जबलपुर। मध्य प्रदेश की मोहन सरकार एक बार फिर कर्ज लेने जा रही है. इस बार सरकार लगभग 88450 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है. बताया जाता है कि फ्री योजनाओं को चलाने के लिए सरकार यह भारी भरकम कर्ज लेने जा रही है. मध्य प्रदेश का बढ़ता हुआ कर्ज किसी दिन कर्मचारियों की तनख्वाह बंद कर सकता है क्योंकि फिलहाल मध्य प्रदेश के कुल बजट का आठवां हिस्सा कर्ज और किस्त में चला जाता है. नए कर्ज के लेने के बाद यह रकम और ज्यादा बढ़ जाएगी.
मध्य प्रदेश सरकार का कुल कर्ज
मध्य प्रदेश सरकार पर वर्तमान में 3 लाख 50 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. मोहन सरकार 88450 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है, इसमें से 73540 करोड़ रूपया बाजार से और 15000 करोड़ रूपया केंद्र सरकार से कर्ज लेगी. वर्ष 2024 में 23 जनवरी को 2 हजार 500 करोड़ रुपये, 6 फरवरी को 3000 करोड़ रुपये और 20 फरवरी को 5000 करोड़ रुपये और 27 फरवरी को 5000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया जा चुका है.
शिवराज सरकार के दौरान सबसे ज्यादा कर्ज
शिवराज सिंह चौहान जब सत्ता में आए थे तब मध्य प्रदेश पर लगभग 44000 करोड़ रुपए का कर्ज था, जो दिग्विजय शासनकाल के दौरान लिया गया था. शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल में मध्य प्रदेश का कर्ज 3.50 लाख करोड़ तक पहुंच गया. अंतिम दौर में शिवराज सिंह चौहान को हर माह कर्ज लेना पड़ता था और मोहन सरकार भी अब इसी परिपाटी को आगे बढ़ा रही है.
कहां खर्च होता है पैसा
मध्य प्रदेश सरकार का 2022 और 23 का बजट आंकलन कुछ देखा जाए तो मध्य प्रदेश सरकार को लगभग 271148 करोड़ रूपया की प्राप्ति हुई थी. इसमें से 24114 करोड़ रूपया पुराने कर्ज की किस्त के रूप में चुकाए गए. इसके अलावा 271830 करोड़ रुपए मध्य प्रदेश का कुल खर्च है. इसके अलावा लगभग 75943 करोड़ रुपये की उधारी भी सरकार को चुकानी थी. इस तरह से 2022-23 में मध्य प्रदेश का राजकोषीय घाटा 52511 करोड़ रूपया था. यह सभी आंकड़े राज्य सरकार के बजट विश्लेषण के अनुसार हैं.
मुफ्त की योजनाओं से बढ़ा कर्ज
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना की घोषणा कर दी और इसके बाद चुनाव में भी कई घोषणाएं की गई. इनमें 100 यूनिट तक की सस्ती बिजली भी शामिल है. केवल यदि इन दोनों ही घोषणाओं को यदि हम जोड़ लें तो लगभग 18000 करोड़ रूपया लाड़ली बहना योजना में और 5500 करोड़ रूपया सस्ती बिजली में खर्च हो रहा है. इसके अलावा दूसरी योजनाओं की रकम के साथ राजकोषीय घाटा जोड़ने पर यह काम लगभग 1 लाख करोड़ के करीब हो जाती है.
वेतन,पेंशन और ब्याज का खर्च
मध्य प्रदेश सरकार ने 2022-23 में 54101 करोड़ रूपया वेतन में खर्च किया. 19360 करोड़ रूपया पेंशन में खर्च हुआ. 22166 करोड़ रूपया ब्याज के रूप में गया. इस तरह लगभग 95627 करोड़ रूपया हर हाल में सरकार को चाहिए पड़ता है. राज्य में हो रहे निर्माण, सुरक्षा व्यवस्था, आपात स्थितियों, न्याय व्यवस्था और स्वास्थ्य व्यवस्था इन सब पर भी खर्च होता है.
क्या होगा यदि कर्ज नहीं चुका पाए तो
बजट और आर्थिक मामलों के जानकार जयंत वर्मा का कहना है कि "राज्य सरकार जो कर्ज लेती है उसकी अदायगी की समय सीमा 50 वर्ष की कर दी गई है और जब से यह समय सीमा बढ़ाई गई है तब से राज्य सरकार बेहिसाब कर्ज ले रही है. यदि राज्य सरकार कर्ज नहीं चुका पाई तो राज्य के संसाधनों को बेचने की नौबत आ सकती है वहीं दूसरी संभावना है कि खर्चों में कटौती के नाम पर कर्मचारियों का वेतन रोका जा सकता है."
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बजट का 8वां हिस्सा है कर्ज की किस्त
फिलहाल मध्य प्रदेश में जितना कर्ज है उसका ब्याज और किस्त के रूप में जो पैसा जाता है, वह मध्य प्रदेश के कुल बजट का आठवां हिस्सा है लेकिन जैसे-जैसे किस्त और ब्याज की रकम बढ़ती जाएगी. वैसे-वैसे दूसरे खर्चों में कटौती करनी होगी और इसका असर आम जनता के लिए चलने वाली योजनाओं पर पड़ेगा.