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दिग्विजय और नकुलनाथ हारे, लाखों के वोट के साथ शिवराज-सिंधिया जीत, MP की VVIP सीट पर बड़ा उलटफेर - bjp congress vvip candidates result

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 4, 2024, 7:45 AM IST

Updated : Jun 4, 2024, 6:20 PM IST

मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में कुछ वीवीआईपी सीट भी है. जहां से कांग्रेस-बीजेपी के दिग्गज नेता चुनावी मैदान में हैं. 4 जून को जनता सिंधिया, शिवराज, दिग्विजय, नकुलनाथ और कांतिलाल भूरिया के भविष्य का फैसला करेगी. देखना होगा चुनावी परीक्षा में ये VVIP कितना खरा उतरे हैं.

BJP CONGRESS VVIP CANDIDATES RESULT
MP की VVIP सीट पर बड़ा उलटफेर (ETV Bharat)
LOK SABHA ELECTION RESULT 2024
वीवीआईपी प्रत्याशियों की जीत हार (ETV Bharat Graphics)

Madhya Pradesh BJP Congress VVIP Candidates Lok Sabha Results 2024: मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में कुछ सीटें ऐसी हैं, जिन पर देश भर की निगाहें हैं. सभी जानना चाहते हैं कि आखिर मध्यप्रदेश की गुना, विदिशा, छिंदवाड़ा, राजगढ़ लोकसभा सीट पर आखिर क्या परिणाम आएंगे. इन सीटों पर कौन जीतेगा और कितने वोटों के अंतर से. विदिशा लोकसभा सीट पर 35 साल बाद चुनाव में उतरे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान क्या सबसे बड़े अंतर से जीतेंगे. गुना सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी साख बचा जाएंगे. पूरी ताकत झोंकने वाली छिंदवाड़ा सीट पर तख्तापलट हो सकेगा. राजगढ़ में दिग्विजय अपना गढ़ बना पाएंगे और रतलाम लोकसभा सीट पर नतीजे किस तरफ जाएंगे.

गुना में जातिगत समीकरण क्या बिगाड़ेंगे खेल

सिंधिया के लिए यह वजूद का चुनाव है. इस चुनाव में जीत सिंधिया के लिए इसलिए भी जरूरी है कि पार्टी में यह संदेश दिया जा सके कि ग्वालियर चंबल क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत है. बीजेपी में आने के बाद यह उनका खुद का पहला चुनाव है. वैसे चुनौती कम नहीं है. इस सीट पर यादव, जाटव, लोधी और गुर्जर समाज जीत-हार के गणित गड़बड़ा देते हैं. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के यादवेन्द्र सिंह से हैं. कांग्रेस में रहते वे 2019 में इसी गणित के चलते हार गए थे. हालांकि यह सीट उनकी सियासी विरासत में मिली है. सिंधिया की कोशिश इस बार बड़े अंतर से जीत दर्ज करने की है.

कितने अंतर से मिलेगी जीत ?

मुख्यमंत्री की लंबी पारी खेलने के बाद शिवराज सिंह चौहान अब दिल्ली के राह पकड़ चुके हैं. इसके लिए उन्होंने अपनी वही पुरानी सीट का चुना है. जिसके सहारे 20 साल पहले संसद पहुंचे थे. विदिशा लोकसभा उनका होम ग्राउंड हैं, जहां से वे 5 बार सांसद चुने जा चुके हैं. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा से है. जिन्होंने आखिरी बार इस सीट पर 2 बार जीत दर्ज की थी. हालांकि इस सीट पर बीजेपी का पिछले करीबन 35 सालों से दबदबा है. इसलिए इस बात को लेकर चर्चा ज्यादा है कि शिवराज कितने बड़े मार्जिन से जीत दर्ज करते हैं.

दिग्विजय सिंह का गढ़ बनेगा राजगढ़

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह राजगढ़ लोकसभा सीट से अपनी सियासी किस्मत आजमा रहे हैं. 33 साल बाद वे लोकसभा के चुनाव में उतरे हैं, राजगढ़ लोकसभा सीट उनका होम ग्राउंड रही है. उनकी राजनीति की शुरूआत ही राजगढ़ लोकसभा सीट मे आने वाले राघोगढ़ से हुई, जहां की रियासत के वे राजा भी रहे. वे इस सीट से सबसे पहले 1984 में चुनाव लड़कर जीते थे. इसके बाद 1991 में भी वे इस सीट से सांसद रहे. दिग्विजय सिंह ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान इसे अपने राजनीतिक करियर का आखिरी चुनाव बताया है. उन्हें उम्मीद है अपने आखिरी चुनाव में क्षेत्र के मतदाता सहानुभूति दिखाएंगे. हालांकि जीत की राह इतनी भी आसान नहीं है. उनका मुकाबला इस सीट से दो बार के सांसद रोडमल नागर से है. उनके पक्ष में पीएम मोदी को छोड़ पार्टी के तमाम दिग्गजों ने प्रचार किया है.

