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ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर फार्मूला, सीएम योगी की राह पर चल सकती है मोहन यादव सरकार - MP Old Pension Scheme Demand

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 24, 2024, 10:13 PM IST

मध्य प्रदेश में कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं. केंद्रीय बजट में निराशा मिलने पर कर्मचारियों ने आंदोलन का मन बना लिया है. एमपी ओपीएस कर्मचारियों की मांग है कि उत्तर प्रदेश की तरह एमपी में भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाए.

MP OLD PENSION SCHEME DEMAND
सीएम योगी की राह पर चल सकती है मोहन यादव सरकार (ETV Bharat)

भोपाल। नए बजट में ओल्ड पेंशन स्कीम की आस लगाए कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है, लेकिन इस झटके के बाद अब ये कर्मचारी नई ताकत के साथ पूरे देश में बड़ा आंदोलन छेड़ने की तैयारी में जुट गए हैं. बड़ा विरोध एमपी से होगा, क्योंकि यूपी में योगी सरकार महीने भर पहले ओपीएस लागू कर चुकी है और उसके बाद कर्मचारी ये मांग कर रहे हैं कि अगर बीजेपी शासित एक राज्य ओपीसी लागू कर सकता है, तो दूसरे बीजेपी शासित राज्य एमपी में इसे लेकर दिक्कत क्यों होना चाहिए. नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के प्रदेश अध्यक्ष परमानंद डेहरिया का कहना है कि 'सरकारी योजनाओं में हितग्राही को जितनी राशि मुफ्त में मध्य प्रदेश सरकार दे रही है, ओल्ड पेंशन स्कीम में उतनी राशि भी पेंशन के तौर पर कर्मचारी को नहीं मिल पा रही.

बजट में आस निरास हुई, अब आंदोलन की तैयारी

ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किए जाने की डिमांड कर रहे कर्मचारियों को बजट से बड़ी उम्मीद थी कि सरकार इस बजट में ओपीएस पर बड़ा फैसला ले सकती है, लेकिन जब आस निराश हुई तो अब कर्मचारी फिर आंदोलन की राह पर जाने की तैयारी में हैं. मध्य प्रदेश में कर्मचारियों की दलील है कि जब बीजेपी शासित राज्य यूपी में योगी सरकार अपने कर्मचारियों को ओपीएस का विकल्प दे सकती है, तो एमपी मे क्या दिक्कत है. नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के प्रदेशाध्यक्ष परमानंद डेहरिया का कहना है कि 'यूपी में एक माह पूर्व ही सरकार ने ओपीसी लागू की है. जिसमें 18 मार्च 2005 के पूर्व के विज्ञापन से नौकरी में आए सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू होगी. हैरत की बात है कि एमपी में भी बीजेपी की सरकार है लेकिन मोहन सरकार ने अब तक ओपीसी लागू नहीं की है.'

MP MOHAN GOVERNMENT ON OPS
ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर फार्मूला (ETV Bharat)

समझें न्यू पेंशन स्कीम का विरोध क्यों है

परमानंद डेहरिया के मुताबिक नई पेंशन स्कीम का विरोध इसलिए है कि इसमें जो पेशन कर्मचारी को मिल रही है. वो धनराशि इतनी नहीं कि किसी परिवार का भरष पोषण हो सके. ये धनराशि सरकार की योजनाओं में मसलन लाड़ली बहना वृद्धावस्था पेंशन से भी कम है. न्यू पेंशन स्कीम का विरोध क्यों है.

  1. नई पेंशन स्कीम में दस प्रतिशत की राशि तो कर्मचारी के खाते से ही जाती है. इसमें सरकार का अंशदान 14 फीसदी होता है.
  2. कर्मचारी के रिटायर होने पर साठ प्रतिशत राशि कर्मचारी को वापस मिलती है. 40 फीसदी राशि वापस सरकार इन्वेस्टमेंट में लगा देती है.
  3. इस चालीस फीसदी राशि का जो ब्याज मिलता है, वो धनराशि कर्मचारी को पेंशन के रुप में दी जाती है.
  4. इस हिसाब से जो पेंशन की राशि बनती है, वो कहीं तो चार सौ रुपए तो कहीं बारह सौ रुपए बनी है.
  5. दिक्कत ये भी है कि नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी के रिटायर होने के छह महीने बाद तक भी पेंशन नही मिलती.

जानिए ओल्ड पेंशन स्कीम क्यों चाहते हैं कर्मचारी

परमानंद डेहरिया बताते हैं कि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किए जाने की डिमांड क्यों पूरे देश में कर्मचारियों का सबसे बड़ा आंदोलन बन चुकी है.

  1. ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी को सेवानिवृत्त होने के दूसरे ही महीने से पेंशन मिलने लगती है.
  2. इस स्कीम में छह महीने पहले से पेंशन की कार्रवाई शुरु हो जाती है.
  3. ओपीसी में शासकीय कर्मचारी को रिटायर होने के पहले अंतिम दिन के वेतन के डीए समेत दूसरे ही महीने से पेंशन मिलती है.
  4. ग्रेच्यूटी में साढे़ सोलह महीने का वेतन मिलता है.
  5. ब्याज समेत जीपीएफ राशि का जो भी पैसा है, वो भी मिलता है.

यहां पढ़ें...

