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महाशिवरात्रि विशेष, जानिए 2 हजार साल पुराने कुषाणकालीन दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग के बारे में - Maha Shivratri 2024

Maha Shivratri 2024, भरतपुर के राजकीय संग्रहालय में एक ऐसा दुर्लभ शिवलिंग है, जो लगभग 2 हजार साल पुराना है, लाल पत्थर से निर्मित ये एकमुखी शिवलिंग कुषाण काल का है.

भरतपुर का दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग
भरतपुर का दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 7, 2024, 9:34 PM IST

भरतपुर का दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग

भरतपुर. महाशिवरात्रि 8 मार्च को पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाएगी. इस अवसर हम आपको लेकर चलते हैं भरतपुर, जहां पर एक ऐसा दुलर्भ शिवलिंग मौजूद है, जो लगभग दो हजार साल पुराना है. ये दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग कुषाण कालीन है, जो लाल पत्थर से निर्मित है. यह शिवलिंग भरतपुर जिले के अघापुर गांव से उत्खनन में मिला था. इसके साथ ही भरतपुर के राजकीय संग्रहालय में शुंगकाल से मध्यकाल तक की शिव-पार्वती की तमाम प्रतिमाएं मौजूद हैं. ये प्रतिमाएं जिले के अलग-अलग क्षेत्रों से प्राप्त हुईं हैं. ये प्राचीन प्रतिमाएं इस बात का प्रमाण दे रही हैं कि भरतपुर का शैव धर्म से लंबा नाता रहा है.

भरतपुर के राजकीय संग्रहालय में करीब 4 फीट ऊंची एकमुखी शिवलिंग की प्रतिमा रखी है. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि यह प्रतिमा अघापुर गांव से प्राप्त हुई थी. बंशी पहाड़पुर के लाल पत्थर से निर्मित यह प्रतिमा कुषाण कालीन है, यानी करीब 2 हजार साल से भी ज्यादा प्राचीन. इसके शीर्ष भाग पर उष्णिषी शिव का अंकन है. इतिहासकार वर्मा ने बताया कि ये शिवलिंग बहुत ही दुर्लभ है.

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इसे भी पढ़ें-महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च को, बन रहा खास संयोग, पूजा में इन बातों का रखें ध्यान

भरतपुर का शैव धर्म से नाता : इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि कुषाण काल में शिव की लिंग विग्रह में पूजा होती थी, लेकिन समय के साथ-साथ शिव की आराधना के प्रकार बदलते गए और उसी के अनुरूप प्रतिमाओं का निर्माण भी होता गया. राजकीय संग्रहालय में शिव-पार्वती विवाह, अलग-अलग भाव भंगिमा की प्रतिमाएं रखी हैं. ये सभी प्राचीन प्रतिमाएं भरतपुर के अलग-अलग गांव से उत्खनन में मिली हैं. जो भरतपुर के शैव धर्म से जुड़ाव प्रमाणित करती हैं.

भरतपुर में मिली कई प्रतिमाएं

  1. भरतपुर जिले के नोंह गांव से शिव पार्वती विवाह की एक गुप्तकालीन प्रतिमा प्राप्त हुई, जो कि राजकीय संग्रहालय में रखी हुई है. इस प्रतिमा में शिव और पार्वती के विवाह का अंकन आकर्षक शिल्प के साथ किया गया है. यह बहुत ही प्राचीन प्रतिमा है, जो कि नोंह गांव के प्राचीन इतिहास को प्रदर्शित करती है.
  2. संग्रहालय में एक उमा-महेश्वर प्रतिमा भी रखी हुई है. इस प्रतिमा में शिव और पार्वती ललित आसान मुद्रा में नदी पर विराजमान हैं. इसी में शिव और पार्वती के पीछे की तरफ भगवान विष्णु और ब्रह्मा को शिव की आराधना करते हुए दर्शाया गया है. यह उत्तर गुप्त काल की प्रतिमा है और भरतपुर (वर्तमान में डीग जिला) के कामां से प्राप्त हुई थी.
  3. संग्रहालय में उत्तर गुप्तकाल की एक और प्रतिमा रखी है. इसमें शिव जी चतुर्हस्त और गले में नरमुंड की माला धारण किए हुए हैं. प्रतिमा में नंदी को भी प्रदर्शित किया गया है. यह प्रतिमा शहर के पास ही स्थित मलाह गांव से मिली थी.

