प्रयागराज: महाकुंभ में सारे अनुमान गलत ही साबित हुए हैं. प्रमुख स्नान पर्वों पर बेतहाशा भीड़ उमड़ी. इतनी कि सारे रिकॉर्ड ही टूट गए. एक अनुमान यह भी था कि शाही स्नानों के बाद मेला क्षेत्र में भीड़ घटेगी, लेकिन हुआ इसका उल्टा ही. अंतिम शाही स्नान बसंत पंचमी के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ घटने के बजाय और बढ़ गई है. बीते 7 फरवरी के बाद मेला क्षेत्र का हाल यह है कि सभी रास्ते चोक हो चुके हैं. प्रयागराज पहुंचने वाले प्रमुख मार्गों पर लाखों लोग फंसे हुए हैं. प्रयागराज शहर के ही अंदर मेला क्षेत्र को जाने वाले रास्ते अधिकतर समय जाम ही रहते हैं.
अभी तक महाकुंभ में कुल 53 करोड़ से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं. सोमवार को सुबह सिर्फ 10 बजे तक ही 50 लाख लोगों ने पुण्य की डुबकी लगाई. 12 बजे तक यह संख्या 76 लाख के करीब पहुंच गई. महाशिवरात्रि का अंतिम स्नान पर्व 26 फरवरी को है. जिस तरह से महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या उमड़ रही है, महाशिवरात्रि तक यह आंकड़ा 60 से 65 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है.
प्रमुख स्नान पर्वों पर भीड़: महाकुंभ के प्रमुख स्नान पर्वों की शुरुआत 14 जनवरी को मकर संक्रांति से हुई. इस दिन 3.5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु महाकुंभ क्षेत्र में पहुंचे. इसके बाद 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर रिकॉर्ड ही बन गया. इस दिन 5 करोड़ 71 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम स्नान किया. दुखदायी यह रहा है कि संगम तट पर उमड़ी भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया और भगदड़ मच गई.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब 30 लोगों ने जान गंवा दी. फिर 3 फरवीर को बसंत पंचमी का स्नान सकुशल बीता और इस दिन 2 करोड़ लोगों ने संगम स्नान किया. 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा के दिन भी यह आंकड़ा रहा. महाकुंभ में अभी तक 53 करोड़ से ज्यादा लोग डुबकी लगा चुके हैं.
6 फरवरी से फिर उमड़ा रेला: मौनी अमावस्या पर भगदड़ के बाद महाकुंभ में अचानक से भीड़ कम हो गई थी. माना जा रहा था कि अंतिम स्नान पर्व के बाद श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से घटेगी. लेकिन हुआ इसके उलट. 6 फरवरी से अपार भीड़ ने महाकुंभ की ओर रुख कर लिया. ट्रेनें, बसें, सड़कों पर, हर तरफ श्रद्धालु ही नजर आने लगे. महाकुंभ श्रद्धालुओं की भीड़ से पटने लगा. 7 फरवरी से स्थिति यह हो गई कि प्रयागराज से जुड़ने वाले सभी 7 प्रमुख मार्ग चोक होने लगे. परेशानी तब और बढ़ी जब महाकुंभ नगर में भी भीड़ लगातार बढ़ती गई.
धीरे-धीरे शहर के अंदर भी यही नौबत बन आई. चाहे वह नैनी का इलाका हो या झूंसी का. संगम से सटे क्षेत्रों में जिधर देखो, उधर ही लाखों लोग नजर आने लगे. 8 और 9 फरवरी को तो प्रयागराज के अंदर और बाहर, दोनों ही तरफ सिर्फ जाम ही जाम नजर आया, जो अब तक वैसा ही है. 15 फरवरी को वीकेंड पर महाकुंभ में मौनी जैसे हालात बनने लगे. शनिवार को महाकुंभ के 34वें दिन 1.36 करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई है. रविवार को भी सुबह दस बजे तक ही यह संख्या 59.55 लाख पर पहुंच गई थी. प्रतिदिन का औसत देखा जाए तो 1.5 करोड़ लोग रोज स्नान कर रहे हैं.
