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रायपुर का हटकेश्वरनाथ धाम, राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र प्राप्ति के बाद कराया था मंदिर का निर्माण

Raipur Hatkeshwarnath Dham temple: रायपुर का प्राचीन हटकेश्वरनाथ धाम मंदिर का निर्माण कलचुरी शासनकाल में राजा ब्रह्मदेव ने कराया था. महाशिवरात्रि के मौके पर यहां भक्तों की भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है.

Raipur Hatkeshwarnath Dham temple
रायपुर का प्राचीन हटकेश्वरनाथ धाम
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 7, 2024, 1:28 PM IST

Updated : Mar 7, 2024, 1:55 PM IST

राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र प्राप्ति के बाद कराया था मंदिर का निर्माण

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के खारुन नदी के तट पर बसे हटकेश्वर नाथ धाम को महादेव घाट के नाम से भी जाना जाता है. हटकेश्वरनाथ धाम में स्वयंभू शिवलिंग मौजूद है. यहां हर साल महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा पर भव्य मेला लगता है.महाशिवरात्रि को लेकर पूरे मंदिर परिसर को भव्य सजाया जाता है. यहां महाशिवरात्रि के मौके पर भक्तों की उमड़ने वाली भीड़ देखने लायक होती है. इस दिन यहां विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ का माता पार्वती से विवाह कराया जाता है.

राजा ब्रह्मदेव ने कराया था मंदिर का निर्माण: कहा जाता है कलचुरी शासनकाल में राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद साल 1928 में इस मंदिर का निर्माण कराया था. इस मंदिर का निर्माण 1428 ईस्वी में राजा ब्रह्मदेव ने किया था. उस समय हैययवंशी राजाओं का शासन काल था. मंदिर के पुजारी की मानें तो राजा ब्रह्मदेव के घोड़े को रायपुर के पास चोट लगी थी. वह घोड़ा गिर गया, जिसके बाद उस स्थल से घास फूस और सूखी लकड़ियों को हटाकर जब राजा ने देखा तो वहां पर स्वयंभू शिवलिंग मौजूद थे. राजा ने खारून नदी से जल लाकर शिवलिंग को अर्पित किया और भगवान से प्रार्थना की कि जब उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी, तब वो यहां मंदिर का निर्माण कराएंगे. पुत्र प्राप्ति के बाद राजा ने यहां मंदिर का निर्माण कराया.

राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र धन की प्राप्ति के बाद यहां मंदिर का निर्माण कराया. महाशिवरात्रि ही नहीं कार्तिक पूर्णिमा और सावन माह में भी यहां भव्य मेला लगता है. इस दौरान यहां भक्तों की भीड़ देखने लायक होती है. -पंडित सुरेश गिरी गोस्वामी, पुजारी, हटकेश्वरनाथ धाम

दूसरे राज्यों से भी पहुंचते हैं भक्त: हटकेश्वरनाथ धाम में आए भक्तों से ईटीवी भारत ने बातचीत की. एक भक्त ने बताया कि, "खारुन नदी के तट पर बने इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना वैसे तो साल भर होती है, लेकिन सावन, महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां पर मेले जैसे माहौल रहता है. इस मंदिर में आने वाले भक्तों और श्रद्धालुओं की हर मनोकामना बाबा भोलेनाथ पूरी करते हैं. हटकेश्वरनाथ धाम में छत्तीसगढ़ के साथ ही उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों से भी श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं."

खारुन नदी के किनारे हैययवंसी राजा ने अपना किला बनाया था. राजा ने तपस्या की थी और संतान प्राप्ति के बाद राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. कलचुरी कालीन यह मंदिर स्थापत्य कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. -डॉ रमेन्द्र नाथ मिश्र, इतिहासकार

यहा हर किसी की मनोकामना होती है पूरी: बता दें कि इस बार भी ऐतिहासिक हटकेश्वरनाथ धाम में महाशिवरात्रि की भव्य तैयारियां की गई है. महाशिवरात्रि के मौके पर यहां भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. भक्तों की मानें तो यहां हर किसी की मनोकामना पूरी होती है. यही कारण है कि यहां छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी भक्त बाबा के पास अपनी अर्जी लेकर आते हैं और मनोकामना पाकर जाते हैं.

