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महासमुंद में मतदान की तैयारियां पूरी, दो दिग्गज ओबीसी प्रत्याशियों के बीच मुकाबला - Mahasamund Loksabha election 2024 - MAHASAMUND LOKSABHA ELECTION 2024

छत्तीसगढ़ की हाईप्रोफाइल लोकसभा सीटों में एक सीट महासमुंद लोकसभा सीट है. इस सीट का चुनावी इतिहास काफी दिलचस्प रहा है. इसी सीट से प्रदेश के पहले सीएम भी सांसद रह चुके हैं. लोकसभा चुनाव को लेकर इस सीट पर तैयारियां लगभग पूर हो चुकी है. इस बार इस सीट पर कांग्रेस ने ताम्रध्वज साहू को टिकट दिया है. जबकि बीजेपी ने रूपकुमारी चौधरी को टिकट दिया है.

Mahasamund constituency
महासमुंद में मतदान की तैयारियां पूरी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 24, 2024, 10:00 PM IST

Updated : Apr 26, 2024, 6:21 AM IST

महासमुंद सीट पर मतदान की तैयारियां पूरी

महासमुंद: छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल शुक्रवार को है. महासमुंद लोकसभा सीट हाईप्रोफाइल सीट है. इस दिन महासमुंद लोकसभा सीट पर भी मतदान होना है. बुधवार शाम 5 बजे चुनाव प्रचार भी थम जाएगा. इस बीच हर क्षेत्र में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम हैं.

जानिए किनके बीच है मुकाबला ?: महासुंद लोकसभा सीट में ओबीसी समाज के लोग अधिक हैं. यही कारण है कि महासमुंद लोकसभा सीट पर बीजेपी ने एक ओबीसी वर्ग की महिला रूप कुमारी चौधरी को मैदान में उतारा है. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी वर्ग से ही छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री और दिग्गज नेता ताम्रध्वज साहू को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. ऐसे में इस सीट पर दो ओबीसी प्रत्याशियों के बीच जबरदस्त टक्कर है.

महासमुंद क्षेत्र को जानिए: महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में 3 जिले शामिल हैं. इनमें धमतरी, गरियाबंद और महासमुंद जिला शामिल है. महासमुंद लोकसभा के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से चार विधानसभा क्षेत्र सरायपाली, खल्लारी, धमतरी और बिन्द्रानवागढ़ पर कांग्रेस का कब्जा है. वहीं, चार विधानसभा क्षेत्रों में महासमुंद, बसना, राजिम और कुरूद पर बीजेपी का कब्जा है.

हाईप्रोफाइल सीट है महासमुंद: छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से महासमुंद लोकसभा सीट हाई प्रोफाइल सीट है, क्योंकि इस सीट पर कई दिग्गजों का कब्जा रहा है. यहां साल 1952 से अब तक कुल 19 चुनाव हुए हैं, जिसमें महासमुंद लोकसभा सीट पर 12 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है. कांग्रेस के कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल सात बार महासमुंद से चुनाव जीतकर केंद्र में वरिष्ठ मंत्री रहे हैं. वहीं, अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे श्यामाचरण शुक्ल भी एक बार महासमुंद से चुनाव जीत चुके हैं. इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी साल 2004 के लोकसभा चुनाव में महासमुंद लोकसभा सीट से जीत हासिल किए थे. अजीत जोगी के बाद साल 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने महासमुंद की सीट पर कब्जा किया है.

एक नजर जातिगत समीकरण पर: महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरण पर अगर गौर करें तो यहां 51 फीसद मतदाता अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं. इनमें साहू, कुर्मी, अघरिया, यादव और कोलता समाज के लोग अधिक हैं. अनुसूचित जनजाति के वोटर लगभग 20 फीसद हैं. अनुसूचित जाति के वोटर लगभग 11 फीसद हैं. अनारक्षित वर्ग के लगभग 12 फीसद मतदाता हैं. यानी कि महासमुंद लोकसभा क्षेत्र अन्य पिछड़ा वर्ग बाहुल क्षेत्र है.

महासमुंद सीट के मुद्दे और समस्याएं: इस क्षेत्र में महिला थाना न होने से महिलाओं को दिक्कतें होती है. किसानों के लिए सिंचाई की सुगम व्यवस्था नहीं है, हालांकि सीकासेर जलासय शुरू होने के संकेत मिले हैं. लेकिन अब तक महासमुंद में यह शुरू ही नहीं हुआ है.आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार मूलक शिक्षा नहीं है. यहां के अधिकांश युवक बेरोजगार है.100 बिस्तरों के जिला अस्पताल को अब मेडिकल कॉलेज बनाया गया है, लेकिन यहां सुविधाओं का आभाव है. बड़े केस को रायपुर रेफर कर दिया जाता हैं. यातायात सुविधाओं का आभाव है.