सभी प्रतिमाएं खंडित : संग्रहालय में रखी सभी प्रतिमाएं खंडित अवस्था में हैं. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि ये प्रतिमाएं मुगल अक्रांताओं ने नष्ट कर दी थीं, लेकिन इनका अद्भुत शिल्प आज भी स्पष्ट नजर आता है.

भरतपुर का दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग

भरतपुर. महाशिवरात्रि 8 मार्च को पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाएगी. इस अवसर हम आपको लेकर चलते हैं भरतपुर, जहां पर एक ऐसा दुलर्भ शिवलिंग मौजूद है, जो लगभग दो हजार साल पुराना है. ये दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग कुषाण कालीन है, जो लाल पत्थर से निर्मित है. यह शिवलिंग भरतपुर जिले के अघापुर गांव से उत्खनन में मिला था. इसके साथ ही भरतपुर के राजकीय संग्रहालय में शुंगकाल से मध्यकाल तक की शिव-पार्वती की तमाम प्रतिमाएं मौजूद हैं. ये प्रतिमाएं जिले के अलग-अलग क्षेत्रों से प्राप्त हुईं हैं. ये प्राचीन प्रतिमाएं इस बात का प्रमाण दे रही हैं कि भरतपुर का शैव धर्म से लंबा नाता रहा है.

भरतपुर के राजकीय संग्रहालय में करीब 4 फीट ऊंची एकमुखी शिवलिंग की प्रतिमा रखी है. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि यह प्रतिमा अघापुर गांव से प्राप्त हुई थी. बंशी पहाड़पुर के लाल पत्थर से निर्मित यह प्रतिमा कुषाण कालीन है, यानी करीब 2 हजार साल से भी ज्यादा प्राचीन. इसके शीर्ष भाग पर उष्णिषी शिव का अंकन है. इतिहासकार वर्मा ने बताया कि ये शिवलिंग बहुत ही दुर्लभ है.

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भरतपुर का शैव धर्म से नाता : इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि कुषाण काल में शिव की लिंग विग्रह में पूजा होती थी, लेकिन समय के साथ-साथ शिव की आराधना के प्रकार बदलते गए और उसी के अनुरूप प्रतिमाओं का निर्माण भी होता गया. राजकीय संग्रहालय में शिव-पार्वती विवाह, अलग-अलग भाव भंगिमा की प्रतिमाएं रखी हैं. ये सभी प्राचीन प्रतिमाएं भरतपुर के अलग-अलग गांव से उत्खनन में मिली हैं. जो भरतपुर के शैव धर्म से जुड़ाव प्रमाणित करती हैं.

भरतपुर में मिली कई प्रतिमाएं

  1. भरतपुर जिले के नोंह गांव से शिव पार्वती विवाह की एक गुप्तकालीन प्रतिमा प्राप्त हुई, जो कि राजकीय संग्रहालय में रखी हुई है. इस प्रतिमा में शिव और पार्वती के विवाह का अंकन आकर्षक शिल्प के साथ किया गया है. यह बहुत ही प्राचीन प्रतिमा है, जो कि नोंह गांव के प्राचीन इतिहास को प्रदर्शित करती है.
  2. संग्रहालय में एक उमा-महेश्वर प्रतिमा भी रखी हुई है. इस प्रतिमा में शिव और पार्वती ललित आसान मुद्रा में नदी पर विराजमान हैं. इसी में शिव और पार्वती के पीछे की तरफ भगवान विष्णु और ब्रह्मा को शिव की आराधना करते हुए दर्शाया गया है. यह उत्तर गुप्त काल की प्रतिमा है और भरतपुर (वर्तमान में डीग जिला) के कामां से प्राप्त हुई थी.
  3. संग्रहालय में उत्तर गुप्तकाल की एक और प्रतिमा रखी है. इसमें शिव जी चतुर्हस्त और गले में नरमुंड की माला धारण किए हुए हैं. प्रतिमा में नंदी को भी प्रदर्शित किया गया है. यह प्रतिमा शहर के पास ही स्थित मलाह गांव से मिली थी.

सभी प्रतिमाएं खंडित : संग्रहालय में रखी सभी प्रतिमाएं खंडित अवस्था में हैं. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि ये प्रतिमाएं मुगल अक्रांताओं ने नष्ट कर दी थीं, लेकिन इनका अद्भुत शिल्प आज भी स्पष्ट नजर आता है.

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