नई दिल्ली: शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्रि का नौवां और अंतिम दिन है. नवरात्रि का अंतिम दिन महानवमी होता है. शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करने का विधान है. शारदीय नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. इस दिन मां सिद्धिदात्री की विधि विधान से पूजा की जाती है. 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12:08 बजे पर नवमी तिथि प्रारंभ होगी जो 12 अक्टूबर को सुबह 10:58 AM पर समाप्त होगी. रविवार, 12 अक्टूबर को विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा.
० पूजा विधि: शारदीय नवरात्रि की महानवमी को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहने. घर के मंदिर को साफ करें और पूजा के स्थल की गंगाजल से शुद्धि करें. मां सिद्धिदात्री की मूर्ति की स्थापना करें और उनके समक्ष घी का दीप जलाएं. पूजा का संकल्प करें. मां को पुष्प, धूप, दीप, नवैद्य आदि चढ़ाए. विधि विधान से मां महागौरी की पूजा करें. पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं. पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. पूजा की समाप्ति के बाद मां सिद्धिदात्री का पाठ और आरती करें. पूजा के पश्चात परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरण करें.
० पूजा का महत्व: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सिद्धिदात्री की उपासना श्रेष्ठ फलदायी बताया गया है. विधि-विधान से मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यश और वैभव की प्राप्ति होती है. आर्थिक स्थिरता आती है.
० मां की सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता!!
तू भक्तों की रक्षक
तू दासों की माता!!
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धी
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम!!
तेरी पूजा में न कोई विधि है
तू जगदंबे दाती, तू सर्वसिद्धी है!!
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो!!
तू सब काम कराती है उसके पूरे
कभी काम उसके रहे न अधूरे!!
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया!!
सर्व सिद्धिदात्री वह है भाग्यशाली
जो है तेरे दर का ही मां अंबे सवाली!!
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा
महानंदा मंदिर में है वास तेरा!!
मुझे आसरा तुम्हारा ही माता
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता!!
० मां सिद्धिदात्री मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।
अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।
मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।
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