भरतपुर. महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के खजाने में सेंध लग गई है. विश्वविद्यालय की तिजोरी में रखे 24 लाख, 74,775 रुपये गायब हैं. अब विश्वविद्यालय ने अकाउंटेंट पर गबन का आरोप लगाते हुए डीग जिले के कुम्हेर थाने में मामला दर्ज कराया है. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. वहीं, इस पूरे घटनाक्रम से विश्वविद्यालय की कार्यव्यवस्था पर एक बार सवाल खड़ा हो गया है. आखिर विश्वविद्यालय में इतनी बड़ी मात्रा में कैश क्यों रखा गया था, आखिर तिजोरी में से कैश पार होता रहा और जिम्मेदारों को भनक तक नहीं लगी ? इस पूरे मामले में और भी सनसनीखेज तथ्य सामने आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
तिजोरी में 24.75 लाख की जगह मिले 290 रुपये : कुम्हेर थाने में मंगलवार शाम को विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुल सचिव डॉ. अरुण कुमार पाण्डेय ने मामला दर्ज कराया है. रिपोर्ट में लिखा है कि विश्वविद्यालय की नकद शाखा में 12 जुलाई 2024 को भौतिक सत्यापन किया गया. कैशबुक में नकद बैलेंस 24,75,065 रुपये था, जबकि तिजोरी में सिर्फ 290 रुपये रखे हुए मिले. यानी तिजोरी से 24, 74, 775 रुपये गायब मिले.
रिपोर्ट में आरोप है कि इस राशि का गबन विश्वविद्यालय में 2 सितंबर 2022 से कैशियर के पद पर कार्यरत राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त बिजेंद्र सिंह ने किया है. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. इस संबंध में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अरुण कुमार पाण्डेय ने बताया कि विश्वविद्यालय में हुए गबन के मामले की कैशियर बिजेंद्र सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है. तिजोरी और कैश की जिम्मेदारी बिजेंद्र सिंह के पास ही थी. तिजोरी में छात्रों की फीस का पैसा रखा हुआ था.
ये हैं अहम सवाल :
- विश्वविद्यालय में छात्रों की फीस ऑनलाइन जमा कराई जाती है. ऐसे में विश्वविद्यालय में इतनी बड़ी मात्रा में कैश कहां से आया और किस लिए रखा गया था?
- यदि इतना कैश था तो उसे समय समय पर बैंक में जमा क्यों नहीं कराया गया?
- विश्वविद्यालय की तिजोरी की तीन चाबियां थीं तो क्या सभी चाबियां कैशियर के पास थीं? क्या कैशियर उन चाबियों को साथ घर लेकर जाता था या विश्वविद्यालय में ही कहीं देखकर जाता था?
- कैशियर को यदि इतने बड़े कैश की जिम्मेदारी दे रखी थी तो क्या फाइनेंस कंट्रोलर (एफसी) या कुलसचिव की कोई मॉनिटरिंग नहीं थी?
- कैशियर ने यदि धीरे धीरे कर के दो से तीन माह में कैश पार किया था, तो इतने दिन तक जिम्मेदारों को इसका पता क्यों नहीं चला?
वहीं, कैशियर बिजेंद्र सिंह के बेटे प्रमोद का कहना है कि उसके पिता पर गबन का आरोप झूठा है. उन्हें कई दिन से विश्वविद्यालय में टॉर्चर किया जा रहा है. उन्होंने कई बार आत्महत्या करने का भी कोशिश किया है.