लखनऊ : "बेवजह की दवा नहीं लेनी चाहिए. अगर आप बीमारी के लिए दवा का इस्तेमाल करेंगे को इलाज करेंगी, अगर बेवजह लेंगे तो दवा नुकसान करेंगी. फ्री दवा देना और लेना दोनों गलत है. इसकी लागत को समझना होगा. लोहिया संस्थान एक अस्पताल से आगे बढ़ कर यह एक सुपर स्पेशलिटी संस्थान बना है. उत्तर प्रदेश के अंदर बेहतरीन स्वास्थ्य केंद्र बनकर उभर रहा है. यह एक बड़ी उपलब्धि है. संस्थान का सही हाथों में होना जरूरी है. आप सभी के द्वारा बना यह संस्थान सभी के लिए महत्वपूर्ण है. अगर संस्थान गलत हाथों में चला गया तो, उसमें सभी भागीदार होते हैं और सभी इससे प्रभावित होते हैं.
यह बातें शुक्रवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के चौथे स्थापना दिवस पर कहीं. इस दौरान उन्होंने विभाग के होनहार व मेधावियों को सम्मानित किया. सीएम ने बताया कि मेरे हाथ में कुछ समय पहले चोट लगी थी. एक विशेषज्ञ ने मेरे हाथ को देखा और कहा कि यह पट्टी अच्छी नहीं लगती. आप कहिए तो इसे मैं देखूं. मैंने उनसे कहा कि कितना खर्चा लगेगा तो उन्होंने कहा कि मैं बस आपके साथ एक सेल्फी लूंगा. फिर उन्होंने मेरा ट्रीटमेंट किया और मात्र आधे घंटे में मेरा हाथ ठीक हो गया. कभी कभी हमें ट्रेडिशनल मेडिसिन पर भी विश्वास करना चाहिए.
इस मौके पर मौजूद उपमुख्यमंत्री व चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि आज बहुत खास दिन है. आज हम सभी लोहिया संस्थान का स्थापना दिवस मान रहे हैं. यह सच्चाई है कि केजीएमयू बहुत पूराना मेडिकल कॉलेज है. देशभर में केजीएमयू के डॉक्टर्स है. वहीं पीजीआई से बेहतर कोई नहीं है. विश्व स्तर पर पीजीआई ने पहचान बनाया है. जबकि लोहिया संस्थान ने बहुत कम समय में अपना अस्तित्व बनाया है. विश्व स्तर पर सबसे पहली प्राथमिकता पीजीआई होती है और वहीं दूसरी प्राथमिकता लोहिया संस्थान होती है. यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है. संस्थान में जगह की कमी है. अगर संस्थान के पास में और भी जगह उपलब्ध हो जाए तो यह संस्थान और तेजी से बढ़ेगा. इसके लिए मैंने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव व मुख्यमंत्री से आग्रह किया है.
चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण के राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि संस्थान को 14 वर्ष हो गए हैं, लेकिन पिछले सात वर्षों में लोहिया संस्थान में बदलाव आया है. आज लोहिया संस्थान का चौथा स्थापना दिवस समारोह मनाया जा रहा है. केजीएमयू, लोहिया और पीजीआई विश्व स्तर पर आगे बढ़ रहे हैं. लगातार बदलाव देखा गया है. अनेक विभाग बनाए गए. बेड़ों की समस्या को दूर किया गया है.
मुख्य सचिव आईएएस मनोज कुमार सिंह ने कहा कि यहां सभी सुपर स्पेशलिटी विभाग है. जहां अलग-अलग शहर ही नहीं, बल्कि अलग-अलग राज्यों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं. संस्थान नई तकनीक से अपडेट रहता है. यहां रिसर्च का काम विशेषज्ञ बहुत करते हैं. प्रदेश में 25 करोड़ की आबादी है. इस हिसाब से ऐसे में प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था बहुत सही है. प्रदेश सरकार 47 हजार करोड़ रुपये चिकित्सा व्यवस्था पर खर्च करती है.
लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने कहा कि संस्थान लगातार प्रगति कर रहा है. शुरुआत में लोहिया 20 बेड़ का जिला अस्पताल था. बाद में धीरे-धीरे संस्थान का विकास हुआ और अब 1350 बेड़ का लोहिया संस्थान हैं. 41 विभाग है. पिछले एक वर्ष में 30 ज्यादा पर्चा काउंटर है. फार्मेसी काउंटर है. 9 लाख लोगों का इलाज हुआ. 6 हजार लोगों की एंजियोग्राफी एंजियोप्लास्टी की गई. 12 हजार मरीजों को कीमाथैरेपी की गई. 200 अधिक नेफ्रोलॉजी और न्यूरोलॉजी सर्जरी की गई. ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में 50 हजार से ज्यादा ब्लड उपलब्ध कराया गया. दवाओं के लिए एचआरएफ सेंटर खोले गए. 400 नियमित नियुक्ति दी गई है. 400 अधिक ऑउटसोर्सिंग से नियुक्ति की गई. नर्सिंग एवं पैरामेडिकल में 40 से अधिक दाखिले लिए जाते हैं.
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