपा: उन्होंने कहा कि, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अंबेडकर वाहिनी का गठन किया. हम लोगों ने तमाम विधानसभा क्षेत्रों में जाकर वोट मांगने का काम किया. साथ ही जो संविधान में आरक्षण की नीति को जो ये खत्म करना चाह रहे थे, उस संदेश को लेकर हम उन वर्ग के बीच जाने का काम कर रहे थे.

भाजपा की 400 पार की जो मंशा थी हम लोग उस चीज को बताने का कार्य कर रहे थे. वहीं जनता अखिलेश यादव भरोसा करके हमें इनता बड़ा वोट बैंक और जनमत देने का काम कर रही है. एक हाथ में अखिलेश यादव के हाथ में संविधान हुआ करता था. हम लोगों ने अंबेडकर के संदेश को दलितों के बीच ले जाने और समझाने का काम किया है.

2027 में हम जीतेंगे 300 से अधिक सीटें: सत्य प्रकाश सोनकर ने कहा कि, अखिलेश यादव की नीतियों के मुताबिक हमने गांवों में बूथ स्तर पर जाने का काम किया है. आज जो हमें रिजल्ट मिल रहा है वह देखने लायक है. दलित समाज के सभी मतदाताओं का सम्मान करना चाहता हूं. अगर ये लगता है कि बसपा का वोटबैंक हमारी तरफ आया है तो कहीं न कहीं ये अखिलेश यादव पर विश्वास है.

आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव में ये विश्वास दिखेगा और कम से कम 300 से अधिक सीटें समाजवादी पार्टी जीतकर पहुंचेगी. उत्तर प्रदेश की जनता के साथ ही देश की जनता को आभार, जिन्होंने इंडी गठबंधन को वोट दिया है. यूपी के दलित समाज को भी धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने अखिलेश यादव पर भरोसा किया.

ये भी पढ़ेंः CM Yogi कैसे बचा पाए गढ़? अखिलेश के PDA की लहर, राम मंदिर कार्ड फेल... फिर भी BJP जीती गोरखपुर-बांसगांव

लखनऊ/वाराणसी: लोकसभा चुनाव-2024 के परिणाम आ चुके हैं. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर से अपना दमखम दिखाया है और भारतीय जनता पार्टी से अधिक सीटों पर कब्जा किया है. अखिलेश यादव की इस बड़ी सियासी जीत के पीछे कई कारण हैं. सियासी रणनीति भी शामिल है.

बीते दो चुनावों 2014 और 2019 में समाजवादी पार्टी अलग-अलग गठबंधन के साथ और अलग-अलग मुद्दों के साथ चुनाव में उतरी थी. मगर इस बार दलित और पिछड़ा के नाम से सपा ने जमकर वोट बटोरे हैं. सपा संविधान को बचाने, दलितों का आरक्षण बचाने का नारा लेकर दलितों के बीच पहुंची थी.

भाजपा पर आरोप लगे कि सत्ता में आने पर आरक्षण खत्म हो जाएंगे. दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने जब 400 पार का नारा दिया तब बीजेपी के फैजाबाद से सांसद लल्लू सिंह सहित कई नेताओं ने आरक्षण और संविधान समाप्त करने की बात कह डाली. इसको अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने बड़ा मुद्दा बना डाला. ऐसे में इस संदेश को लोगों तक पहुंचाने का काम सपा ने किया और उसी का परिणाम है कि दलित सपा के साथ आ गए.

लोकसभा चुनाव 2024 में सपा ने यूपी में दर्ज की ऐतिहासिक जीत
लोकसभा चुनाव 2024 में सपा ने यूपी में दर्ज की ऐतिहासिक जीत (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Graphics)

इसी का नतीजा ये रहा कि सपा ने यूपी में ऐतिहासिक जीत दर्ज की. अब तक के इतिहास में सपा ने कभी किसी लोकसभा चुनाव में यूपी की 37 सीटों पर कब्जा नहीं जमाया था. लेकिन, इस बार अखिलेश यादव ने ये करिश्मा कर दिखाया.

अखिलेश की जीत के 5 प्रमुख कारण

  • अखिलेश यादव का कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ना और बसपा से पूरी तरह से दूरी बनाए रखना.
  • आरक्षण और संविधान समाप्त करने की बात को मुद्दा बनाकर जनता के बीच पेश करना.
  • जातिगत जनगणना करने का वादा करना.
  • किसानों की आय दोगुनी न करके किसानों को केंद्र सरकार द्वारा छलने की बात करना.
  • पेपर लीक और प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार करके नौकरी न दिए जाने का बड़ा मुद्दा अखिलेश यादव ने उठाया.

