लखनऊ: जियामऊ स्थित निष्क्रांत संपत्ति को धोखाधड़ी से अपने नाम कराने के आरोपी मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की उस निगरानी याचिका को एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश हरबंस नारायण ने खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने विशेष एसीजेएम एमपी-एमएलए कोर्ट के 20 नवंबर 2023 के आदेश को चुनौती दी थी. उक्त आदेश द्वारा विशेष एसीजेएम ने अब्बास अंसारी की उन्मोचन अर्जी को खारिज कर दिया था.
निगरानी याचिका के विरोध में विशेष अधिवक्ता रमेश कुमार शुक्ला एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ज्वाला प्रसाद शर्मा ने अदालत को बताया कि अब्बास अंसारी ने विशेष एसीजेएम एमपी-एमएलए अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव के समक्ष अपने को आरोपों से उन्मोचित किए जाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, जिसे विशेष अदालत ने 20 नवंबर 2023 को खारिज करते हुए आरोप तय करने के लिए तारीख नियत की थी. विशेष अदालत ने अब्बास अंसारी की निगरानी याचिका खारिज करते हुए कहा कि जियामऊ की यह जमीन मोहम्मद वसीम के नाम थी. लेकिन, वर्ष 1947 में भारत विभाजन के समय वह पाकिस्तान चले गए और उनकी संपत्ति बतौर निष्क्रांत संपत्ति दर्ज हो गई. अदालत ने कहा कि अभियुक्त पर आरोप है कि उसने व उसके पिता मुख्तार अंसारी ने यह जानते हुए कि वह एक निष्क्रांत संपत्ति है, उस पर अवैध तरीके से मानचित्र पास कराकर भवन का निर्माण कराया और सरकार की मूल्यवान संपत्ति का प्रयोग किया.
अदालत को बताया गया कि इस मामले की रिपोर्ट लेखपाल सुरजन लाल ने 27 अगस्त 2020 को थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी. इसमें आरोप लगाया गया है कि मुख्तार अंसारी और उनके बेटों अब्बास अंसारी व उमर अंसारी ने कूटरचित दस्तावेज तैयार करके सरकारी निष्क्रांत भूमि पर आपराधिक षडयंत्र के तहत एलडीए से नक्शा पास कराया और उस पर अवैध निर्माण करके कब्जा कर लिया.
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