प्रयागराज: गंगा यमुना सरस्वती की पावन त्रिवेणी की धरा पर प्रयागराज में हर साल धर्म और आध्यात्म का माघ मेला लगता है. इसी कड़ी में गुरुवार 25 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ माघ मेले में कल्पवास की शुरुआत हो गई. इसके लिए माघ मेला क्षेत्र में कल्पवासियों के आने का सिलसिला बुधवार से ही जारी था. कल्पवासी अपना जरूरी सामान लेकर मेला क्षेत्र में डेरा जमाने के लिए आज भी पहुंच रहे हैं.
कल्पवासी एक महीने तक नियमित गंगा स्नान दान के साथ ही सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं और पूरे माह घर परिवार का मोह त्याग कर भजन कीर्तन करते हुए कल्पवास करते हैं. इस दौरान ये कल्पवासी सांसारिक सुख वैभव त्याग कर सादगी भरा जीवन जीने का प्रयास करते हैं और मोक्ष की कामना के साथ सामर्थ्य के अनुसार सुबह शाम गंगा स्नान कर कल्पवास के व्रत को पूरा करने के लिए माघ मेले में पहुंचकर डेरा जमाते हैं.
पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक चलेगा कल्पवास: संगम की रेती पर बने तम्बुओं में जहां हजारों साधु संत पूरे माघ महीने में जप तप और साधना करते हैं. वहीं बड़ी संख्या में मेला क्षेत्र में पहुंचे कल्पवासी भी पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के गुरुवार से कल्पवास का संकल्प लेकर कल्पवास करेंगे. सनातन धर्म में माघ मेले में कल्पवास करने को अति महत्वपूर्ण बताया गया है. यही कारण है कि घर परिवार में सुख शांति की कामना के साथ हजारों कल्पवासी पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ ही कल्पवास की शुरुआत करेंगे जो 24 फरवरी को होने वाले माघी पूर्णिमा तक चलेगा.
कल्पवासियों के आने का सिलसिला जारी: प्रयागराज में शुरू होने वाले कल्पवास को करने के लिए माघ मेला में कल्पवसियों के आने का सिलसिला मंगलवार से ही जारी है जो बुधवार को तेज हो गया. गुरुवार तक कल्पवास करने वाले अधिकतर कल्पवासी मेला क्षेत्र में पहुंच जाएंगे. जो गंगा या संगम में स्नान करके कल्पवास के व्रत का संकल्प लेकर कल्पवास की शुरुआत कर देंगे. माघ मेला क्षेत्र में जहां तमाम कल्पवासी निजी चार पहिया वाहनों से अपने सामान को लेकर मेला क्षेत्र में पहुंच रहे हैं. वहीं कुछ कल्पवासी रेल बस के जरिये कल्पवास करने प्रयागराज पहुंच रहे हैं. इस दौरान ये कल्पवासी अपनी गृहस्थी का ज्यादातर सामान साथ लेकर आते हैं. इसी के साथ उनके भगवान भी उनके सामानों के साथ आते हैं. जिन्हें वो तंबुओं में पूजा स्थल बनाकर वहीं स्थापित करके कल्पवास शुरू करते हैं.