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राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र प्राप्ति के बाद कराया था मंदिर का निर्माण

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के खारुन नदी के तट पर बसे हटकेश्वर नाथ धाम को महादेव घाट के नाम से भी जाना जाता है. हटकेश्वरनाथ धाम में स्वयंभू शिवलिंग मौजूद है. यहां हर साल महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा पर भव्य मेला लगता है.महाशिवरात्रि को लेकर पूरे मंदिर परिसर को भव्य सजाया जाता है. यहां महाशिवरात्रि के मौके पर भक्तों की उमड़ने वाली भीड़ देखने लायक होती है. इस दिन यहां विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ का माता पार्वती से विवाह कराया जाता है.

राजा ब्रह्मदेव ने कराया था मंदिर का निर्माण: कहा जाता है कलचुरी शासनकाल में राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद साल 1928 में इस मंदिर का निर्माण कराया था. इस मंदिर का निर्माण 1428 ईस्वी में राजा ब्रह्मदेव ने किया था. उस समय हैययवंशी राजाओं का शासन काल था. मंदिर के पुजारी की मानें तो राजा ब्रह्मदेव के घोड़े को रायपुर के पास चोट लगी थी. वह घोड़ा गिर गया, जिसके बाद उस स्थल से घास फूस और सूखी लकड़ियों को हटाकर जब राजा ने देखा तो वहां पर स्वयंभू शिवलिंग मौजूद थे. राजा ने खारून नदी से जल लाकर शिवलिंग को अर्पित किया और भगवान से प्रार्थना की कि जब उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी, तब वो यहां मंदिर का निर्माण कराएंगे. पुत्र प्राप्ति के बाद राजा ने यहां मंदिर का निर्माण कराया.

राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र धन की प्राप्ति के बाद यहां मंदिर का निर्माण कराया. महाशिवरात्रि ही नहीं कार्तिक पूर्णिमा और सावन माह में भी यहां भव्य मेला लगता है. इस दौरान यहां भक्तों की भीड़ देखने लायक होती है. -पंडित सुरेश गिरी गोस्वामी, पुजारी, हटकेश्वरनाथ धाम

दूसरे राज्यों से भी पहुंचते हैं भक्त: हटकेश्वरनाथ धाम में आए भक्तों से ईटीवी भारत ने बातचीत की. एक भक्त ने बताया कि, "खारुन नदी के तट पर बने इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना वैसे तो साल भर होती है, लेकिन सावन, महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां पर मेले जैसे माहौल रहता है. इस मंदिर में आने वाले भक्तों और श्रद्धालुओं की हर मनोकामना बाबा भोलेनाथ पूरी करते हैं. हटकेश्वरनाथ धाम में छत्तीसगढ़ के साथ ही उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों से भी श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं."

खारुन नदी के किनारे हैययवंसी राजा ने अपना किला बनाया था. राजा ने तपस्या की थी और संतान प्राप्ति के बाद राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. कलचुरी कालीन यह मंदिर स्थापत्य कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. -डॉ रमेन्द्र नाथ मिश्र, इतिहासकार

यहा हर किसी की मनोकामना होती है पूरी: बता दें कि इस बार भी ऐतिहासिक हटकेश्वरनाथ धाम में महाशिवरात्रि की भव्य तैयारियां की गई है. महाशिवरात्रि के मौके पर यहां भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. भक्तों की मानें तो यहां हर किसी की मनोकामना पूरी होती है. यही कारण है कि यहां छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी भक्त बाबा के पास अपनी अर्जी लेकर आते हैं और मनोकामना पाकर जाते हैं.

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Last Updated : Mar 7, 2024, 1:55 PM IST
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