भोपाल। मध्यप्रदेश के 40 हजार नवनियुक्त शिक्षकों में रोष है. एक साल की सेवा पूरी करने के बाद भी नियमों को किनारे रखकर शत-प्रतिशत वेतन नहीं मिल रहा है. शिक्षकों का कहना है कि उन्हें हर माह 11 से 16 हजार रुपये तक कम वेतन मिलता है. नियमानुसार नियुक्ति के पहले साल 70 प्रतिशत और दूसरे साल से शत-प्रतिशत वेतन देने का प्रावधान हैं. पूरा वेतन नहीं मिलने से नवनियुक्त शिक्षकों को घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है.
दो साल बाद भी पूरे वेतन का इंतजार
बता दें कि साल 2018 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शिक्षकों को टुकड़ों में वेतन देने का नियम बनाया था. इसके अनुसार नियुक्त के पहले वर्ष में 70 प्रतिशत, दूसरे वर्ष 80 प्रतिशत, तीसरे वर्ष 90 और चौथे वर्ष से शत-प्रतिशत वेतन देने का प्रावधान था. लेकिन भाजपा सरकार बनने के बाद इसमें परिवर्तन किया गया. नए नियमों के तहत शिक्षकों को पहले वर्ष 70 प्रतिशत और दूसरे वर्ष से शत-प्रतिशत वेतन देने का नियम बनाया था. लेकिन दो वर्ष से अधिक सेवा देने के बाद भी शिक्षकों को 70 प्रतिशत वेतन ही मिल रहा है.
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वर्ग एक, दो और तीन के शिक्षकों को कितना नुकसान
वर्ग तीन के शिक्षकों की नियुक्ति 25,300 रुपये से हुई थी. इसमें 70 प्रतिशत यानि 17,710 रुपये ही मूल वेतन मिलता है. वहीं इसके साथ 46 प्रतिशत मंहगाई भत्ता 8147 रुपये और 295 रुपये एचआरए मिलाकर कुल 26,152 रुपये वेतन मिल रहा है. यदि मूल वेतन 25,300 रुपये मिले तो इसका 46 प्रतिशत महंगाई भत्ता और एचआरए मिलाकर उनको वेतन 37,233 रुपये मिलना चाहिए. ऐसे में वर्ग तीन के शिक्षकों को हर माह 11,081 रुपये का नुकसान हो रहा है. इसी तरह वर्ग दो के शिक्षकों को 14,366 और वर्ग एक को 15,856 रुपये का नुकसान हो रहा है. वर्ष 2018 में सरकार ने शिक्षकों के परीक्षण अवधि को दो से बढ़ाकर तीन वर्ष कर दिया था. यानि तब तक इनको इंक्रीमेंट का लाभ नहीं दिया जाएगा.
अभी तक नहीं हो पाया घोषणा पर अमल
सरकार के पास बजट की कमी है. साथ ही मुख्यमंत्री भी बदल गए हैं. यह घोषणा शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में हुई थी, लेकिन अब तक अमल नहीं हो पाया।
- राकेश पांडेय, कार्यवाहक प्रांताध्याक्ष, प्रांतीय शिक्षक संघ