छिंदवाड़ा में फहराएगा बीजेपी का झंडा

कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा पर जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी ने अपना पूरा जोर लगाया है. इसके बाद भी बड़ा सवाल है कि क्या बीजेपी कमलनाथ के गढ़ को भेद पाएगी. इस सीट पर नकुलनाथ वर्सेस बंटी साहू के बीच बेहद रोचक मुकाबला हुआ है. कांग्रेस इस सीट पर 1952 से लगातार राज कर रही है. यह चुनाव नकुलनाथ से ज्यादा कमलनाथ की साख का चुनाव है. यह चुनाव उनकी अग्निपरीक्षा है. इस चुनाव में उनके सबसे मजबूत साथी पूर्व विधायक दीपक सक्सेना से लेकर कई कार्यकर्ताओं तक ने साथ छोड़ दिया, लेकिन अब देखना होगा कि क्या बीजेपी छिंदवाड़ा के मतदाताओं का मन बदल पाई है. हालांकि कमलनाथ एक तरह से चुनावी राजनीति से खुद को अलग कर चुके हैं, लेकिन यह नतीजे तय करेंगे कि अपनी जमीन बेटे नकुलनाथ को सौंपने का कमलनाथ का फैसला जनता ने कितना स्वीकार किया.

यहां पढ़ें...

5 दिग्गजों की सियासत तय करेंगे 2024 लोकसभा चुनावों के नतीजे, इनके लिए हो सकता है आखिरी रण

गुना में कई गुना बड़ी जीत 'महाराज' के लिए क्यों जरूरी, क्या 2019 की हार को भुना पायेंगे सिंधिया

क्या फिर कांग्रेस का बजेगा डंका

मध्य प्रदेश की रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण सीट रही है. इस सीट पर इस बार फिर बीजेपी के सामने 6 बार के सांसद कांतिलाल भूरिया चुनौती बनकर खड़े हैं. उनके मुकाबले बीजेपी की अनिता सिंह चौहान मैदान में हैं. बीजेपी ने इस सीट पर जमकर मेहनत की है. इस सीट पर आदिवासी वोट बैंक निर्णायक होता है. क्षेत्र में भील और भिलाला निर्णायक साबित होते हैं. भूरिया भील समाज से ही आते हैं. विधानसभा सीटों के खिलाफ से बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर है. देखना होगा कि मतदाता किस पर अपना भरोसा कायम करते हैं.

LOK SABHA ELECTION RESULT 2024
वीवीआईपी प्रत्याशियों की जीत हार (ETV Bharat Graphics)

Madhya Pradesh BJP Congress VVIP Candidates Lok Sabha Results 2024: मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में कुछ सीटें ऐसी हैं, जिन पर देश भर की निगाहें हैं. सभी जानना चाहते हैं कि आखिर मध्यप्रदेश की गुना, विदिशा, छिंदवाड़ा, राजगढ़ लोकसभा सीट पर आखिर क्या परिणाम आएंगे. इन सीटों पर कौन जीतेगा और कितने वोटों के अंतर से. विदिशा लोकसभा सीट पर 35 साल बाद चुनाव में उतरे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान क्या सबसे बड़े अंतर से जीतेंगे. गुना सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी साख बचा जाएंगे. पूरी ताकत झोंकने वाली छिंदवाड़ा सीट पर तख्तापलट हो सकेगा. राजगढ़ में दिग्विजय अपना गढ़ बना पाएंगे और रतलाम लोकसभा सीट पर नतीजे किस तरफ जाएंगे.

गुना में जातिगत समीकरण क्या बिगाड़ेंगे खेल

सिंधिया के लिए यह वजूद का चुनाव है. इस चुनाव में जीत सिंधिया के लिए इसलिए भी जरूरी है कि पार्टी में यह संदेश दिया जा सके कि ग्वालियर चंबल क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत है. बीजेपी में आने के बाद यह उनका खुद का पहला चुनाव है. वैसे चुनौती कम नहीं है. इस सीट पर यादव, जाटव, लोधी और गुर्जर समाज जीत-हार के गणित गड़बड़ा देते हैं. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के यादवेन्द्र सिंह से हैं. कांग्रेस में रहते वे 2019 में इसी गणित के चलते हार गए थे. हालांकि यह सीट उनकी सियासी विरासत में मिली है. सिंधिया की कोशिश इस बार बड़े अंतर से जीत दर्ज करने की है.

