जबलपुर। तीन बार एमपीपीएससी का प्री एग्जाम से लेकर इंटरव्यू क्लीयर करने के बावजूद नौकरी नहीं मिलने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. याचिका में कहा गया कि वह ओबीसी वर्ग का अभ्यार्थी है. इंटरव्यू के बाद तीनों बार उसे सूचित किया गया कि उसका चयन प्रस्तावित 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण सूची में हुआ है. इसमें उसकी रैंकिंग 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण के बीच है. चूंकि 27 फीसदी आरक्षण में कोर्ट ने कुछ मामलों में सिर्फ 13 प्रतिशत आरक्षण ही लागू किया है बाकी आरक्षण का मामला कोर्ट में लंबित है. इसलिए उसका रिजल्ट अपहोल्ड किया गया है.याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने एमपीपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
क्या है मामला
नरसिंहपुर निवासी शक्ति राय को एमपीपीएससी द्वारा सूचित किया गया है कि उसका चयन तो हो गया है लेकिन कोर्ट में आरक्षण का जो मामला लंबित है उस आरक्षण प्रतिशत में हुआ है.यानि कोर्ट ने 13 प्रतिशत आरक्षण ही लागू किया है और उसका चयन 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण के बीच हुआ है इसलिए उसका मामला रुका हुआ है.कोर्ट यदि 27 प्रतिशत पूरा आरक्षण लागू करता है तो उस दायरे में आते ही उसे नौकरी प्राप्त हो जाएगी.
27 फीसदी आरक्षण का मामला हाई कोर्ट में
नरसिंहपुर निवासी शक्ति राय की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उसका साल 2020, 2022 तथा 2023 में हुए एमपीपीएससी परीक्षा के प्री एग्जाम, मैन एग्जाम तथा इंटरव्यू में हुआ. इंटरव्यू के बाद उसे सूचित किया गया कि उसका चयन प्रस्तावित 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण सूची में हुआ है. उसकी रैंकिंग प्रस्तावित 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण के बीच है. चूंकि 27 फीसदी आरक्षण का मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है. इसलिए उसका रिजल्ट अपहोल्ड किया गया है. ओबीसी वर्ग के 14 प्रतिशत आरक्षित अभ्यर्थियों की सूची जारी की गयी है.
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आयोग ने युवक को कोई जानकारी नहीं दी
याचिका में युवक ने बताया कि एमपीपीएससी ने 87:13 प्रतिशत का फार्मूला लागू कर रिजल्ट की घोषणा की. इसके साथ ही अपहोल्ड रिजल्ट तथा प्राप्त अंक के संबंध में उसे किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी गयी. तीन बार एमपीपीएससी क्लियर करने के बावजूद रिजल्ट अपहोल्ड होने के कारण उसे नौकरी प्राप्त नहीं हुई है. उसका भविष्य अधर में लटक गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की.