Sagar Mahalaxmi Pooja Tradition: आमतौर पर गणेश और दुर्गा प्रतिमा के स्थापना की परंपरा मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में प्रचलित है, लेकिन सागर के तिलकगंज इलाके में पिछले 55 सालों से दीपावली के अवसर पर महालक्ष्मी की स्थापना की जाती है. इसके बाद देवउठनी एकादशी पर पूजा हवन के बाद प्रतिमा का नर्मदा नदी में विसर्जन किया जाता है. यह भारतवर्ष के उन चुनिंदा जगहों में शुमार है जहां पर मां महालक्ष्मी की स्थापना और विसर्जन की परंपरा है.
सागर में महालक्ष्मी की 55 साल पुरानी विसर्जन परंपरा
मध्य प्रदेश के सागर शहर के तिलकगंज वार्ड में शारदीय नवरात्रि की तरह दीपावली के दिन मां महालक्ष्मी की स्थापना की जाती है. खास बात ये है कि ये परंपरा 55 साल पहले तिलकगंज के बुजुर्गों ने शुरू की थी. तब से लेकर आज तक यह सिलसिला लगातार जारी है और आज नई पीढ़ी भी अपने बुजुर्गों की इस परंपरा को बखूबी निभा रही है.
12 दिनों तक चलेगा महालक्ष्मी और एकादशी का जलसा
महालक्ष्मी स्थापना समिति के सदस्य रानू यादव ने बताया, ''नवरात्रि की तरह यहां दीपावली से एकादशी तक उत्सव सा माहौल होता है. दीपावली के दिन धूमधाम से मां महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित की जाती है. फिर देवउठनी एकादशी के दिन विधि विधान से मां की प्रतिमा को नर्मदा नदी में विसर्जित किया जाता है.''
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बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं श्रद्धालु
तिलकगंज वार्ड में हर साल स्थापित होने वाली महालक्ष्मी की मूर्ति और झांकी आकर्षक बनायी जाती है. इस बार मां महालक्ष्मी को श्री हरिनारायण के साथ विराजमान किया गया है. मां की झांकी और प्रतिमा के दर्शन करने के लिए बडी संख्या में श्रद्धालु भी पहुंच रहे हैं. आयोजक बताते हैं कि ''प्रति वर्ष प्रतिमा स्थापना के साथ कई धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. रामकथा, भागवत कथा, भजन संध्या जैसे आयोजन हर साल होते हैं. इस साल विष्णु पुराण कथा का आयोजन किया गया है.''