सपा ने जातीय गोलबंदी का खेला खेल: माना जाता है कि चुनाव में अगर जीत दर्ज करनी है तो जातीय समीकरण को अपने खेमे में लाना जरूरी है. लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी की ओर से जो जातीय गोलबंदी का होमवर्क किया गया, उसने निश्चित रूप से न सिर्फ दलित वोट बैंक को लाने का काम किया बल्कि एक बड़ा फायदा भी पहुंचाया है, जिसकी तस्वीर लोकसभा चुनाव-2024 के परिणामों में उत्तर प्रदेश में नजर आ रही है.

लोकसभा चुनाव-2024 में न सिर्फ बीते दो चुनावों का रिकॉर्ड टूटा है, बल्कि समाजवादी पार्टी ने अकेले दम पर भारतीय जनता पार्टी से अधिक सीटें निकाली हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि जातीय समीकरण के चलते INDI गठबंधन को इसका फायदा मिला है.

काम आया अखिलेश का PDA फॉर्मूला: अंबेडकर वाहिनी के राष्ट्रीय महासचिव सत्य प्रकाश सोनकर का कहना है, 'साल 2022 में जब से भाजपा की सरकार उत्तर प्रदेश में बनी है, तभी से अखिलेश यादव पीडीए का फॉर्मूला लेकर चल रहे हैं. इसमें पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक का नारा लेकर वे चलते रहे हैं.

पीड़ित अगड़े का नारा लेकर भी वे जनता के बीच जाने का काम करते रहे. उन्होंने बेरोजगारी, महंगाई, महिला सुरक्षा, नौजवानों के हक की बात की. साथ ही संविधान बचाने का काम किया है, जहां भाजपा के सांसद खुलेआम कह रहे थे कि हम संविधान बदलकर एक नए संविधान की रचना करेंगे. जहां केवल जाति और धर्म की बात हो रही थी.

आरक्षण खत्म करना चाहती थी भाजपा: उन्होंने कहा कि, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अंबेडकर वाहिनी का गठन किया. हम लोगों ने तमाम विधानसभा क्षेत्रों में जाकर वोट मांगने का काम किया. साथ ही जो संविधान में आरक्षण की नीति को जो ये खत्म करना चाह रहे थे, उस संदेश को लेकर हम उन वर्ग के बीच जाने का काम कर रहे थे.

भाजपा की 400 पार की जो मंशा थी हम लोग उस चीज को बताने का कार्य कर रहे थे. वहीं जनता अखिलेश यादव भरोसा करके हमें इनता बड़ा वोट बैंक और जनमत देने का काम कर रही है. एक हाथ में अखिलेश यादव के हाथ में संविधान हुआ करता था. हम लोगों ने अंबेडकर के संदेश को दलितों के बीच ले जाने और समझाने का काम किया है.

2027 में हम जीतेंगे 300 से अधिक सीटें: सत्य प्रकाश सोनकर ने कहा कि, अखिलेश यादव की नीतियों के मुताबिक हमने गांवों में बूथ स्तर पर जाने का काम किया है. आज जो हमें रिजल्ट मिल रहा है वह देखने लायक है. दलित समाज के सभी मतदाताओं का सम्मान करना चाहता हूं. अगर ये लगता है कि बसपा का वोटबैंक हमारी तरफ आया है तो कहीं न कहीं ये अखिलेश यादव पर विश्वास है.

आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव में ये विश्वास दिखेगा और कम से कम 300 से अधिक सीटें समाजवादी पार्टी जीतकर पहुंचेगी. उत्तर प्रदेश की जनता के साथ ही देश की जनता को आभार, जिन्होंने इंडी गठबंधन को वोट दिया है. यूपी के दलित समाज को भी धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने अखिलेश यादव पर भरोसा किया.

ये भी पढ़ेंः CM Yogi कैसे बचा पाए गढ़? अखिलेश के PDA की लहर, राम मंदिर कार्ड फेल... फिर भी BJP जीती गोरखपुर-बांसगांव

Last Updated : Jun 7, 2024, 3:04 PM IST
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