भोपाल। कुलपति का नाम कुलगुरु किए जाने के पीछे की कहानी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आज सार्वजनिक की. भोपाल में आयोजित हुए राष्ट्रीय हिंदी विज्ञान सम्मेलन में सामिल हुए मोहन यादव ने बड़े इत्मीनान से कुलपति के कुलगुरु किए जाने की वजहें बताईं. वाकये भी जिनकी वजह से ये नाम बदलना जरुरी हो गया.
मोहन यादव बोले, तब मैंने सुना कुल पति का पति
सीएम डॉ मोहन यादव ने इंदौर का वो पूरा वाकया सुनाया. जिसके बाद कुलपति का नाम कुलगुरु किए जाने की पटकथा लिखी गई. उन्होंने बताया कि ये उस दौर की बात है कि जब मैं प्रदेश में शिक्षा मंत्री था. मोहन यादव ने बताया कि उसी दौरान में इंदौर विश्वविद्यालय गया, वहां प्रोफेसर रेणु जैन से मुलाकात हुई. वे कुलगुरु हैं. वहीं पर उनके पति भी मिले. उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं कुलपति का पति हूं. मोहन यादव ये कहते हुए आगे जोड़ते हैं कि आप बताओ मेरी क्या हालत हुई होगी. वे आगे जोड़ते हैं, हालांकि उन्होंने किसी अहंकार से ये बात नहीं कही थी. ये वास्तविकता थी. मोहन यादव ने कहा कि उसी के बाद हमने तय किया कि ये पद नाम बदला जाए. कुलगुरु का नाम सामने आया तो तुरंत रख दिया.'
मोहन यादव ने बताया कुलगुरु और कुलपति का फर्क
सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि 'गुलामी के दौर की बातें रह गई हैं, समाज में धीरे धीरे निकल रही है. उन्होंने फिर एक वाकये का जिक्र किया और कहा कि जब शिक्षा मंत्री था. तब भी हमने वाइस चांसलर्स के साथ ये विचार किया कि हमारी डिग्रियां मेडिकल इंजीनियरिंग का जो पाठ्यक्म है, वो हमारी मातृभाषा हिंदी में क्यों नहीं हो सकता. उसके लिए प्रयास किया. मोहन यादव कहते हैं, अब शिक्षक दिवस मनाते हैं ठीक है, लेकिन उसकी वजह से हमारी गुरु पूर्णिमा की महिमा कम नहीं होनी चाहिए.'