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नोएडा में मां दुर्गा की प्रतिमा को दिया जा रहा अंतिम रूप, जानें मूर्तिकारों ने क्या कहा - Durga Puja festival in Noida

मूर्तिकार मां दुर्गा की मूर्तियों को भव्य रूप देने के लिए दिन-रात काम में जुटे हैं. जिसकी कीमत 50 से लेकर 50 हजार रुपये तक.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 3 hours ago

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नई दिल्ली/नोएडा: राजस्थान के रंजीत सिंह, जो पिछले कई पीढ़ियों से मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं. उन्होंने इस वर्ष भी अपने पूरे परिवार के साथ नोएडा में मूर्ति बनाने का काम शुरू किया है. नवरात्रि के आगमन के साथ, दुर्गा पूजा की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं, और ऐसे में रंजीत और उनके परिवार द्वारा बनायी जा रही दुर्गा की मूर्तियां लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं.

रंजीत ने बताया कि उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियों की कीमत 50 रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक है. मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया में औसतन 5 दिन का समय लगता है. इस साल, रंजीत को दुर्गा की मूर्तियों के लिए अधिक ऑर्डर प्राप्त हुए हैं, जिससे उनकी आमदनी भी पिछले वर्षों की तुलना में काफी बढ़ी है.

पारिवारिक परंपरा और मेहनत: नोएडा के सेक्टर- 21/20 रोड पर अपने तंबू के नीचे मूर्तियों के कारोबार करने वाले रंजीत सिंह का कहना है कि वे राजस्थान के निवासी हैं, और अपने पिता के हुनर को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं. पढ़ाई-लिखाई में सीमित रहने के कारण, रंजीत ने मूर्तिकला के इस पारंपरिक काम को अपनाया. उनके परिवार के सभी सदस्य मूर्तियों के निर्माण में एक-दूसरे का सहयोग करते हैं, जिससे उन्हें कार्य में गति मिलती है.

कोरोना महामारी के बाद, इस वर्ष रंजीत ने पहली बार देखा कि दुर्गा जी की मूर्तियों की बिक्री में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने बताया कि न केवल नोएडा के सेक्टर 21/20, बल्कि सेक्टर 22, सेक्टर 37, बरोला, मोरना सहित अन्य क्षेत्रों में भी मूर्तिकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं.

कड़ी मेहनत का परिणाम: रंजीत का कहना है कि एक मूर्ति का आकार बनाना काफी आसान है, लेकिन उसे जीवंत रूप देने के लिए पूरे परिवार की मेहनत की आवश्यकता होती है. रंजीत के अलावा, उनके अन्य परिवार के सदस्य मूर्तियों पर डिजाइन बनाने और उसे खूबसूरत बनाने का काम करते हैं, जैसे आंखों का निर्माण या मूर्ति के अन्य भागों में सजीवता लाना. यह मेहनत ग्राहकों को काफी पसंद आ रही है और इस वर्ष बिक्री में जोश देखने को मिल रहा है.

रंजीत सिंह और उनके परिवार की कहानी केवल मूर्तियों के निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कड़ी मेहनत, परंपरा और कला के प्रति लगन का एक आदर्श उदाहरण है। उनकी मेहनत और समर्पण ने न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है, बल्कि दुर्गा पूजा के इस पावन पर्व को भी और भी विशेष बना दिया है.

यह भी पढ़ें- नवरात्र के तीसरे दिन मंदिरों में मां चंद्रघंटा की पूजा, उमड़े श्रद्धालु

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नई दिल्ली/नोएडा: राजस्थान के रंजीत सिंह, जो पिछले कई पीढ़ियों से मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं. उन्होंने इस वर्ष भी अपने पूरे परिवार के साथ नोएडा में मूर्ति बनाने का काम शुरू किया है. नवरात्रि के आगमन के साथ, दुर्गा पूजा की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं, और ऐसे में रंजीत और उनके परिवार द्वारा बनायी जा रही दुर्गा की मूर्तियां लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं.

रंजीत ने बताया कि उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियों की कीमत 50 रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक है. मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया में औसतन 5 दिन का समय लगता है. इस साल, रंजीत को दुर्गा की मूर्तियों के लिए अधिक ऑर्डर प्राप्त हुए हैं, जिससे उनकी आमदनी भी पिछले वर्षों की तुलना में काफी बढ़ी है.

पारिवारिक परंपरा और मेहनत: नोएडा के सेक्टर- 21/20 रोड पर अपने तंबू के नीचे मूर्तियों के कारोबार करने वाले रंजीत सिंह का कहना है कि वे राजस्थान के निवासी हैं, और अपने पिता के हुनर को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं. पढ़ाई-लिखाई में सीमित रहने के कारण, रंजीत ने मूर्तिकला के इस पारंपरिक काम को अपनाया. उनके परिवार के सभी सदस्य मूर्तियों के निर्माण में एक-दूसरे का सहयोग करते हैं, जिससे उन्हें कार्य में गति मिलती है.

कोरोना महामारी के बाद, इस वर्ष रंजीत ने पहली बार देखा कि दुर्गा जी की मूर्तियों की बिक्री में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने बताया कि न केवल नोएडा के सेक्टर 21/20, बल्कि सेक्टर 22, सेक्टर 37, बरोला, मोरना सहित अन्य क्षेत्रों में भी मूर्तिकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं.

कड़ी मेहनत का परिणाम: रंजीत का कहना है कि एक मूर्ति का आकार बनाना काफी आसान है, लेकिन उसे जीवंत रूप देने के लिए पूरे परिवार की मेहनत की आवश्यकता होती है. रंजीत के अलावा, उनके अन्य परिवार के सदस्य मूर्तियों पर डिजाइन बनाने और उसे खूबसूरत बनाने का काम करते हैं, जैसे आंखों का निर्माण या मूर्ति के अन्य भागों में सजीवता लाना. यह मेहनत ग्राहकों को काफी पसंद आ रही है और इस वर्ष बिक्री में जोश देखने को मिल रहा है.

रंजीत सिंह और उनके परिवार की कहानी केवल मूर्तियों के निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कड़ी मेहनत, परंपरा और कला के प्रति लगन का एक आदर्श उदाहरण है। उनकी मेहनत और समर्पण ने न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है, बल्कि दुर्गा पूजा के इस पावन पर्व को भी और भी विशेष बना दिया है.

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