महासमुंद क्षेत्र का सियासी इतिहास: महासमुंद को छत्तीसगढ़ की राजनीति का प्रमुख केंद्र माना जाता है. यहां से कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल सात बार सांसद रहे. श्यामा चरण शुक्ल और अजीत जोगी जैसे दिग्गज कांग्रेस नेता भी महासमुंद लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, लेकिन उसके बाद साल 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के चंदूलाल साहू ने कांग्रेस से ये सीट छीन लिया था. उसके बाद से बीजेपी यहां रेस में आ गई. हालांकि साल 1999 और साल 2004 में कांग्रेस की यहां पर जीत हुई, लेकिन उसके बाद से लगातार बीजेपी का इस सीट पर कब्जा है.

History of Mahasamund seat
महासमुंद सीट का इतिहास

महासमुंद सीट का संसदीय इतिहास

  • 1952 में कांग्रेस के शिवदास डागा ने जीत दर्ज की.
  • 1962 में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल सांसद बने.
  • 1967 में फिर कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल जीते.
  • 1971 में कांग्रेस के कृष्णा अग्रवाल की जीत मिली.
  • 1977 में बीएलडी के बृजलाल वर्मा को जीत मिली.
  • 1980 में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल फिर सांसद बने.
  • 1984 में कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल चौथी बार सांसद बने.
  • 1989 में कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल पांचवी बास सांसद बने.
  • 1991 में कांग्रेस के पवन दीवान जीते.
  • 1996 में फिर कांग्रेस के पवन दीवान को जीत मिली.
  • 1998 में बीजेपी के चंद्रशेखर साहू जीते.
  • 1999 में कांग्रेस के श्यामा चरण शुक्ला की जीत हुई.
  • 2004 में कांग्रेस के अजीत जोगी की जीत हुई.
  • 2009 में बीजेपी के चंदूलाल साहू ने जीत दर्ज की.
  • 2014 में बीजेपी के चंदूलाल साहू ने दोबारा जीत दर्ज की.
  • 2019 में बीजेपी के चुन्नीलाल साहू ने जीत हासिल की.
Previous voting percentage of Mahasamund Lok Sabha seat
महासमुंद लोकसभा सीट का पिछला मतदान प्रतिशत

बीते तीन लोकसभा में महासमुंद का मतदान प्रतिशत

  • 2009 लोकसभा चुनाव: 56.7 फीसदी मतदान
  • 2014 लोकसभा चुनाव: 74:61 फीसदी वोटिंग
  • 2019 लोकसभा चुनाव: 74:63 फीसदी मतदान
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महासमुंद सीट पर मतदान की तैयारियां पूरी

महासमुंद: छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल शुक्रवार को है. महासमुंद लोकसभा सीट हाईप्रोफाइल सीट है. इस दिन महासमुंद लोकसभा सीट पर भी मतदान होना है. बुधवार शाम 5 बजे चुनाव प्रचार भी थम जाएगा. इस बीच हर क्षेत्र में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम हैं.

जानिए किनके बीच है मुकाबला ?: महासुंद लोकसभा सीट में ओबीसी समाज के लोग अधिक हैं. यही कारण है कि महासमुंद लोकसभा सीट पर बीजेपी ने एक ओबीसी वर्ग की महिला रूप कुमारी चौधरी को मैदान में उतारा है. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी वर्ग से ही छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री और दिग्गज नेता ताम्रध्वज साहू को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. ऐसे में इस सीट पर दो ओबीसी प्रत्याशियों के बीच जबरदस्त टक्कर है.

महासमुंद क्षेत्र को जानिए: महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में 3 जिले शामिल हैं. इनमें धमतरी, गरियाबंद और महासमुंद जिला शामिल है. महासमुंद लोकसभा के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से चार विधानसभा क्षेत्र सरायपाली, खल्लारी, धमतरी और बिन्द्रानवागढ़ पर कांग्रेस का कब्जा है. वहीं, चार विधानसभा क्षेत्रों में महासमुंद, बसना, राजिम और कुरूद पर बीजेपी का कब्जा है.