![महाकुंभ में फिर उमड़ी अपार भीड़.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17-02-2025/23559714_sunil080.jpg)
प्रयागराज को जोड़ने वाले प्रमुख मार्ग
- प्रयागराज-वाराणसी मार्ग
- प्रयागराज-मिर्जापुर
- लखनऊ-रायबरेली-प्रतापगढ़
- प्रयागराज-जौनपुर
- प्रयागराज-चित्रकूट
- प्रयागराज-रीवा
- प्रयागराज-कौशांबी
इन सभी मार्गों पर 5 से 10 किमी तक जाम लगातार बना हुआ है. सबसे खराब स्थिति रीवा मार्ग की है. यहां जाम 20 से 25 किमी तक लग रहा है. नौबत ये बन आई है कि श्रद्धालुओं से वापस जाने की गुजारिश की जाने लगी है.
![संगम पर श्रद्धालुओं की भीड़.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17-02-2025/23559714_sunil069.jpg)
20 से 25 किमी तक चलना पड़ रहा पैदल: महाकुंभ नगर में अलग-अलग मार्गों से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को 20 से 25 किमी तक पैदल चलना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी लखनऊ-प्रतापगढ़ मार्ग पर बेला कछार पार्किंग से होकर आने वाले श्रद्धालुओं को झेलनी पड़ रही है. यहां पहुंचने के बाद कम से कम 5 से 7 घंटे जाम में फंसने के बाद ही लोग आगे बढ़ पा रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि कुछ लोग थकहार कर लौट जा रहे हैं.
यहां से जरूरी नहीं कि संगम तक पहुंच ही जाएं. मेला क्षेत्र में संगम के अलावा बने 11 घाटों पर ही अधिकतर स्नान हो रहा है. भीड़ को स्थिति के अनुरूप डायवर्ट किया जा रहा है. कुछ ऐसा ही हाल वाराणसी रूट का भी है. झूंसी तक पहुंचने वाले लोग भी मेले में आने के लिए 20 से 25 किमी तक पैदल चल रहे हैं. इन श्रद्धालुओं को भी झूंसी की तरफ बने घाट पर ही स्नान करना पड़ रहा है. यही हालत कानपुर मार्ग से पहुचंने वाले लोगों की भी है.
![महाकुंभ में सुरक्षा.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17-02-2025/23559714_sunil067.jpg)
प्रयागराज शहर में हालात: प्रयागराज शहर में हालात भी इसी के अनुरूप हैं. सिविल लाइंस, गऊघाट, बैरहना, अलोप शंकरी, दारागंज, झूंसी, नैनी, अरैल का इलाका चोक हो चुका है. स्थानीय लोग बहुत विशेष परिस्थिति पर ही बाहर निकल रहे हैं. एक मामूली से काम को निपटाने में ही घंटों लग जा रहे हैं. दिन हो या रात, हालात एक जैसे ही हैं. जाम शहर के प्रमुख मार्गों से निकलकर कॉलोनियों की गलियों तक फैल गया है. सड़कों के किनारे जहां देखो वहीं, श्रद्धालु थक हारकर बैठे मिल जाएंगे.
![महाकुंभ में संगम पर उमड़ी भीड़.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17-02-2025/23559714_sunil066.jpg)
कुल 9 स्टेशन, सबसे ज्यादा यहां दबाव: प्रयागराज में कुल कुल 9 रेलवे स्टेशन हैं. इसमें संगम घाट स्टेशन बंद कर दिया गया है. इसके बाद बाकी सभी 8 स्टेशनों पर बेतहाशा भीड़ उमड़ रही है. हालांकि सबसे ज्यादा दबाव छिवकी, प्रयागराज और प्रयाग स्टेशन पर है. रविवार को ही छिवकी स्टेशन पर इतनी भीड़ हो गई थी कि पुलिस को रस्सा लगाकर और ह्यूमन चेन बनाकर स्थिति को नियंत्रित करना पड़ा.
