करनाल: सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. इस दिन विधिवत रूप से पवित्र नदी में स्नान करने उपरांत दान करने का बहुत ही ज्यादा फल प्राप्त होता है. इस समय माघ महीना चल रहा है और माघ महीने में आने वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. कुछ जातक इस दिन पूर्णिमा का व्रत भी करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं.
क्या है मान्यता: ऐसा माना जाता है कि जो भी इंसान भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं. उसको सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिल जाती है. घर में सुख समृद्धि आती है. इस समय प्रयागराज में महाकुंभ भी चल रहा है. तो वहां पर स्नान करने से सभी पाप दूर हो जाते हैं. तो आईए जानते हैं कि कब है माघ पूर्णिमा और इसके व्रत और पूजा का विधि विधान क्या है.
माघ पूर्णिमा कब है: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस पूर्णिमा की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार 11 फरवरी को शाम के 6:55 से हो रही है. जबकि इसका समापन 12 फरवरी को शाम के 7:22 पर होगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए यह पूर्णिमा 12 फरवरी के दिन मनाई जाएगी. माघ पूर्णिमा पर चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जाता है. इसलिए इस दिन चंद्रोदय शाम के 6:32 पर होगा.
स्नान व दान करने का शुभ मुहूर्त: पंडित ने बताया कि इस पूर्णिमा के दिन दान और स्नान का विशेष महत्व होता है. इसलिए सबसे पहले शुभ ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:19 से लेकर 6:10 तक रहेगा. दूसरा अमृत काल शुभ मुहूर्त शाम के 5:55 से शुरू होकर शाम के 7:35 तक रहेगा. लेकिन सबसे अच्छा स्नान करने का समय ब्रह्म मुहूर्त में होता है. इसलिए सुबह के बताए गए शुभ मुहूर्त में ही स्नान करें और दान करें ताकि उसे आपका स्नान और दान सफल हो सके.
माघ पूर्णिमा का महत्व: पं. विश्वनाथ ने बताया कि माघ पूर्णिमा का सभी पूर्णिमा से ज्यादा महत्व होता है और यह महाकुंभ के दौरान आ रही है. इसलिए इसका और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. स्नान करने उपरांत दान करने से कई गुणनफल की प्राप्ति होती है.
भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की करें पूजा: इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. जिस घर में सुख समृद्धि आती है. इस पूर्णिमा के दिन दूध से बनी हुई वस्तुएं चांदी चावल या किसी भी प्रकार की सफेद वस्तु दान करने से घर में आर्थिक दोष दूर होता है. माघ पूर्णिमा के दिन भगवान चंद्र देव के पूजा अर्चना करने से भी चंद्र दोष दूर होता है और उसका चंद्रमा मजबूत होता है.
व्रत व पूजा का विधि विधान: पंडित ने बताया कि माघ पूर्णिमा के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. उसके उपरांत भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें और फिर गरीब या जरूरतमंद लोगों को अपनी क्षमता अनुसार दान करें. फिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं और उनको पीले रंग के फल फूलों वस्त्र मिठाई अर्पित करें. माता लक्ष्मी के आगे सोलह सिंगार चढ़ाएं और उनकी पूजा अर्चना करें जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. जो लोग व्रत रखना चाहते हैं, वह व्रत रखने का प्रण ले. दिन में विष्णु चालीसा या पूर्णिमा की कथा का पाठ अवश्य करें. शाम के समय चंद्र देव के दर्शन करने के बाद उसकी पूजा अर्चना करें और फिर अपने व्रत का पारण करें.
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