Maha Shivratri 2024 Date
फरवरी का महीना खत्म होने को है और मार्च का महीना शुरू होने जा रहा है. मार्च के महीने में महाशिवरात्रि का पर्व आने जा रहा है, जिसका इंतजार हर किसी को रहता है. आखिर महाशिवरात्रि कब है, महाशिवरात्रि में किस तरह से विधि विधान से पूजा पाठ करें, किस मुहूर्त में पूजा करें, आखिर महाशिवरात्रि में ऐसा क्या करें जिससे लाभ ही लाभ हो, जानिए ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से....
महाशिवरात्रि कब ? (Maha Shivaratri 8 March 2024)
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि इस बार महाशिवरात्रि 8 मार्च शुक्रवार के दिन पड़ रही है. 8 मार्च महाशिवरात्रि के दिन तीन विशेष योग भी इस बार बन रहे हैं, जिसमें शिवयोग, घूम्र योग और कृतिवाशेश्वर योग बन रहा है, जिससे इस बार की शिवरात्रि और विशेष है.
एक दिन के तप से इतना लाभ
महाशिवरात्रि में महज एक दिन विधि विधान से व्रत कर लें और चार प्रहर की पूजा कर लें तो उतना ही पुण्य लाभ मिलता है जितना साल भर में व्रत और पूजा करने में मिलता है. महाशिवरात्रि में विधि विधान से पूजन करना विशेष फलदाई माना गया है. ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि शास्त्रों में इसका उल्लेख भी मिलता है कि महाशिवरात्रि के दिन व्रत कर लें, उस दिन चार प्रहर की पूजा कर लें और मध्यम प्रहर में शिव पार्वती का विवाह रचाएं तो बहुत पुण्य लाभ मिलता है.
महाशिवरात्रि पर पूजा विधि
ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन सुबह उठें और भगवान भोलेनाथ को प्रणाम करें, हो सके तो ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान करें, व्रत करने का प्रण करें. भगवान भोलेनाथ की पूजा करें, सबसे पहले मूर्ति बना लें, मिट्टी की हो या पत्थर की हो, मूर्ति बनाकर पूजा की शुरुआत करें. धूप दीप नैवेद्य सब अर्पित करें पुष्प चढ़ाएं, बेलपत्र चढ़ाएं, आम के बौर चढ़ाएं और भगवान भोलेनाथ की आरती के साथ गायें को भोग लगाएं, तो भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. शिवरात्रि के दिन ही रात्रि में शिव पार्वती जी का विवाह कराएं और चार प्रहर की पूजा जरूर करें.
चार प्रहर की पूजा का मुहूर्त (Maha Shivratri 2024 Muhurat)
ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है. चार प्रहर की पूजा में पहला प्रहर शाम 6:00 बजे से लेकर 9:00 बजे शाम तक होता है, इसकी अलग पूजा होती है, जिसमें प्रथम प्रहर की पूजा की जाती है. फिर रात 9 बजे से मध्य रात्रि 12:00 बजे तक द्वितीय प्रहर की पूजा की जाती है और फिर रात 12 बजे से तड़के 3 बजे तक तीसरे प्रहर की पूजा की जाती है. इसके बाद तड़के सुबह 3 बजे से 6 के बीच में चौथे प्रहर का पूजन होता है.