कितने अंतर से मिलेगी जीत ?

मुख्यमंत्री की लंबी पारी खेलने के बाद शिवराज सिंह चौहान अब दिल्ली के राह पकड़ चुके हैं. इसके लिए उन्होंने अपनी वही पुरानी सीट का चुना है. जिसके सहारे 20 साल पहले संसद पहुंचे थे. विदिशा लोकसभा उनका होम ग्राउंड हैं, जहां से वे 5 बार सांसद चुने जा चुके हैं. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा से है. जिन्होंने आखिरी बार इस सीट पर 2 बार जीत दर्ज की थी. हालांकि इस सीट पर बीजेपी का पिछले करीबन 35 सालों से दबदबा है. इसलिए इस बात को लेकर चर्चा ज्यादा है कि शिवराज कितने बड़े मार्जिन से जीत दर्ज करते हैं.

दिग्विजय सिंह का गढ़ बनेगा राजगढ़

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह राजगढ़ लोकसभा सीट से अपनी सियासी किस्मत आजमा रहे हैं. 33 साल बाद वे लोकसभा के चुनाव में उतरे हैं, राजगढ़ लोकसभा सीट उनका होम ग्राउंड रही है. उनकी राजनीति की शुरूआत ही राजगढ़ लोकसभा सीट मे आने वाले राघोगढ़ से हुई, जहां की रियासत के वे राजा भी रहे. वे इस सीट से सबसे पहले 1984 में चुनाव लड़कर जीते थे. इसके बाद 1991 में भी वे इस सीट से सांसद रहे. दिग्विजय सिंह ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान इसे अपने राजनीतिक करियर का आखिरी चुनाव बताया है. उन्हें उम्मीद है अपने आखिरी चुनाव में क्षेत्र के मतदाता सहानुभूति दिखाएंगे. हालांकि जीत की राह इतनी भी आसान नहीं है. उनका मुकाबला इस सीट से दो बार के सांसद रोडमल नागर से है. उनके पक्ष में पीएम मोदी को छोड़ पार्टी के तमाम दिग्गजों ने प्रचार किया है.

छिंदवाड़ा में फहराएगा बीजेपी का झंडा

कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा पर जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी ने अपना पूरा जोर लगाया है. इसके बाद भी बड़ा सवाल है कि क्या बीजेपी कमलनाथ के गढ़ को भेद पाएगी. इस सीट पर नकुलनाथ वर्सेस बंटी साहू के बीच बेहद रोचक मुकाबला हुआ है. कांग्रेस इस सीट पर 1952 से लगातार राज कर रही है. यह चुनाव नकुलनाथ से ज्यादा कमलनाथ की साख का चुनाव है. यह चुनाव उनकी अग्निपरीक्षा है. इस चुनाव में उनके सबसे मजबूत साथी पूर्व विधायक दीपक सक्सेना से लेकर कई कार्यकर्ताओं तक ने साथ छोड़ दिया, लेकिन अब देखना होगा कि क्या बीजेपी छिंदवाड़ा के मतदाताओं का मन बदल पाई है. हालांकि कमलनाथ एक तरह से चुनावी राजनीति से खुद को अलग कर चुके हैं, लेकिन यह नतीजे तय करेंगे कि अपनी जमीन बेटे नकुलनाथ को सौंपने का कमलनाथ का फैसला जनता ने कितना स्वीकार किया.

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क्या फिर कांग्रेस का बजेगा डंका

मध्य प्रदेश की रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण सीट रही है. इस सीट पर इस बार फिर बीजेपी के सामने 6 बार के सांसद कांतिलाल भूरिया चुनौती बनकर खड़े हैं. उनके मुकाबले बीजेपी की अनिता सिंह चौहान मैदान में हैं. बीजेपी ने इस सीट पर जमकर मेहनत की है. इस सीट पर आदिवासी वोट बैंक निर्णायक होता है. क्षेत्र में भील और भिलाला निर्णायक साबित होते हैं. भूरिया भील समाज से ही आते हैं. विधानसभा सीटों के खिलाफ से बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर है. देखना होगा कि मतदाता किस पर अपना भरोसा कायम करते हैं.

Last Updated : Jun 4, 2024, 6:20 PM IST
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