सभी स्टेशनों पर ट्रेनों में सवार होने को लेकर मारामारी है. भीड़ को देखते हुए यात्रियों को बाड़े में रोका जा रहा है. जिस रूट के यात्री होते हैं, उनको उसी रूट की ट्रेन आने पर ही प्लेटफॉर्म पर जाने दिया जा रहा है. लेकिन भीड़ इतनी है कि प्लेटफॉर्म फुल नजर आते हैं. इसके अलावा लाखों लोग लगातार प्रयागराज पहुंच रहे हैं.
#WATCH उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में महाकुंभ क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया।#MahaKumbh2025 pic.twitter.com/JveLYxretA
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 16, 2025
श्रद्धालुओं से मनमानी वसूली: देश भर से प्रयागराज पहुंचे श्रद्धालु टेंपो-टैक्सी, बाइक चालकों और दुकानदारों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं. श्रद्धालुओं का कहना है कि उनसे लूट की जा रही है. मनमाना किराया वसूला जा रहा है. यहां तक खाने-पीने की सामान्य चीजों के लिए भी दोगुना तो, कभी-कभी तीन गुना तक दाम लिए जा रहे हैं.
बलिया से आए राम प्रवेश ने बताया कि एक तो बेतहाशा भीड़ में घाट तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है, दूसरी ओर श्रद्धालुओं से मनमानी वसूली भी झेलनी पड़ रही है. इस पर कोई रोक-टोक नहीं है. कहां जाएं, किससे शिकायत करें.
नहीं दिख रहीं बसें: महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 500 सिटी बसें चलाने का दावा किया गया था. हालांकि मेले की शुरुआत से ही यह शिकायत आम रही है कि सिटी बसें नहीं मिल रही हैं. इसका नतीजा है कि या तो श्रद्धालु टेंपो-टैक्सी चालकों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं, या फिर उनको घंटों पैदल चलना पड़ रहा है.
इसमें बहुत से ऐसे परिवार होते हैं, जिनके साथ बच्चे भी होते हैं. तेज धूप में कोई चारा न देख, मासूम पैरों को भी कई किमी तक सफर तय करना पड़ता है. इसके अलावा एक शिकायत यह भी है कि पार्किंग एरिया में श्रद्धालुओं को कोई सूचना नहीं मिल रही है. यहां से वे कहां जाएं, कैसे जाएं, कुछ पता नहीं रहता. इससे उनकी परेशानी बढ़ी है.
ताजा हालात क्या: प्रमुख स्नान पर्वों के बीतने के बाद भी महाकुंभ में हालात जस के तस हैं. सोमवार को शहर के मंफोर्डगंज इलाके में, जहां कभी जाम नहीं लगता था, वहां भी सड़क चोक हो गई है. संगम एक्सप्रेसवे जिस चौराहे पर आकर मिलता है, वहां गाड़ियों की कतारें देखी जा रही हैं.
यहां तक कि डीआईजी महाकुंभ वैभव कृष्ण खुद घोड़े पर अपनी टीम के साथ संगम नोज पर पहुचे और श्रद्धालुओं को स्नान के बाद अपने गंतव्य की ओर जाने के लिए कहते रहे. पूरे मेला क्षेत्र में पुलिस लोगों से घाटों पर न बैठने, न लेटने की अपील करती रही. इसके साथ ही महाकुंभ क्षेत्र से जाने वालों की संख्या आने वालों से कम है. लाखों लोग अभी रास्ते में हैं, और इतने ही लगातार पहुंच रहे हैं.
मां को व्हील चेयर पर लाकर बेटे ने कराया संगम में स्नान: लाखों श्रद्धालूओं की इसी भीड़ में हरियाणा से आये महेश कुमार अपनी मां को व्हील चेयर पर पहुंचे. त्रिवेणी में स्नान करवाया तो मां ने कहा कि बेटे ने उनकी इच्छा पूरी कर दी है. हरियाणा के रहने वाले महेश कुमार अपनी मां सावित्री देवी को लेकर सोमवार को संगम नगरी पहुंचे. उन्हें जंक्शन से संगम तक जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला.जिसके बाद महेश कुमार व्हील चेयर पर मां को बैठाकर 8 किलोमीटर ले चले. संगम पहुंचने पर उन्हें पुण्य की डुबकी लगवायी.