आम बजट से पहले सरकार को ताकत दिखा रहे केंद्रीय कर्मचारी, देशभर में हो रहा जोर-शोर से प्रदर्शन

मोदी सरकार की नीतियों से खफा कर्मचारी और पेंशनर्स, देश में महा आंदोलन की तैयारी

लाड़ली बहना के 1250 जितनी भी नहीं कर्मचारी की पेंशन

परमानंद डेहरिया कहते हैं अभी सरकार की योजनाओं में 1250 रुपए की धनराशि लाड़ली बहनाओं को दी जा रही है. कई कर्मचारियों को तो न्यू पेशन स्कीम में उतनी राशि भी नहीं मिल पा रही है. बजट से पूरे देश के एक करोड़ करमचारी और अकेले एमपी के आठ लाख से ज्यादा कर्मचारियों में निराशा है, जो आने वाले दिनों में बड़े आंदोलन के रुप में दिखाई देगी.

भोपाल। नए बजट में ओल्ड पेंशन स्कीम की आस लगाए कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है, लेकिन इस झटके के बाद अब ये कर्मचारी नई ताकत के साथ पूरे देश में बड़ा आंदोलन छेड़ने की तैयारी में जुट गए हैं. बड़ा विरोध एमपी से होगा, क्योंकि यूपी में योगी सरकार महीने भर पहले ओपीएस लागू कर चुकी है और उसके बाद कर्मचारी ये मांग कर रहे हैं कि अगर बीजेपी शासित एक राज्य ओपीसी लागू कर सकता है, तो दूसरे बीजेपी शासित राज्य एमपी में इसे लेकर दिक्कत क्यों होना चाहिए. नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के प्रदेश अध्यक्ष परमानंद डेहरिया का कहना है कि 'सरकारी योजनाओं में हितग्राही को जितनी राशि मुफ्त में मध्य प्रदेश सरकार दे रही है, ओल्ड पेंशन स्कीम में उतनी राशि भी पेंशन के तौर पर कर्मचारी को नहीं मिल पा रही.

बजट में आस निरास हुई, अब आंदोलन की तैयारी

ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किए जाने की डिमांड कर रहे कर्मचारियों को बजट से बड़ी उम्मीद थी कि सरकार इस बजट में ओपीएस पर बड़ा फैसला ले सकती है, लेकिन जब आस निराश हुई तो अब कर्मचारी फिर आंदोलन की राह पर जाने की तैयारी में हैं. मध्य प्रदेश में कर्मचारियों की दलील है कि जब बीजेपी शासित राज्य यूपी में योगी सरकार अपने कर्मचारियों को ओपीएस का विकल्प दे सकती है, तो एमपी मे क्या दिक्कत है. नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के प्रदेशाध्यक्ष परमानंद डेहरिया का कहना है कि 'यूपी में एक माह पूर्व ही सरकार ने ओपीसी लागू की है. जिसमें 18 मार्च 2005 के पूर्व के विज्ञापन से नौकरी में आए सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू होगी. हैरत की बात है कि एमपी में भी बीजेपी की सरकार है लेकिन मोहन सरकार ने अब तक ओपीसी लागू नहीं की है.'

MP MOHAN GOVERNMENT ON OPS
ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर फार्मूला (ETV Bharat)

समझें न्यू पेंशन स्कीम का विरोध क्यों है

परमानंद डेहरिया के मुताबिक नई पेंशन स्कीम का विरोध इसलिए है कि इसमें जो पेशन कर्मचारी को मिल रही है. वो धनराशि इतनी नहीं कि किसी परिवार का भरष पोषण हो सके. ये धनराशि सरकार की योजनाओं में मसलन लाड़ली बहना वृद्धावस्था पेंशन से भी कम है. न्यू पेंशन स्कीम का विरोध क्यों है.

  1. नई पेंशन स्कीम में दस प्रतिशत की राशि तो कर्मचारी के खाते से ही जाती है. इसमें सरकार का अंशदान 14 फीसदी होता है.
  2. कर्मचारी के रिटायर होने पर साठ प्रतिशत राशि कर्मचारी को वापस मिलती है. 40 फीसदी राशि वापस सरकार इन्वेस्टमेंट में लगा देती है.
  3. इस चालीस फीसदी राशि का जो ब्याज मिलता है, वो धनराशि कर्मचारी को पेंशन के रुप में दी जाती है.
  4. इस हिसाब से जो पेंशन की राशि बनती है, वो कहीं तो चार सौ रुपए तो कहीं बारह सौ रुपए बनी है.
  5. दिक्कत ये भी है कि नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी के रिटायर होने के छह महीने बाद तक भी पेंशन नही मिलती.

जानिए ओल्ड पेंशन स्कीम क्यों चाहते हैं कर्मचारी

परमानंद डेहरिया बताते हैं कि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किए जाने की डिमांड क्यों पूरे देश में कर्मचारियों का सबसे बड़ा आंदोलन बन चुकी है.

  1. ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी को सेवानिवृत्त होने के दूसरे ही महीने से पेंशन मिलने लगती है.
  2. इस स्कीम में छह महीने पहले से पेंशन की कार्रवाई शुरु हो जाती है.
  3. ओपीसी में शासकीय कर्मचारी को रिटायर होने के पहले अंतिम दिन के वेतन के डीए समेत दूसरे ही महीने से पेंशन मिलती है.
  4. ग्रेच्यूटी में साढे़ सोलह महीने का वेतन मिलता है.
  5. ब्याज समेत जीपीएफ राशि का जो भी पैसा है, वो भी मिलता है.

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लाड़ली बहना के 1250 जितनी भी नहीं कर्मचारी की पेंशन

परमानंद डेहरिया कहते हैं अभी सरकार की योजनाओं में 1250 रुपए की धनराशि लाड़ली बहनाओं को दी जा रही है. कई कर्मचारियों को तो न्यू पेशन स्कीम में उतनी राशि भी नहीं मिल पा रही है. बजट से पूरे देश के एक करोड़ करमचारी और अकेले एमपी के आठ लाख से ज्यादा कर्मचारियों में निराशा है, जो आने वाले दिनों में बड़े आंदोलन के रुप में दिखाई देगी.

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