हाईप्रोफाइल सीट है महासमुंद: छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से महासमुंद लोकसभा सीट हाई प्रोफाइल सीट है, क्योंकि इस सीट पर कई दिग्गजों का कब्जा रहा है. यहां साल 1952 से अब तक कुल 19 चुनाव हुए हैं, जिसमें महासमुंद लोकसभा सीट पर 12 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है. कांग्रेस के कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल सात बार महासमुंद से चुनाव जीतकर केंद्र में वरिष्ठ मंत्री रहे हैं. वहीं, अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे श्यामाचरण शुक्ल भी एक बार महासमुंद से चुनाव जीत चुके हैं. इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी साल 2004 के लोकसभा चुनाव में महासमुंद लोकसभा सीट से जीत हासिल किए थे. अजीत जोगी के बाद साल 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने महासमुंद की सीट पर कब्जा किया है.

एक नजर जातिगत समीकरण पर: महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरण पर अगर गौर करें तो यहां 51 फीसद मतदाता अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं. इनमें साहू, कुर्मी, अघरिया, यादव और कोलता समाज के लोग अधिक हैं. अनुसूचित जनजाति के वोटर लगभग 20 फीसद हैं. अनुसूचित जाति के वोटर लगभग 11 फीसद हैं. अनारक्षित वर्ग के लगभग 12 फीसद मतदाता हैं. यानी कि महासमुंद लोकसभा क्षेत्र अन्य पिछड़ा वर्ग बाहुल क्षेत्र है.

महासमुंद सीट के मुद्दे और समस्याएं: इस क्षेत्र में महिला थाना न होने से महिलाओं को दिक्कतें होती है. किसानों के लिए सिंचाई की सुगम व्यवस्था नहीं है, हालांकि सीकासेर जलासय शुरू होने के संकेत मिले हैं. लेकिन अब तक महासमुंद में यह शुरू ही नहीं हुआ है.आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार मूलक शिक्षा नहीं है. यहां के अधिकांश युवक बेरोजगार है.100 बिस्तरों के जिला अस्पताल को अब मेडिकल कॉलेज बनाया गया है, लेकिन यहां सुविधाओं का आभाव है. बड़े केस को रायपुर रेफर कर दिया जाता हैं. यातायात सुविधाओं का आभाव है.

महासमुंद क्षेत्र का सियासी इतिहास: महासमुंद को छत्तीसगढ़ की राजनीति का प्रमुख केंद्र माना जाता है. यहां से कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल सात बार सांसद रहे. श्यामा चरण शुक्ल और अजीत जोगी जैसे दिग्गज कांग्रेस नेता भी महासमुंद लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, लेकिन उसके बाद साल 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के चंदूलाल साहू ने कांग्रेस से ये सीट छीन लिया था. उसके बाद से बीजेपी यहां रेस में आ गई. हालांकि साल 1999 और साल 2004 में कांग्रेस की यहां पर जीत हुई, लेकिन उसके बाद से लगातार बीजेपी का इस सीट पर कब्जा है.

History of Mahasamund seat
महासमुंद सीट का इतिहास

महासमुंद सीट का संसदीय इतिहास

  • 1952 में कांग्रेस के शिवदास डागा ने जीत दर्ज की.
  • 1962 में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल सांसद बने.
  • 1967 में फिर कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल जीते.
  • 1971 में कांग्रेस के कृष्णा अग्रवाल की जीत मिली.
  • 1977 में बीएलडी के बृजलाल वर्मा को जीत मिली.
  • 1980 में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल फिर सांसद बने.
  • 1984 में कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल चौथी बार सांसद बने.
  • 1989 में कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल पांचवी बास सांसद बने.
  • 1991 में कांग्रेस के पवन दीवान जीते.
  • 1996 में फिर कांग्रेस के पवन दीवान को जीत मिली.
  • 1998 में बीजेपी के चंद्रशेखर साहू जीते.
  • 1999 में कांग्रेस के श्यामा चरण शुक्ला की जीत हुई.
  • 2004 में कांग्रेस के अजीत जोगी की जीत हुई.
  • 2009 में बीजेपी के चंदूलाल साहू ने जीत दर्ज की.
  • 2014 में बीजेपी के चंदूलाल साहू ने दोबारा जीत दर्ज की.
  • 2019 में बीजेपी के चुन्नीलाल साहू ने जीत हासिल की.
Previous voting percentage of Mahasamund Lok Sabha seat
महासमुंद लोकसभा सीट का पिछला मतदान प्रतिशत

बीते तीन लोकसभा में महासमुंद का मतदान प्रतिशत

  • 2009 लोकसभा चुनाव: 56.7 फीसदी मतदान
  • 2014 लोकसभा चुनाव: 74:61 फीसदी वोटिंग
  • 2019 लोकसभा चुनाव: 74:63 फीसदी मतदान
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Last Updated : Apr 26, 2024, 6:21 AM IST
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